लगभग 6 महीने के अंतराल के बाद आज डॉक्टर कफील खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दे दिया। कोर्ट की ओर से आदेश में कहा गया कि डॉक्टर कफील खान पर लगाया गया NSA गैरकानूनी था। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि उनकी अवधि को बढ़ाना भी सही नहीं था, लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक बात जो सामने आई है वह यह कि डॉक्टर कफील खान के मामले को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को छोड़कर किसी पार्टी ने भी नहीं उठाया। उत्तर प्रदेश से आने वाले डॉक्टर कफील खान के मामले को सपा और बसपा ने तो चिमटे से भी नहीं छुआ।
इस मामले को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उत्तर प्रदेश यूनिट के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी और कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूरी ताकत से उठाया। कांग्रेस ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी किए और कांग्रेस पार्टी ने बेरोजगारी और भुखमरी के मुद्दे को उठाने के साथ-साथ डॉ कफील खान के मुद्दे को भी जमीन से उठाने की कोशिश की और उनकी रिहाई की मांग की।
बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी की इंचार्ज और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक बार नहीं बल्कि अनेकों बार उनके मामले को उठाया और उनके साथ हुई नाइंसाफी का उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ कफील खान के साथ अन्याय हुआ है और उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाना चाहिए। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस मामले पर क्या राजनीति होती है, लेकिन बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश के 2 बड़े राजनीतिक दल सपा और बसपा पूरी तरह से इस मुद्दे पर खामोश रहे।
इससे बड़ी बात यह है कि सपा खुद अपने नेता आजम खां के मामले में भी पूरी तरह खामोश तमाशाई बनी हुई है और वह आजम खान जो एक समय में सपा के स्तंभ माने जाते थे और कहा यह जाता था कि सपा में इनके बगैर कुछ नहीं हो सकता आज वही आजम खां सपा में अलग-थलग पड़ गए हैं और संकट की घड़ी में सपा उनके मामले को भी चिमटे से छूने को तैयार नहीं है।
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