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मोदी सरकार के उदासीन रवैये के परिणाम स्वरुप हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता

पिछले पांच वर्षों के दौरान रक्षा बलों के प्रति मोदी सरकार के उदासीन रवैये के परिणाम स्वरुप हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया है।

By: वतन समाचार डेस्क
पिछले पांच वर्षों के दौरान रक्षा बलों के प्रति मोदी सरकार के उदासीन रवैये के परिणाम स्वरुप हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया है।

पिछले पांच वर्षों के दौरान नकली वाह-वाही, डींगे हांककर तथा खोखले नारों से मोदी सरकार ने रक्षा बलों के प्रति अपने रवैये को चरितार्थ किया है। उन्होंने हमारे सशस्त्र बलों के रक्त और बलिदान का गहन राजनीतिकरण करने की चेष्टा की है तथा हमारे बहादुर सैनिकों के मनोबल को गिराने के लिए सुनियोजित ढंग से कदम उठाए हैं। बजट में कटौती, ढुलमुल नीतिगत निर्णय तथा रक्षाकर्मियों तथा पूर्व सैनिकों के कल्याण के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया, मोदी सरकार की सैन्य नीति का मूल सिद्धांत रहा है।

 

पुणे आधारित रक्षा लेखा के प्रमुख नियंत्रक, (PCDA), एजेंसी, जो रक्षा अधिकारियों के वेतन और परिलब्धियों का भुगतान करती है, इसने अधिकारियों को यात्रा तथा प्रशिक्षण जैसे उद्देश्यों के लिए मिलने वाले अस्थाई भत्तों का भुगतान न करने का निर्णय लिया है। सेना में इस समय अधिकारियों की संख्या 40 हजार है और किसी भी समय इनमें से कम से कम एक हजार अधिकारी किसी पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए या योजना सम्मेलनों, कोर्ट ऑफ इंक्वायरी अथवा अन्य अभ्यास कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए अस्थाई तैनाती पर रहते हैं।

 

मोदी सरकार पिछले दरवाजे से खर्च में कटौती करके सशस्त्र बलों का अपमान करने की आद्तन दोषी है।

1.     जनवरी, 2019 में ये रिपोर्ट आई कि रक्षा मंत्रालय द्वारा सैनिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को खतरे में डालते हुए सैन्य बुनियादी ढांचे को पूरा करने के लिए आवश्यक 1,600 करोड़ रुपए की बकाया राशि की अदायगी नहीं की है। मोदी सरकार इस राशि को जारी क्यों नहीं कर रही है?

2.     रक्षा मंत्रालय ने मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया को देय बकाया 2,000 करोड़ रुपए की राशि जारी नहीं की है, जो कि राफेल विमानों के लिए हैंगर निर्माण के लिए मांगी गई थी, जिनमें से पहला जहाज सितम्बर, 2019 में आने की उम्मीद है। एसोसिएशन ने अब मोदी सरकार के खिलाफ विरोध करने की धमकी दी है। सर्वप्रथम रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने एक आधारहीन बहाना बनाया था कि वायुसेना के पास 126 राफेल विमानों के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचा और पार्किंग की जगह नहीं है (जो कि यूपीए द्वारा किए गए सौदे के तहत आने थे)। अब मोदी सरकार द्वारा राफेल विमानों के लिए हैंगर निर्माण के लिए भी राशि आवंटित नहीं की जा रही है, इसका क्या कारण है?

3.     मोदी सरकार ने कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट से खरीदी जाने वाली वस्तुओं की मात्रा पर मासिक सीमा क्यों लगाई है, जो कि सेवारत और सेवानिवृत रक्षा कर्मियों की जरुरतों को पूरा करने के लिए स्थापित की गई है?

4.     क्या ये सत्य नहीं है कि मेजर जनरल बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली रक्षा संबंधी संसदीय स्थाई समिति ने हमारे सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं के प्रति सरकार की उपेक्षा की शर्मनाक स्थिति को उजागर किया था, जिसमें ये इंगित किया गया था कि सेना के पास 68 प्रतिशत उपकरण बिलकुल पुराने हैं तथा आपातकालीन हथियारों की खरीद के लिए इसके पास कोई राशि नहीं है?

5.     क्या ये सच है कि चीन की सीमा के पास सामरिक महत्व की सड़कों के निर्माण के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं है?सशस्त्र बलों के पास पैसे की इतनी कमी क्यों है कि 2018 की संसदीय स्थाई समिति की रिपोर्ट में यह उजागर करना पड़ा कि शस्त्रागार और गोला बारूद की कमी के कारण हमारे लिए 10 दिन तक भी युद्ध में बने रहना मुश्किल होगा?

6.     सेना को आयुद्ध कारखानों से आपूर्ति में 50 प्रतिशत की कटौती के लिए क्यों मजबूर किया जाता है, जिसके कारण हमारे पुरुष और महिला सैनिकों को अपनी वर्दी और आपूर्ति स्वयं खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है?

7.     मोदी सरकार ने हमारे उन जवानों के लिए चिकित्सा/पेंशन लाभ क्यों वापस ले लिया, जिन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत बहादुरी से देश की सीमाओं पर राष्ट्र की सेवा की है?

8.     प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को ‘वन रैंक, पांच पेंशन’ का रूप देकर हमारे सैनिकों, वेटर्न सैनिकों और पूर्व सैनिकों के सम्मान की उपेक्षा क्यों की है?

9.     प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस नीत यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित तथा स्वीकृत 64,678 करोड़ की लागत से 90,274 अतिरिक्त सैनिकों से सुसज्जित चीन की सीमा पर तैनाती के लिए प्रस्तावित ‘माउंटेन स्ट्राइक कोर’ स्थापित करने के प्रस्ताव से पीछे क्यों हट गए?        

10. क्या यह सत्य नहीं कि मोदी सरकार के पिछले 55 महीनों के कार्यकाल में अकेले जम्मू और कश्मीर में 439 जवान शहीद हुए तथा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद में 278 नागरिकों को अपना बहुमूल्य जीवन गंवाना पड़ा? वह 56 इंच की छाती और लाल आँख कहाँ है, क्योंकि पाकिस्तान के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भाजपा सरकार के पिछले 55 महीनों के दौरान 5,000 से अधिक बार युद्ध विराम का उल्लंघन हुआ, जो कि यूपीए सरकार की तुलना में 1,000 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

11. क्या ये सच नहीं कि हमारे सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर 16 बड़े आतंकी हमले हुए, जिनमें सीआरपीएफ कैंप, आर्मी कैंप, एयरफोर्स स्टेशन- पंपोर, उरी, पठानकोट, गुरदासपुर, अमरनाथ यात्रा हमला, सुंजवान आर्मी कैंप में हुए आतंकी हमले शामिल हैं, जिनमें हमें अनेक बहुमूल्य जीवनों का बलिदान देना पड़ा?  

12. पिछले साल का रक्षा बजट (2018-19) सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 1.58 प्रतिशत (2,85,423 करोड़) था, जो कि 1962 के बाद का सबसे कम आवंटन था, जबकि अंतरिम वित्त मंत्री श्री पीयूष गोयल ने अपने अंतरिम बजट भाषण 2019-20 पर सबसे ज्यादा गर्व करते हुए कहा ‘हमारा रक्षा बजट 2019-20 में पहली बार तीन लाख करोड़ को पार करेगा’, परंतु वास्तविकता ये है कि वर्ष 2019-20 के लिए बजट आवंटन में मात्र 6.69 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के पश्चात सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में रक्षा बजट आवंटन में निरंतर कमी आ रही है, जो कि निम्नवत ग्राफ से स्पष्ट है।

मोदी सरकार के पास अपने प्रसार, प्रचार और विज्ञापन पर खर्च के लिए 5,000 करोड़ रुपए तो हैं, लेकिन सीमा पर तैनात हमारे जवानों के वेतन, परिलब्धियों और हथियारों के लिए पैसा नहीं है।

केवल 70 दिन शेष हैं, परंतु भारत के लोगों ने पहले ही मोदी सरकार को बाहर का रास्ता दिखाना शुरु कर दिया है।

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