श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, मीडिया प्रभारी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने निम्नलिखित बयान जारी किया हैः
पिछले 6 सालों में भाजपा सरकार ने सबसे ज़्यादा सौतेला व्यवहार और अधिकारों पर सबसे ज़्यादा हमले दलित व आदिवासी समाज पर किए हैं। दलित, भाजपा कीराजनैतिक उपेक्षा, सामाजिक शोषण व आर्थिक अनदेखी के शिकार बने हैं।
एक बार फिर संवेदनहीन मोदी सरकार ने वार किया है। इस बार नई पीढ़ी देश के भविष्य पर वार हुआ है ।
सीबीएसई (CBSE) ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के छात्रों के लिए 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा शुल्क को 250 प्रतिशत बढा दिया है। उन्हें अब 350 रुपये की जगह1200 रुपये फ़ीस भरनी होगी। इसी प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों की फ़ीस भी 100 प्रतिशत बढ़ाई गई, 750 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिया है !
सबका साथ, सबका विकास भाजपा का वादा ना ज़मीन पर है और ना ही काग़ज़ों पर है। सिर्फ़ मुट्ठी भर लोगों का विकास और ग़रीबों से विश्वासघात भाजपा सरकार की नीयतव नीति है।
शोषण और असमानता से लड़ने तथा दलित एवं पिछड़ों को ताक़त देने के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है लेकिन भाजपा सरकार देश को “रिवर्स गीयर” मेंचला रही है।
ऊना में दलितों की चमड़ी उधेड़ना का घृणित कार्य,रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए मजबूर करना व आरएसएस/भाजपा द्वारा संविधान में दिए आरक्षण पर हमला करना इसका जीताजागता सबूत है। भाजपा सरकार में दलितों हर 12 मिनट में एक दलित अत्याचार सहने को मजबूर है।
भाजपा सरकार दलितों के साथ संस्थागत स्तर पर अन्याय करती आ रही है और अब देश के भविष्य, नई पीढ़ी पर सीधा हमला कर दिया है। विकास – न्याय - शिक्षाऔर स्वास्थ्य की बात करने वाली मोदी सरकार क्यों दलितों को शिक्षा के हक़ से वंचित कर रही है?
भाजपा द्वारा संस्थागत तरीक़े से दलितों से भेद-भाव व अत्याचार के अनेकों ज्वलंत उदाहरण हैं, जैसे कि :-
1. अनुसूचित जाति के छात्रों के वजीफे में भारी कटौती
बजट 2018-19 (रिवाईज़्ड) - 6000 करोड़ रुपये
बजट 2019-20 - 2926 करोड़ रुपये
बजट 2014-15 - 602 करोड़ रुपये
बजट 2019-20 - 283 करोड़ रुपये
बजट 2014-15 - 439 करोड़ रुपये
बजट 2019-20 - 110 करोड़ रुपये
2. अनुसूचित जातियों के आरक्षण पर हमला
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख, श्री मोहन भागवत व प्रचार मंत्री, मनमोहन वैद्य ने खुलेआम आरक्षण को खत्म करने की वकालत की है। भाजपाई सदैव गरीबों केआरक्षण के खिलाफ रहे हैं। पूरा देश जानता है कि पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एजेंडा तय करता है और भाजपा की सरकार फिर इसे लागू करती है। अब भी आरक्षण सेछेड़छाड़ भाजपा का षडयंत्रकारी एजेंडा है।
3. SC/ST अत्याचार निरोधक कानून को खत्म करने की भाजपाई साजिश
20 मार्च, 2018 में भाजपा सरकार के षडयंत्रकारी व मुक़दमे की पैरवी के जानबूझ कर अनदेखी के चलते अनुसूचित जाति व आदिवासियों पर अत्याचार रोकने वाले कानून को अदालतमें खारिज कर दिया। इस क़ानून को कांग्रेस ने अनुसूचित जातियों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए बनाया था। आखिर में जब कांग्रेस ने देश की संसद को रोका,तो भाजपा सरकार ने 1 अगस्त, 2018 को कानून का संशोधन मंजूर किया।
परंतु भाजपा सरकार ने फिर नया षडयंत्र रचते हुए दलितों के अधिकारों के संरक्षण वाले इस संशोधन कानून को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिलवा रखी है। भाजपा का लक्ष्यहै कि गरीबों के शोषण को रोकने वाला यह कानून हमेशा के लिए कानून की किताब से खत्म हो जाए।
4. SC/ST सब-प्लान का खात्मा
साल 2010 में कांग्रेस सरकार ने यह अनिवार्य कर दिया कि सरकार के बजट में दलितों व आदिवासियों की जनसंख्या के आधार पर बजट का हिस्सा सुनिश्चित करनाअनिवार्य है यानि जितने प्रतिशत दलितों व आदिवासियों की जनसंख्या होगी, बजट का उतना ही प्रतिशत दलितों/आदिवासियों के लिए देना होगा। यानि अब दलितों कीजनसंख्या के आधार पर उनके कल्याण के लिए बजट देना अनिवार्य नहीं।
5. दलितों पर बेहिसाब अत्याचार
राष्ट्रीय क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक दलित अत्याचार के 40,801 मामले दर्ज किए गए, यानि हर 12 मिनट में देश में एक दलित परअत्याचार हो रहा है। यह दलितों के खिलाफ हो रहे अपराध में 25 प्रतिशत बढ़ोत्तरी है। भाजपा सरकार ने दलित अत्याचार के 2016-17 के बाद के आंकड़े ही छिपा दिएहैं, क्योंकि ये बहुत ही अधिक हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस माँग करती है कि भाजपा सरकार 250 प्रतिशत फ़ीस की वृद्धि को तुरंत वापिस करे। सामान्य वर्ग के लिए की गयी दो गुणी फ़ीस वृद्धि को भी वापिस करे। अगर सरकार ऐसानहीं करती तो ये साबित हो जाएगा कि बाबा साहब के सपने “शिक्षित बनो, संघर्ष करो” को धूमिल करने का भाजपा सरकार का ये एक और प्रयास है।
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