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मोदी सरकार के अच्छे दिन और प्रियंका के संघर्ष

श्रीमती प्रियंका गांधी ने विशाल किसान पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि आदरणीय प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय लल्लू जी, आराधना मिश्रा जी, चौधरी हरेंद्र मलिक जी, पंकज मलिक जी, श्री दीपेन्द्र हुड्डा जी, आचार्य प्रमोद कृष्णम जी, श्री विवेक बंसल जी, श्री इमरान मसूद जी, श्री गजराज सिंह जी, श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत जी, विजेंद्र सिंह जी, संजय कपूर जी, चौधरी रविन्द्र मलिक जी, चौधरी संजय सिंह जी, बाबा श्याम सिंह जी, नरेश सैनी जी, मसूद अख्तर जी और तमाम कांग्रेस के नेता, यहाँ पर उपस्थित एनएसयूआई, आईवाईसी, महिला कांग्रेस के कार्यकर्ता, बहनों और प्यारे भाईयों! आप कुछ समय से मेरा इंतजार कर रहे हैं। मलिक जी ने कहा कि यहाँ आकर आप पर मैंने अहसान किया है। मैं कहना चाहती हूं कि यहाँ आना मेरा कर्तव्य है, मेरा धर्म है और मैं किसी पर अहसान नहीं कर रही हूं। बहुत बार कहती हूं, हर नेता को ये अहसास होना चाहिए कि सबसे बड़ा अहसान उस पर जनता करती है। मुझे ये अहसास अच्छी तरह से है। आप यहाँ उपस्थित हैं, मेरी बातों को सुनने आए हैं, इसलिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

By: वतन समाचार डेस्क
  • मोदी सरकार के अच्छे दिन और प्रियंका के संघर्ष

 

 

श्रीमती प्रियंका गांधी ने विशाल किसान पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि आदरणीय प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय लल्लू जी, आराधना मिश्रा जी, चौधरी हरेंद्र मलिक जी, पंकज मलिक जी, श्री दीपेन्द्र हुड्डा जी, आचार्य प्रमोद कृष्णम जी, श्री विवेक बंसल जी, श्री इमरान मसूद जी, श्री गजराज सिंह जी, श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत जी, विजेंद्र सिंह जी, संजय कपूर जी, चौधरी रविन्द्र मलिक जी, चौधरी संजय सिंह जी, बाबा श्याम सिंह जी, नरेश सैनी जी, मसूद अख्तर जी और तमाम कांग्रेस के नेता, यहाँ पर उपस्थित एनएसयूआई, आईवाईसी, महिला कांग्रेस के कार्यकर्ता, बहनों और प्यारे भाईयों! आप कुछ समय से मेरा इंतजार कर रहे हैं। मलिक जी ने कहा कि यहाँ आकर आप पर मैंने अहसान किया है। मैं कहना चाहती हूं कि यहाँ आना मेरा कर्तव्य है, मेरा धर्म है और मैं किसी पर अहसान नहीं कर रही हूं। बहुत बार कहती हूं, हर नेता को ये अहसास होना चाहिए कि सबसे बड़ा अहसान उस पर जनता करती है। मुझे ये अहसास अच्छी तरह से है। आप यहाँ उपस्थित हैं, मेरी बातों को सुनने आए हैं, इसलिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। 

देखिए, देश की जो स्थिति है, वो शायद मेरे से अच्छी तरह आप सब जानते हैं। एक ऐसा समय आया है कि 90 दिनों से लाखों किसान इस देश की राजधानी के बाहर, दिल्ली के बाहर बैठे हुए हैं, संघर्ष कर रहे हैं, आंदोलन कर रहे हैं। 215 किसान शहीद हुए। बिजली काटी गई, पानी रोका गया, उन्हें मारा गया, पीटा गया। वे शांति से बैठे थे। देश की राजधानी की सीमा को इस तरह बनाया गया, जैसे देश की सीमा हो। तमाम पुलिस की फोर्स लगाई गई, किसानों को प्रताड़ित किया गया। जो किसान अपने बेटे को देश की सीमा पर, देश की रखवाली करने के लिए भेजता है, उस किसान को अपमानित किया गया, उसे ज़लील किया, उसे देशद्रोही कहा, आतंकवादी कहा। प्रधानमंत्री जी ने पूरे संसद के सामने उसका मजाक उड़ाया, उसे परजीवी कहा, आंदोलनजीवी कहा। देखिए, इंसान की तरह देश का भी एक हृदय होता है। उस हृदय के धड़कने से देश जीवित होता है। मेरा मानना है कि हमारे देश का हृदय, उसका दिल किसान है। जो जमीन से जुड़ा है। जमीन को सींचता है, उसे उपजाऊ बनाता है, इस देश का अन्नदाता है, इस देश को जीवित करता है। लेकिन आज जब चौधरी टिकैत जी की आंखों में आंसू आते हैं, तो हमारे प्रधानमंत्री जी के होंठों पर मुसकुराहट आती है, उन्हें मजाक सूझता है।

आज किसान के घरों से लूट हो रही है और प्रधानमंत्री जी के दो पूंजीपति मित्रों को पूरी छूट दी गई है। आपके सामने आकर प्रधानमंत्री जी ने बार-बार हर चुनाव में ये वायदा किया था कि गन्ने का भुगतान आपको दिया जाएगा। (विशाल किसान पंचायत से पूछते हुए श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा) मैं आपसे पूछना चाहती हूं, आपको मिला? (पंचायत ने ना में उत्तर दिया) उन्होंने कहा था आपकी आमदनी दोगुनी होगी? मैं आपसे पूछना चाहती हूं, दोगुनी हुई? (पंचायत ने पुन: ना में उत्तर दिया)

आपको मालूम होगा कि पूरे देशभर में गन्ने का भुगतान 15 हजार करोड़ रुपए है और आज मैं आपको बताना चाहती हूं, शायद आपको ये नहीं मालूम होगा कि प्रधानमंत्री जी ने अपने लिए दुनिया में भ्रमण करने के लिए दो हवाई जहाज खरीदे और उन दो हवाई जहाजों की कीमत 16 हजार करोड़ रुपए हैं। आपके गन्ने के भुगतान से ज्यादा। उनके पास अपने दो हवाई जहाजों को खरीदने के लिए पैसे हैं, लेकिन आपके देशभर के किसान के भुगतान के लिए पैसे नहीं हैं। ये स्थिति है आज देश की।

आपसे वायदा किया गया था कि 14 दिनों में भुगतान होगा। लेकिन आपने क्या देखा – पिछले 4 सालों में गन्ने का दाम नहीं बढ़ा। 16 हजार करोड़ के दो हवाई जहाज खरीदे गए, 20 हजार करोड़ की स्कीम बन रही है, कि जो संसद भवन है, जो देश की राजधानी में, इंडिया में इंडिया गेट है और उसके आस-पास जो इमारतें हैं, उनके सौंदर्यकरण के लिए 20 हजार करोड़ की स्कीम बन रही है, लेकिन आपके गन्ने के भुगतान के लिए 15 हजार करोड़ उपलब्ध नहीं है।

डीजल आपको 2018 में 60 रुपए में मिलता था। आज कहीं 80 रुपए, कहीं 90 रुपए। डीएपी 1,100 रुपए में मिलता था, आज 1,200 रुपए का है। बिजली के बिल बढ़ते चले जा रहे हैं। गैस सिलेंडरों की कीमत बढ़ती चली जा रही है, मगर आपके गन्ने के दाम आपको नहीं मिल रहे हैं, वो वहीं का वहीं है।

मैं कुछ दिनों पहले बिजनौर गई। कुछ किसानों ने मुझे कुछ पर्चियां दिखाई। शायद उसी दिन जो नया दाम है, वो जारी किया गया था। उससे पहले की पर्चियां दिखाई, उस पर जीरो, जीरो लिखा था।

आपको मालूम होगा कि भाजपा सरकार ने पिछले साल डीजल पर जो टैक्स लगाई, उससे साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए कमाए। मैं पूछना चाहती हूं, कहाँ गए वो रुपए? 2014 से अब तक मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ाकर आपको मालूम नहीं होगा 21 लाख 50 हजार रुपए कमाए। मैं पूछना चाहती हूं, कहाँ गया वो पैसा? जिसका हक है, जो दिन-रात इस देश के लिए काम करता है, जो अपने पसीने से, अपने खून से इस देश को सींचता है, उसको क्यों नहीं मिला है ये पैसा? नौजवान को क्यों नहीं मिला, रोजगार क्यों नहीं दिया और जब वही किसान प्रताड़ित होकर अपनी समस्या लेकर आपके पास आया, तो आपने उसकी बात क्यों नहीं सुनी?

दिल्ली का बॉर्डर नरेन्द्र मोदी जी के घर से कितना दूर है- 5-6 किलोमीटर दूर होगा और वही प्रधानमंत्री, जो अमेरिका जा सकते थे, पाकिस्तान जा सकते थे, चीन जा सकते थे, जिन्होंने पूरी दुनिया में भ्रमण किया, वो लाखों किसानों के पास नहीं जा पाए, उनके आंसू पोंछ नहीं पाए, उनकी बात नहीं सुन पाए। क्यों – क्योंकि उनकी राजनीति सिर्फ अपने लिए है, अपने लिए और अपने खरबपति पूंजीपति मित्रों के लिए है।

इसी समय जब पूरा देश तड़प रहा है, किसान तड़प रहा है, भुगतान नहीं हो रहा है। इसी साल में अगर आप देखेंगे कि इन एक-दो खरबपति मित्रों ने कितना पैसा कमाया, तो आप चौंक जाएंगे – हजारों करोड़ कमाया है और आप सड़क पर बैठे हुए अपने हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं, आंदोलन कर रहे हैं और कोई सुनने को तैयार नहीं हैं।

जो तीन कानून इस सरकार ने निकाले हैं, उनका सार तो आप जानते ही होंगे। पहला कानून कि प्राईवेट मंडियां लगेंगी और सरकारी मंडियों में जो टैक्स लिया जाता है, वो प्राईवेट मंडियों में नहीं लिया जाएगा। इसका मतलब क्या है - इसका मतलब ये है कि अहिस्ता-अहिस्ता सरकारी मंडियां बंद हो जाएंगी और आप सब जानते हैं कि सरकारी मंडियों की खासियत ये है कि आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है कि कोई भी कहीं से भी आकर आपको ये नहीं कह सकता आपको कि कम दाम पर आपसे खरीदेगा। प्राईवेट मंडियों के खुलने से और उनको मजबूत बनाने से क्या होगा – बड़े-बड़े खरबपतियों की मनमानी होगी, जो दाम चाहते हैं, वही देंगे। जब खरीदना चाहते हैं, तभी खरीदेंगे। जब बेचना चाहते हैं, तभी बेचेंगे।

दूसरे कानून में लिखा है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग होगी, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग का क्या मतलब है- इसका मतलब है कि आपके गांव में आपके जिले में आकर बड़े-बड़े खरबपति आपके साथ एक सौदा कर सकते हैं कि देखिए, आप 10 लोग हैं, आप हमारे लिए गन्ना उगाइए, जब गन्ना उग जाएगा, हम आपको इसके लिए 500 रुपए देंगे। लेकिन जब आप उसको उगाएंगे, तो अगर उस खरबपति का मन हो, तो वो आपसे कह सकता है कि न मैं आपको 500 रुपए दूँगा और न मैं आपका गन्ना चाहता हूँ। उसको कहने की अनुमति है। वो कुछ भी कर सकता है। क्यों- क्योंकि ये इस कानून के तहत आपकी कोई सुनवाई नहीं है। अगर आप अदालत में जाना चाहेंगे, उसका शिकायत करना चाहेंगे, तो आप सिर्फ एसडीएम के पास जा सकते हैं और उनके ऊपर जो एक अधिकारी है, उनके पास जा सकते हैं, लेकिन आप अदालत नहीं जा सकते, आप अपने हक के लिए लड़ नहीं सकते, ये लिखा है उस कानून में। तो आप सोच सकते हैं कि एक तरफ आप और आपकी छोटी सी खेती है और दूसरी तरफ प्रधानमंत्

 

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