जामिया में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने से भी लंबे समय से जारी शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन को आज संबोधित करते हुए पूर्व लोकसभा सांसद इलियास आजमी ने कहा कि
"तेरे माथे पे यह आंचल बहुत ही खूब है लेकिन
तो इस आंचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था
उन्होंने कहा कि अगर आज मजाक लखनवी जिंदा होते तो वह जरूर खुश हो रहे होते। मुझे पूरी आशा है कि उनकी रूह खुश हो रही होगी कि आज महिलाओं ने अपने आंचल को 50 साल बाद परचम बना लिया है। उन्होंने विरोध प्रदर्शन करने वालों को बधाई और अपना समर्थन देते हुए कहा कि जिन लोगों ने भी भारत को बचाने की आवाज उठाई है और संविधान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं वह बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों को बधाई देना चाहता हूं जो देश की एकता अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जामिया के छात्र बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने इस आंदोलन की नींव रखी है। उन्होंने कहा कि जामिया ने आजादी के आंदोलन में भी एक बड़ा योगदान दिया था और आज फिर एक बार जब देश को मनुवाद से आजादी की जरूरत पड़ी है तो जामिया के छात्र सड़क पर उतरे हैं। योगी जी के साथ मैं 5 साल लोकसभा में रहा हूं, लोग मजाक में हमें योगी जी का दोस्त कहते थे, लेकिन आज मैं जामिया की सड़क से योगी जी तक यह पैगाम पहुंचाना चाहता हूं और जब जामिया की आवाज यूरोप अमेरिका लंदन कनाडा जर्मनी फ्रांस पेरिस शिकागो समेत दुनिया के हर देश में पहुंच रही है तो लखनऊ पहुंचेगी ज़रूर।
उन्हों ने आरोप लगाया कि योगी सरकार ने ज़ुल्म के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। उन्होंने योगी CM UP को संबोधित करते हुए कहा कि आपको हलाकू और चंगेज खां तक जाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास योगी जी को पलट कर देखना और पढ़ना चाहिए, हिटलर से लेकर मसूलूनी तक जमाल अब्दुल नासिर से लेकर सद्दाम हुसैन तक जुल्फिकार अली भुट्टो और मुजीबुर्रहमान से लेकर इंदिरा गांधी तक सभी तानाशाहों ने अपनी तानाशाही के ज़रिये संविधान ठोकर में रखने की कोशिश की तो दुनिया में उनका अंजाम क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि मैं आज ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन हां मेरी इच्छा है कि मैं अपनी आंखों से आज के तानाशाहों का अंजाम देख कर इस दुनिया जाऊं। मेरी उम्र 85 साल है और मुझे उम्मीद है कि मैं देख कर ही जाऊंगा।
ज्ञात रहे कि इलियास आज़मी 2 बार लोकसभा के सांसद रहे। 11वीं और 14 वीं लोकसभा में उन्होंने मुखर होकर देश के दलित पीड़ित शोषित वंचित हिंदू मुस्लिम की आवाज उठाई और वह एक ऐसे नेता के तौर पर जाने जाते हैं जिन पर कभी भी कोई धर्म का टैग नहीं लगा सका और दलितों और अल्पसंख्यकों की एक मुखर आवास के तौर पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई। वह गुलाम भारत में पैदा हुए, आजाद भारत में सांस लिया और 02 बार वह लोकसभा के सदस्य बने।
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