COVID 19 के खतरे को देखते हुए,इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (इम्पार) ने ईद 2020 के लिए देश के मुस्लिम समुदाय को कुछ महत्त्वपूर्ण मशवरे दिए हैं और उनसे अपील की है कि इन का पालन करके एक अच्छे नागरिक होने का सबूत दें, और मीडिया के उस धड़े को धर्म को बदनाम करने का अवसर प्रदान न करें जो मुसलामानों और इस्लाम को बदनाम करने में लगा हुआ है। इस अवसर पर मीडिया को जारी एक बयान में कहा गया है कि ईद उल फ़ित्र में अब दस दिन से भी कम समय बचा है। इम्पार ने लोगों को सलाह दी है कि वे घर पर ईद की नमाज अदा करें, खरीदारी न करें, ईद के पक्वान को कम से कम करें और इन सब से बचने वाले धन रोग से पीड़ित या परेशान लोगों में जाति और पंथ में भेद भाव के बिना दान करें।
इम्पार के संयोजक और केंद्रीय समिति के सदस्य डॉ एमजे खान ने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को गरीबों, ज़रूरतमंदों और उन फंसे लोगों तक पहुंचने की सलाह दी है जिन्हें भोजन, दवा या किसी अन्य सहायता की आवश्यकता है। उन्हों ने अपने बयान में कहा है कि ज़कात खर्च की पहली प्राथमिकता इन लोगों के लिए होनी चाहिए. उन्हों ने अपने बयान में ज़कात को इस्लाम का एसेंशियल पार्ट बताते हुए कहा है कि यह समाज के अमीरों पर फ़र्ज़ है जिसे आम तौर पर लोग ज़्यादा पुनः की नीयत से रमज़ान के महीने के दौरान अपनी संपत्ति का 2.5% भुगतान करते हैं।
बयान में कहा गया है कि ये दिशानिर्देश ईद के आसपास सामाजिक जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों को कवर करते हैं। इसके अलावा, ईद पर कुछ बच्चों के स्कूल की फीस का भुगतान करने, किसी के किराए का भुगतान करने, परिवार को खाना खिलाने, किसी को फिर से व्यवसाय शुरू करने में मदद करने जैसी चीजों के लिए ज़कात फंड के वितरण की सुविधा के लिए इम्पार ने उन लोगों के लिए एक ऑनलाइन प्रणाली भी शुरू की है जो COVID 19 की स्थिति में दाताओं तक पहुंचने में असमर्थ हैं।
दिशानिर्देशों के बारे में बात करते हुए, इम्पार केंद्रीय समिति के सदस्य और प्रसिद्ध उद्योगपति, श्री सईद शेरवानी ने कहा कि हमें इस ईद पर कम से कम खर्च करने की मिसाल क़ायम करनी चाहिए और संकट की इस स्थिति में जरूरतमंदों की मदद करने के लिए उस पैसे का उपयोग करना चाहिए. उन्हों ने यह भी कहा कि यही ज़कात का मूल मंत्र है, की उसकी रक़म उस व्यक्ति तक चली जाए जो इसका असली हक़दार है.
बयान में कहा गया है कि अब तक अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी, बंगला, तमिल और मलयालम भाषाओं में लोगों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशानिर्देशों को इम्पार मस्जिद-मदरसा सुधार समूह और अन्य विख्यात इस्लामिक विद्वानों, जैसे कि डॉ ज़फ़र महमूद, ज़कात फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष, की मदद ली गयी है। इससे पहले इम्पार ने 14 पॉइंट रमज़ान दिशानिर्देशों भी जारी किया था, जिनका देश भर में पालन किया गया, और व्यापक रूप से लोगों ने इस की सराहना की जिस के लिए इम्पार उनका आभारी है।
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