लंबे समय से शिया वक्फ बोर्ड से जुड़े रहे वसीम रिजवी के खिलाफ सीबीआई के जरिए दर्ज किए गए FIR पर पूर्व लोकसभा सांसद और राष्ट्रीय जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष इलियास आजमी ने अपनी ओर से प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा है कि देर से ही सही लेकिन सरकार की ओर से इस संदर्भ में दुरुस्त कार्रवाई हुई है.
ज्ञात रहे कि बीते वर्ष पूर्व लोकसभा सांसद इलियास आजमी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन वसीम रिजवी पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह लखनऊ में राजनीतिक वातावरण का एक डॉन बन गया है.
उन्होंने कहा था कि आजम खां की भी जरूरत वसीम रिज़वी थे. उन्हें अपने निजी प्राइवेट विद्यालय के लिए शिया वक़्फ़ बोर्ड की जायदाद की जरूरत थी, जो वसीम रिजवी ने चेयरमैन की हैसियत से आजम खां को दी. इस प्रकार वह लखनऊ में सपा सरकार का डॉन बना रहा. इलियास आजमी ने अपने पत्र में आगे कहा था कि मेरे जैसा आदमी भी यह नहीं जानता कि इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन कौन था, परंतु सपा के जमाने से ही वसीम रिज़वी को उत्तर प्रदेश के अधिकांश लोग जानने लगे थे.
उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा था कि मेरी राय है कि वसीम रिजवी जैसे चमचों का तुष्टिकरण ना कर भारत सरकार सेंट्रल वक्फ काउंसिल की जांच रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए उसकी सीबीआई जांच कराए, इससे जनता में यह संदेश जाएगा कि वसीम रिजवी की उछल कूद से सरकार का कोई लेना देना नहीं है. केवल रिजवी यह समझता था कि वह इस से समाजवादी दबदबे को फिर से प्राप्त कर लेगा.
वैसे भी वक़्फ़ प्रॉपर्टी की संरक्षक सरकार होती है. इसे बचना सरकार का दायित्व है. अब सीबीआई की ओर से FIR किए जाने पर प्रसंता प्रकट करते हुए इलियास आजमी ने कहा है कि देर से ही सही, सरकार ने इस संदर्भ में दुरुस्त कार्रवाई की है.
उन्होंने कहा है कि मुझे पूरा विश्वास है कि इस मामले में जांच अपने अंजाम तक पहुंचेगी और जो भी भ्रष्ट और दोषी हैं उनको सजा मिलेगी और उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी. इलियास आज़मी ने बीते वर्ष लिखे अपने पत्र की कॉपी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी सौंपी थी. खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसे अब केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है और इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं.
अब देखना यह है कि इस मामले में आगे सीबीआई किस दृष्टिकोण से आगे बढ़ती है. ज्ञात रहे कि बीते कुछ सालों में वसीम रिज़वी अपने बयानों को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं. उन पर कई बार मुसलमानों के विरुद्ध बयान देने का भी आरोप लगता रहा है और शिया समुदाय भी कई बार वसीम रिजवी के बयानों से असहमति प्रकट करते हुए उसका खंडन भी कर चुका है.
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