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इलियास आजमी का प्रधानमंत्री मोदी को सनसनीख़ेज़ खुला खत

मेरी आयु 85 साल है, मैं अंग्रेज़ की वापसी के बाद सोशललिस्ट विचार ग्रुप के एक मात्र मुस्लिम नेता हुए डाॅ0 अब्दुल जलील फरीदी का सोशलिस्ट कैडर तथा 11वीं व 14वीं लोकसभा का सदस्य रहा हॅू। आप ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा 2014 के बाद दिया, परन्तु मैंने अपने गृह जनपद आज़मगढ़ में 1957 में ‘‘कांग्रेस मुक्त’’ जनपद का नारा देकर 1962 में ही जिला आज़मगढ़ को कांग्रेस से सदा के लिए कांग्रेस मुक्त बना देने में सफलता पाई।

By: वतन समाचार डेस्क

इलियास आज़मी का प्रधानमंत्री मोदी को सनसनी ख़ेज़ खुला खत

 

 इलियास आज़मी (पूर्व  संसद )

 

 

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

आदाब

 मेरी आयु 85 साल है, मैं अंग्रेज़ की वापसी के बाद सोशललिस्ट विचार ग्रुप के एक मात्र मुस्लिम नेता हुए डाॅ0 अब्दुल जलील फरीदी का सोशलिस्ट कैडर तथा 11वीं व 14वीं लोकसभा का सदस्य रहा हॅू। आप ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा 2014 के बाद दिया, परन्तु मैंने अपने गृह जनपद आज़मगढ़ में 1957 में ‘‘कांग्रेस मुक्त’’ जनपद का नारा देकर 1962 में ही जिला आज़मगढ़ को कांग्रेस से सदा के लिए कांग्रेस मुक्त बना देने में सफलता पाई।

 

 

 सारे मुस्लमानों की भांति 2002 से आप का विरोधी था, परन्तु जब आप ने गुजरात में आर0एस0एस0 तथा वी0एच0पी0 से पंगा लिया, तो मुझे अन्दाज़ा हुआ कि आप की बदनामी ने आप की आंख खोल दी है, इसी कारण 2014 के चुनाव में न उतर कर मैं खामोश रहा। कारण मैं देश को किसी मूर्ख हाथों में देना नहीं चाहता था। मूर्ख नेतृत्व की सरकार मैं देख चुका था। मैं पूर्व में आपसे मिला भी हॅू जब आप ने एक दर्जन मुस्लिम नेताओं को बुलाकर बात की थी और आप से कहा था कि यदि आप अपने तीन दर्जन नेताओं की भाषा को कंट्रोल कर लें, तो एक अच्छे प्रधानमंत्री सिद्ध हो सकते हैं। इस पर आप के चेहरे को पढ़कर मैं यह समझा कि आप आर0एस0एस0 के कंट्रोल में हैं या मजबूर हैं।

मुझे यह लिखने में कोई पेरशानी नहीं आप के कुछ गलत सलाहकार हैं।

 

 

यह समझने की ज़रूरत है कि जिस प्रकार कुरान से हटकर कोई इस्लाम हो ही नहीं सकता, उसी प्रकार ब्रह्मण, क्षत्रीय, वैश्य एवं शूद्र से हर कोई ‘‘हिन्दुत्वा’’ हो ही नहीं सकता, केवल मनुस्मृति नहीं, वेदों में यहा तक कि गीता तक में भी वरण व्यवस्था है।

हिन्दु आबादी में शूद्र 90 प्रतिशत है, यह इतिहास का चमत्कार है कि 90 प्रतिशत आबादी मात्र 04 प्रतिशत या 10 प्रतिशत की हज़ारों साल गुलाम रही मध्यकाल के 800 वर्ष मुस्लमान कहे जाने वाली सत्ता में भी ‘‘प्रोहित’’ ही समाज का मुखिया बना रहा लोकतंत्र में भी यह चमत्कार ही कहा जा सकता है कि सत्ता पर 10 प्रतिशत का एक अधिकार बना रहा पर अब शिक्षा के प्रसार के साथ यह बना नहीं रह सकता । आप की सफलता का सब से बड़ा कारण अखिलेश यादव हैं, जिन्होंने अपनी सत्ता के नंगे जातिवाद से पिछड़ी जातियों को विश्वास दिला दिया कि उनका 27 प्रतिशत हिस्सा भी केवल एक जाति के लिए आरक्षित हो चुका है, इसलिए बांटने वाले हाथ का उस 27 प्रतिशत में हिस्सा नहीं होना चाहिये।

 

 

भा.ज.पा. द्वारा बड़े पैमाने पर चलाए गए हिन्दू मुस्लमान सवाल से आपको फायदा ज़रूर हुआ, परन्तु यह एक टम्परेरी मामला था। सरकार से निराश मुस्लमानों के लिए फायदेमन्द सिद्ध हुई, प्राइवेटाइज़ेशन में भी उन्हें फायदा पहुंचा कुल मिलाकर आपके राज में उन्हें आर्थिक लाभ ही पहुंचा। साम्प्रदायिक दंगे तथा प्रायोजित बम धमाके रूक जाने से भी उन्हें लाभ पहुंचा। हिन्दुओं में गिने जाने वाले लागों के मुकाबले में मुस्लमान अधिक योग्य मेहनती तथा ईमानदार है, इस सच्चाई से इन्कार सम्भव नहीं है। उनसे काम न लेकर हम ने राष्ट्र का कितना नुकसान किया है, उसका हिसाब नहीं लगाया जा सकता।

 

 

दुश्मनी के नाम पर हिन्दू वोटों में बढ़ौत्री का हथियार भी अब आउट आफ डेट हो चुका है। आप इस हथियर से कांग्रेस का मुकाबला आगे नहीं कर सकते हैं कांग्रेस ने यह हथियर ईजाद किया था वह उसके दोषगुण से अधिक जानकारी रखती है उसकी लीडरशिप ब्रह्मण है, भाजपा की वैश्य है आर0एस0एस0 केवल ब्राह्मण वाद है वह ब्राह्मण हितों पर फैसला लेती है आपको पता होगा कि कई बार उसने भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का साथ दिया है।

 

 

इस मामले में आप कांग्रेस का मुकाबला कर ही नहीं सकते कांग्रेस ने 30 से 40 साल में मुस्लमानों को एक शताब्दी पीछे किया आप ने ज़बान से उसका विरोध किया, परन्तु एक साल भी पीछे नहीं कर पाए। आप कर भी नहीं सकते आप जो कहते हैं करने का भी प्रयास करते हैं, परन्तु कांग्रेस यदि पूरब दिशा में जाने की बात करे, तो समझदार समझ जाते हैं कि वह पश्चिम दिशा में जाएगी। मुस्लमानों को बरबाद करने के लिए कांग्रेस के पास मदनी परिवार तथा उनके मुरीदों की सेना अरशद मदनी, हाफिज़ सिद्दीक जैसे उस्ताद और जमेअतुल जोहलाए हिन्द जैसे संगठन छागला नुरूलहसन जैसे मिस्टर रहे हैं आप के पास क्या है एक काम का आदमी था, आप ने उसे राज्यपाल बना दिया

आर0एस0एस0 ने राष्ट्रीय मुस्लिम मंच बनाया परन्तु उसका नेतृत्व आतंकवाद में बदनाम ब्राह्मण के हाथ में दे दिया आप कर क्या सकते हैं आर0एस0एस0 केवल ब्राह्मण हितों पर ही विश्वास कर सकती है। आपका मंच कांग्रेस के मुल्लाओं की जगह नहीं ले सकता।

 

 

जिस प्रकार हर सेना को पांचवे कालम की ज़रूरत पड़ती है, उसी प्रकार राजनीति में जो वर्ग टाग्र्रेट होते हैं, उनमें पांचवें कालम के बिना कुछ नहीं हो सकता नहरू ने दलितों में डाॅ0 अम्बेडकर के मुकाबले के लिए बाबू जगजीवन राम को काफी समझा, परन्तु मुस्लमान ही ब्राह्मण का मुकाबला नाच गाने तक में भी कर सकता था उसके लिए नहरू ने मदनी परिवार को पकड़ा उसे आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाया उनकी जमियत को मज़बूत किया उसके साथ कुछ मिस्टरों को भी पकड़ा। यदि मदनी परिवार नेहरू परिवार की मदद न करता तो वह मुस्लमानों को परास्त करने में सफल न होता यही उनका पांचवां कालम था। मैं यह मानता हॅू कि सी0ए0ए0 से धर्म निर्पेक्षता को नुकसान होगा, परन्तु किसी वर्ग का नुकसान नहीं एन0पी0आर0 दो बार हो चुका है, परन्तु पूर्व सांसद होने के बावजूद मेरे पास कभी कोई आया नहीं।

 

 

मौजूदा, नमक हराम, सरकारी नौकरों द्वारा कुछ नहीं हो सकता वह केवल जनता की जेब काटने में माहिर हैं। दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र को जो लोग 75 साल में जब सही वोटर लिस्ट नहीं बना सके उनके बल पर आप सी0ए0ए0, एन0पी0आर0 तथा एन0आर0सी0 क्या करा लेंगे। पुलिस स्टेट के मुख्यमंत्री ने चुटकी बजाकर बत्तीस हज़ार नएनागरिकों की सूची भी बना ली इसके लिए भारत सरकार को नोबिल प्राइज़ की सिफरारिश करनी चाहिये मेरा चुनाव क्षेत्र तराई क्षेत्र में पड़ता है जहां इन्दिरा गांधी ने भारी मुस्लिम आबादी का लोड कम करने के उद्देश्य से वन विभाग की 5-5 एकड़ ज़मीन देकर बंगलोदशी ब्राह्मणों को तथा पूर्वांचल के दलितों व पिछड़ों को बसाया था।

वह लोग पहले दिन से वोटर हैं मतदाता नागरिक हैं, मैंने इनमें सड़के बनाई हैं स्कूलों को पैसा दिया है उन्हें अब 50 साल बाद योगी जी कौन सी नागरिकता दिला रहे हैं।

 

 

इस ज़माने में किसी वर्ग को एक सीमा से अधिक नहीं दबाया जा सकता मुस्लमानों को नहरू परिवार जितना दबा चुका उससे अधिक दबाना सम्भव ही नहीं है न ही समाजहित में है। आप में ब्राह्मण परिवार जैसी क्षमता भी नहीं है। क्या आप में यह क्षमता है कि राज्य को बाईपास कर किसी मुरादाबाद की ईदगाह में सीधे पी0ए0सी0 कमान्डेंट को आदेश देकर फाइरिंग करा कर 200 लोगों को मरवा कर उसे साम्प्रदायिक दंगा कहे जबकि उस जगह एक भी हिन्दू न हो और दंगों की जिम्मेदारी पाकिस्तान तथा पेट्रो डालर पर डालें। यदि आप यह कर भी सकें, तो उसके बाद धर्म निर्पेक्षता का अलगोज़ा बजाते रहने की क्षमता तो नहीं ही है।

 

 

क्या आप मलियाना में बिना किसी झगड़े के दिन दहाड़े फायरिंग करा कर बड़ी संख्या में लोगों को मरवा सकते हैं। क्या हाशिमपुरा से तीन दर्जन मुस्लमानों को उठाकर उन्हें पी0ए0सी0 से नहरों नदियों के किनारे हत्या करा कर उनकी लाशों को पानी में बहाने की हिम्मत जुटा सकते हैं। यदि यह करा भी सकें, तो उसके बाद भी धर्म निर्पेक्षता का ढोल पीटने की आपमें क्षमता है ही नहीं आप यह बात याद रखें कि नहरू व इन्दिरा की भांति आप ब्राह्मण नहीं है, हिन्दुत्वा में किसी जुर्म पर ब्राह्मण को सज़ा नहीं दी जा सकती कारण दुनिया में कुछ है ईश्वर ने ब्राह्मण के लिए ही बनाया है यदि वह किसी शूद्र का कुछ छीन लेता है, तो वह उसकी का तो है।

 

 

अभी आप के पास समय है मुख्यमंत्री की हैसियत से आप ने देर से सही जो रास्ता गुजरात में अपनाया था वही रास्ता पूरे देश के लिए सही है।

अंत में मैं यह बात साफ कर दूं कि मुस्लमान हो दलित हो कोई नरेन्द्र दामोदर दास मोदी का विरोधी नहीं सब आर0एस0एस0, वी0एच0पी0 विचार धारा के विराधी हैं। अभी आप के पास समय है यदि चाहें, तो गलत फहमियां दूर हो सकती हैं, आप सत्ता में है इस कारण गलत फहमियां केवल रामलीला मैदान के भाषण से दूर नहीं होंगी उसके लिए आपको कुछ करना भी होगा। सी0ए0ए0 लागू हो चुका है एन0पी0आर0 जिस तरह दो बार हो चुका है उस प्रकार सौ बार हो, तो भी फर्क नहीं पड़ता आप सी0ए0ए0 में धर्म की शर्त निकाल कर उसे संविधान से जोड़िये फिर जिसे उचित समझें नागरिकता दे जिसें चाहें न दें। तारिक फतेह, तसलीमा नसरी को भी न दें।

 

 

एन0आर0सी0 की ज़रूरत आसाम में थी, उसे आसाम तक सीमित रखें तथा राष्ट्र को सम्बोधन में यह घोषणा करें कि असम नार्थ ईस्ट के बाहर कहीं एन0आर0सी0 नहीं होगी, जो बंगला देशी हमारे कुछ नगरों में हैं वह इतने दिनों में स्वयं से चले जाऐं, वरना जबरन निकाल बाहर करने के लिए हमारे पास कानून पहले से मौजूद है। इतना करते ही सारी गलत फहमियां अपने आप दूर हो जायेंगी भारत सरकार को अपनी सारी एनेर्जी अािर्थक सुधार पर लगानी चाहिये इसी में सबकी भलाई है। मैं केवल इतना चाहता हॅू कि देश की बागडोर कभी बेवकूफ हाथों में नहीं जानी चाहिये

 

 डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति वतन समाचार उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार वतन समाचार के नहीं हैं, तथा वतन समाचार उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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