चरमपंथ और अतिवाद के खिलाफ़ इम्पार के जरिए शुरू किए गए अंतरराष्ट्रीय मूवमेंट को देश और दुनिया के बड़े मीडिया संस्थानों ने प्रमुखता से अपने यहां जगह दी है. यूरोपीय मीडिया समेत कई देशों के मीडिया संस्थानों ने इसे अपने यहां प्रमुखता से जगह देते हुए समय की ज़रुरत बताया है. इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स की ओर से शुरू किए गए इस मूवमेंट की प्रशंसा करते हुए इंटरनेशनल मीडिया ने कहा है कि इस तरह के मूवमेंट समय की जरूरत है, क्योंकि आज दुनिया चरमपंथ और अतिवाद से जूझ रही है. इसलिए एक्सट्रीमिस्म के खिलाफ दुनिया को एकत्र होना और इसके विरुद्ध आवाज उठाना जरूरी है.
ज्ञात रहे कि 1000 से अधिक भारत के प्रमुख मुसलमानों और दुनिया के अलग-अलग देशों में रह रहे भारतीय मूल के मुसलमानों के ज़रिये शुरू की गई इम्पार नामी संस्था की ओर से चरमपंथ के खिलाफ शुरू किए गए इस ग्लोबल लॉन्च की दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है और इसे समय की मांग बताया जा रहा है.
इम्पार के अध्यक्ष डॉ. एम जे खान ने भी दुनिया भर के लोगों से इस ग्लोबल लॉन्च को सहयोग करने की अपील करते हुए कहा है कि वह एक मिलियन हस्ताक्षर एकत्र करने और संयुक्त राष्ट्र में जमा करने के लिए आज से "चरमपंथ (अतिवाद) के खिलाफ वैश्विक आंदोलन" शुरू कर रहे हैं. इम्पार ने कहा है कि वह सभी समान विचारधारा वाले लोगों को शांति, न्याय और मानवता के लिए सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस आंदोलन में शामिल होने और समर्थन करने का आह्वान करती है।
इम्पार ने कहा है कि इस चुनौती को महसूस करते हुए, जिनेवा सम्मेलन में 2016 के फरवरी में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने व्यापक वैश्विक दृष्टिकोण का आह्वान किया, जिसमें न केवल आवश्यक सुरक्षा-आधारित आतंकवाद-रोधी उपायों को शामिल किया गया, बल्कि उन अंतर्निहित स्थितियों को दूर करने के लिए व्यवस्थित निवारक कदम भी अपनाने पर बल दिया जो व्यक्तियों को कट्टरपंथी बनाने और हिंसक चरमपंथी समूह से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इम्पार ने कहा है कि भारत सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से दुनिया का सबसे विविध देश है, जिस में सिर्फ सभी धर्मों के अनुयायी ही नहीं बस्ते बल्कि चार बड़े धर्मों की जड़ें यहां मौजूद हैं। भारतीय में मुसलमानों की आबादी लगभग 200 मिलियन है, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। विशाल सामाजिक विविधता और बहुसंस्कृतिवाद के साथ-साथ दिलों को जोड़ने वाले सूफी संदेशों के जरिए से भारतीय मुसलमान बहु सांस्कृतिक समाजों में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए दुनिया को रास्ता दिखाने के लिए सबसे अनुकूल हैं.
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