BY MOHAMMAD AHMAD
इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के चुनाव के मद्देनजर उर्दू के कुछ अखबारों में सेंटर के मौजूदा अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी का आज यह बयान प्रकाशित हुआ है "आरिफ मोहम्मद खान अगर बातचीत कर लेते तो इलेक्शन की नौबत ही नहीं आती" इससे साफ संकेत है कि सिराजुद्दीन कुरैशी तर्क को जज़्बात से कुचलना चाह रहे हैं. यह सच है कि पिछले 15 सालों में इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर(IICC)में जो कुछ हुआ है उसका डायरेक्ट या इनडायरेक्ट क्रेडिट सिराजुद्दीन कुरैशी को जाता है, लेकिन लोग जिस तरह से उनको देने की कोशिश कर रहे हैं कि सिराजुद्दीन कुरैशी के बाद सेंटर यतीम हो जाएगा वह किसी भी तरह से मुनासिब नहीं है. आज ही के पेपर में मुशावरत के अध्यक्ष नावेद हामिद का भी बयान है जिस में वह सेंटर की मौजूदा बिल्डिंग को बनाने से लेकर बहुत सारी चीज़ों का क्रेडिट सिराजुद्दीन कुरैशी को देने की कोशिश कर रहे हैं.
मेरा मानना है अगर मुशावरत सच में मुसलमानों की अम्ब्रेला बॉडी है तो नावेद हामिद साहब को इस इलेक्शन से अलग हो जाना चाहिए और किसी का भी सपोर्ट नहीं करना चाहिए, हालांकि वह पूर्व में सलमान खुर्शीद को सपोर्ट दे चुके हैं, जो सिराजुद्दीन कुरैशी के खिलाफ लडे थे.
बहरहाल इतिहास गवाह है कि सेंटर को बनाने में सिराजुद्दीन कुरैशी के किरदार को धूमिल नहीं किया जा सकता है, लेकिन जिस तरह से सेंटर को सिराजुद्दीन कुरैशी के इर्द-गिर्द चलाने की कोशिश हो रही है उस से साफ जाहिर है कि जस्टिस हिदायतुल्लाह से लेकर अब्दुल रहमान साहब हकीम अब्दुल हमीद और मूसा रजा जैसे महान व्यक्तियों के किरदार को धूमिल किया जा रहा है.
यह भरम फैलाया जा रहा है कि सिराजुद्दीन कुरैशी के बाद सेंटर का क्या होगा? यह ऐसे ही है जैसे कि एक समय में यह भ्रम फैलाया गया था कि पंडित नेहरू के बाद भारत का क्या होगा. सिराज साहब क्या यह सच नहीं है कि आप ने इस्लामिक सेंटर को दिल्ली और एनसीआर का सेंटर बना कर रख दिया है और सेंटर के वह तमाम उद्देश जिसके लिए सेंटर बनाया गया था चाहे वह हिंदू मुस्लिम के बीच डायलॉग हो, हिंदू और मुसलमानों के बीच दूरियों को पाटना का मामला हो, एक थिंक टैंक बनाना हो, रिसर्च पेपर निकालना हो, जरनल निकाला हो, मैगजीन प्रकाशित करने का मामला हो या UPSC की परीक्षाओं की तैयारियां कराने का मामला हो उनको आप ने खत्म करदिया.
क्या आप दिवाली मिलान कर के हिन्दू मुस्लिम के बीच इत्तेहाद पैदा कर लेजाएंगे? या ईद मिलन से हिन्दू भाई इस्लाम को समझ लेंगे.
सिराज साहब क्या यह सच नहीं है कि आप की उम्र 71-72 साल हो चुकी है और सेंटर के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन में साफ तौर से लिखा हुआ है कि 25 से 75 की आयु के बीच का व्यक्ति ही सेंटर का अध्यक्ष या पदाधिकारी हो सकता है ऐसे में साफ है कि 2 साल बाद जब आप (सिराजुद्दीन कुरैशी) सेंटर से अलग कर दिए जाएंगे तो बीच में चुनाव कि नौबत आ जाये गी, ऐसे में इसका ज़िम्मेदार कौन होगा? क्या सेंटर इस के बाद यतीम हो जाएगा?
IICC के बराबर में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर है जब वहां लालू यादव को राजा कर्ण सिंह मेंबर नहीं बना सके और बोर्ड आफ ट्रस्टीज़ ने लालू यादव को मेंबर बनाने से साफ मना कर दिया तो उस वक्त राजा कर्ण सिंह ने अपना त्यागपत्र दे दिया था, वहीं दूसरी तरफ आप पर आरोप है कि मेंबर योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि आप की मर्ज़ी से बनाये जाते हैं
आप और आप के लोगों पर यह भी आरोप है कि 30 से 35 लाख रुपए सेंटर का बकाया है और मार्किट में आप के कुछ लोग यह भरम फैला रहे हैं कि लोग 2000 रुपया नहीं देते, जिन का भी बकाया है उनकी मेंबर शिप कैंसल क्यों नहीं की जाती है चाहे वह कितना बड़ा क्यों ना हो? क्या इस मामले में आप IIC से सीख नहीं ले सकते. आप पर आरोप है कि आप ने क़ुरैश बिरादरी के लोगों को थोक में मेंबर बनाया है अगर ऐसा है तो आप इस पर वाइट पेपर क्यों नहीं लाते? लोग कह रहे हैं सिराजुद्दीन कुरैशी साहब ने कई ऐसे लोगों को मेंबर बनाया है जिन्हों ने पैसे तक नहीं दिया और बाद में आप को खुद अपने पास से पैसा देना पड़ा, अगर यह सच है तो ऐसे लोगों को मेंबर बनाने की क्या जरूरत थी? जिस के प्रमाण भी लोगों के पास है.
ऐसा नहीं है कि आपने अच्छे काम नहीं किए हैं आपके अच्छे कामों की प्रशंसा होनी चाहिए आपने हमेशा लोगों की मदद की है खासतौर से ऐसे लोगों की जिनको वाकई आप के मदद की जरूरत थी जो हर जगह से ठुकरा दिए जाते थे उनकी आप मदद करते थे, लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं जो आप के लोग कर रहे हैं और वह आप की नेकियों को बर्बाद करना चाहते हैं?
सिराज साहब क्या यह सच नहीं है कि आप ने सेंटर के संविधान को बदलने की कोशिश की जिसे रजिस्टार आफ सोसाइटीज ने ठुकरा दिया? आपके अपने लोग भ्रम फैला रहे हैं कि सेंटर की इमारत को बड़ा करने की मंजूरी मिल चुकी है, जबकि यह सरासर झूठ है. हमें जितना मालूम है वह यह कि सिर्फ और सिर्फ अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री में एक एप्लीकेशन दी गई है. क्या इसे मंजूरी कहते हैं? सेंटर जो एक थिंक टैंक बनना था उसे अपने क्लब बना दिया. आपने एक नहीं अनेक बार कहा इस सेंटर को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जायेंगे उसकी इमारतें खड़ी की जाएंगी. क्या ऐसा हुआ?
मिल्लत में पैसा देने वाले लोगों की कमी नहीं है. एक नहीं लाखों लोग हैं लेकिन इस दिशा में भी आपने कोई काम किया?
आप खुद अकेले तन्हाई में गौर कीजिएगा और फिर फैसला कीजिएगा. आप के लोगों का यह भी कहना है कि 50 लाख रुपए लोन आप ने लिए, और बहुत कुछ गिरवी रख दिया, लेकिन सवाल यह है कि आप ने उसे 1 माह से पहले ही क्या सेंटर से वापस नहीं ले लिया? अगर इस पर एक व्हाइट पेपर आ जाए तो लोगों को समझने में आसानी होगी, क्या सेंटर सिर्फ कैंटीन कॉफी शॉप और गेस्ट हाउस का नाम है, वह भी आधा अधूरा, कि आदमी को रात में कॉफ़ी की जरूरत हो तो कैंटीन बंद. क्या सेंटर की लाइब्रेरी लाइब्रेरी कहने का हक़ रखती है? ऐसे अनेकों सवाल हैं जो आप से पूछे जाने चाहिए.
लोकतंत्र में खासतौर से इस्लाम के अंदर एक मुसलमान होने के नाते हर भारतीय मुसलमान की और वह तमाम लोग जो इस के सदस्य हैं वह आप से पूछने का हक रखते हैं. क्यों की आप ही अध्यक्ष हैं.
आप को सभी सवालों का जवाब देना चाहिए. एक बड़े और महान व्यक्ति की पहचान यही होती है. अगर आप सच में महान हैं तो आप को आरिफ मोहम्मद खान के पास जाना चाहिए था, क्यों कि उनका रूतबा आप से बड़ा हैं. अगर आप की बात सच है तो आप को चाहिए था कि एक पैगाम ही आरिफ मोहम्मद खान को भेज देते वह खुद आप से मिलने आ जाते.
फिर भी अगर आप चाहें तो अमेरिका की तरह खुले मंच पर एक डिबेट हो सकती है, जिस से आप दोनों लोगों (आरिफ मोहम्मद खान और सिराजुद्दीन कुरैशी) के विज़न को लोगों को समझने में आसानी होगी.
मुझे आशा है कि आप इन सवालों पर एक नहीं अनेकों बार गौर करेंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि आप मेरे सवालों का जरूर जवाब देंगे. मैं आपका विरोधी नहीं खैर खाह हूं, मुझे मोहब्बत से पिलाई हुयी आप की एक कॉफ़ी आज भी याद है. इस पत्र के लिखने के बाद आप के लोग मुझे आपका विरोधी कह सकते हैं, लेकिन याद रखिए मैं दिल से कह रहा हूं मेरा दिल बिल्कुल साफ है. आप की टीम में मेरे दो मोहसिन सफ़दर साहब (इन के बेटे अबूज़र हैं) और एसएम खान हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि आप जरूर इस पर गौर करेंगे और भविष्य के लिए कुछ बड़े फैसले लेंगे.
याद रखिए आप ने जो किया वो बहुत कुछ है और पिछले दस सालों में कुछ बड़ा काम शायद नहीं हुआ हैं. इस लिए नए लोगों को मौका दीजिए. आरिफ मोहम्मद खान एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक तहरीक का नाम है और मुझे आशा है कि अगर वह जीत जाते हैं तो सेंटर आप ही के ख्वाबों का एक मरकज बनेगा जिसे हकीम साहब और हिदायतुल्लाह साहब ने देखा था जो मूसा राजा का सपना हैं.
आप का अपना
मोहम्मद अहमद (एडिटर वतन समाचार)
मोबाइल नंबर: 09711337827 EMAIL:_ watansamachar@gmail.com
अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू
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