जामिया मिल्लिया इस्लामिया की डेंटिस्ट्री फैकल्टी ने 7 दिसंबर 2019 को पहली स्पार्क-एमएचआरडी कार्यशाला का आयोजन किया जिसका शीर्षक था ‘‘ ट्रेनिंग इन स्टैन्डर्डेड डेटा कलेक्शन एंड रिकॉर्ड मेंटेनेन्स ’।
इसमें देश भर से प्लास्टिक सर्जन, ओरल सर्जन और ऑर्थोडॉन्टिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट और बायोस्टैटिस्ट ने हिस्सा लिया।
वर्कशाॅप का आयोजन, देश भर में 5, 12 और 20 की उम्रों वाले क्लेफ्ट मरीज़ों के ‘‘ एवाल्यूशन आॅफ क्लेफ्ट केयर आउटकम आॅफ नाॅन सिंड्रोमिक यूनिलैटेरल क्लेफ्ट लिप (फांक होंट) एंड पैलट (तालू) (यूसीएलपी): द क्लेफ्ट केयर इंन इंडिया स्टडी‘‘ परियोजना के भाग के रूप में किया गया था।
इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य शिक्षा निदेशालय के एडीजी प्रोफेसर डॉ बी श्रीनिवास ने और जामिया की फैकल्टी ऑफ डेंटिस्ट्री, की डीन डॉ सरिता कोहली ने किया।
डॉ जोनाथन सैंडी और डॉ बद्री थिरुवेंकटाचारी कार्यशाला के इंटरनेशनल रिसोर्स पर्सन थे। ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में ऑर्थोडॉन्टिक्स के प्रोफेसर और यूरोप भर में ‘क्लेफ्ट कलेक्टिव यूके‘ की अगुवाई करने वाले डा जोनाथन सैंडी ने भारत में क्लेफ्ट रोगियों की विशाल संख्या के मद्देनज़र, इस रोग पर काबू पाने के लिए विशेष उपाय करने पर ज़ोर दिया।
परियोजना के इंटरनेशनल प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर , मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के प्रो बद्री थ्रीवेंकटचारी ने इसमें हिस्सा लेने वालों को डेटा संग्रह और रिकॉर्ड रखने के मानकीकरण तरीकों का प्रशिक्षण दिया।
इसमें क्लेफ्ट रोग संबंधी पूरे भारत में 27 प्रमुख केंद्रों में आपसी सहयोग क़ायम किया गया और के रोगियों की देखभाल के मानक का आकलन करने के लिए आवश्यक डेटा बनाने पर सहमति बनी।
प्रो बी श्रीनिवास ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर क्लेफ्ट लिप और पैलट रोग की देखभाल में सुधार के लिए प्रोटोकॉल और रणनीति तैयार करने के लिए आधारभूत आंकड़ों की आवश्यकता होती है।
प्रो.सरिता कोहली ने कहा कि इस तरह का क्लिनिकल ऑडिट सिस्टम बनाना समय की जरूरत है और यह चिकित्सकों का नैतिक दायित्व है कि वे उनके द्वारा किए गए उपचार का आकलन करें और मानकों में लगातार सुधार करें।
इस परियोजना में डेटा साझा करने के लिए विकसित पोर्टल का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. बी. श्रीनिवास ने किया।
इस परियोजना के भारतीय इंवेस्टीगेटर, जामिया के ऑर्थोडॉन्टिक्स विभाग और ओरल सर्जरी विभाग, फैकल्टी ऑफ डेंटिस्ट्री, के डॉ पंचाली बत्रा, (इंडियन पीआई), डॉ, देबोराह सिबिल (इंडियन को-पीआई) थे। इनके अलावा वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल में प्लास्टिक सर्जन डा दीपक नंदा भी इसमें शामिल थे।
सुश्री ममता कारोल, उपाध्यक्ष और क्षेत्रीय निदेशक, एशिया पैसिफिक, स्माइल ट्रेन ने अपने संगठन द्वारा भारत में क्लेफ्ट केयर में किए जा रहे कार्यों को विस्तार से बताया।
परियोजना के सलाहकार और इंडियन सोसाइटी फॉर क्लेफ्ट लिप पैलेट एवं क्रानियोफेशियल विसंगतियों के विशेषज्ञ, डॉ पुनीत बत्रा, ने जांचकर्ताओं को प्रोत्साहित किया और परियोजना को पूर्ण समर्थन देने काआश्वासन दिया।
डॉ कृष्णमूर्ति बोन्थैया, इंडियन सोसाइटी फाॅर क्लिफ्ट लिप पैलेट और क्रानियोफेशियल एनामलीज़ की निर्वाचित अध्यक्ष और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल काउंसिल में वरिष्ठ सलाहकार और बायोस्टेटिस्टिशियन डॉ. डी के शुक्ला ने ऐसे महत्वपूर्ण सुझाव दिए जो परियोजना को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
डॉ पांचाली बत्रा ने बताया कि इसी तरह की परियोजनाएँ यूरोप और अमेरिका में बनी हैं और उनके नतीजे बहुत अच्छे रहे हैं।
इंवेस्टीगेटर्स को केंद्र के साथ एक सफल सहयोग की उम्मीद है और उनका मानना है कि परियोजना के अंत में प्रकाशित होने वाले मोनोग्राफ से भारत में बेहतर क्लिफ्ट लिप पैलेट का
उपचार हो सकेगा।
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