जामिया मिल्लिया इस्लामिया के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क और सेंटर फॉर अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट एंड रिसर्च ने ‘‘इम्पैक्ट आॅफ कोविड -19 ऑन मार्जिनिनलाइज्ड चिल्ड्रन एंड द वे फॉरवर्ड ‘’ विषय पर 28 अगस्त, 2020 को संयुक्त रूप से एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया।
कोविड -19 महामारी जैसे एक वैश्विक संकट और सामाजिक रूप से पिछड़े और हाशिए के समुदायों के बच्चों पर इसके पड़ रहे असर को ध्यान में रखते हुए इस वेबिनार का आयोजन किया गया था। बेघर, प्रवासी और सड़कों पर रहने वाले बच्चों को सुरक्षा और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खतरों का सामना हर दिन करना पड़ता है। यह हालात महामारी के दौरान कई गुना बढ़ गए हैं।
डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क की प्रमुख प्रोफेसर अर्चना दस्सी ने इस वेबिनार का संचालन और समन्वय किया।
जामिया की कुलपति, प्रो नजमा अख्तर इसकी मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने इस बारे में बात की कि कैसे हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्ग के बच्चों को सुरक्षा जाल से बाहर गिरने का खतरा है। कोविड -19 के चलते राष्ट्रव्यापी लाकडाउन के बाद, दैनिक और प्रवासी मजदूरों को बड़े पैमाने पर प्रवासन के चलते बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, पोस्ट लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा शुरू हुई लेकिन इसके लिए इन गरीब बच्चों के लिए कोई तैयारी नहीं थी, क्योंकि उनके पास स्मार्ट फोन और अन्य जरूरी गैजेट्स जैसे साधन नहीं थे। इससे शिक्षा मामले में भी हाशिए पर रहने वाले बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रह गए। इसके अलावा, घरेलू हिंसा, बाल श्रम और बाल विवाह की समस्याओं ने पहले से ही कमजोर वर्ग वाले हाशिए के बच्चों को और अधिक उपेक्षित बना दिया।
प्रो. अख्तर ने बाल केंद्रित संगठनों और सरकार की तरफ से हाशिए पर पड़े बच्चों के लिए जरूरी कदम उठाने की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में बच्चों की सबसे अधिक आबादी है, इसलिए उन पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
वेबिनार में बाल अधिकारों से जुड़े चार विशेषज्ञों ने वक्ताओं के रूप में हिस्सा लिया। पहली वक्ता, सुश्री रीता पनिकर (संस्थापक और निदेशक, बटरफ्लाईज़, इंडिया) ने कोविड 19 महामारी के दौरान सड़कों पर गुजर बसर करने वाले कमजोर वर्ग के बच्चों के हालात का विश्लेषण प्रस्तुत किया।
श्री आफताब मोहम्मद (यूनिसेफ के मुख्य संरक्षण विशेषज्ञ) ने केस स्टडी की मदद से प्रवासी बच्चों की असुरक्षा के हालात के बारे में बताया। उन्होंने अपनी मार्मिक प्रस्तुति में बताया कि बाल विवाह और तस्करी जैसे कुछ मुद्दे कानून और व्यवस्था की समस्याएँ नहीं हैं, बल्कि ऐसी समस्याएँ हैं जहाँ व्यवहार परिवर्तन की जरूरत होती है। उन्होंने इस महामारी में बच्चों द्वारा सामना की जा रही परेशानियों से निपटने के लिए पेशेवर सामाजिक कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विस्तार से बताया।
वेबिनार की तीसरी वक्ता डॉ किरण मोदी (संस्थापक और प्रबंध ट्रस्टी, उदयन केयर) ने मुख्य रूप से सीसीआई (चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशंस) में रहने वाले उन बच्चों पर अपना ध्यान केंद्रित किया, जो माता-पिता की देखभाल से वंचित हैं और इसलिए संस्थागत देखभाल उनके लिए एकमात्र विकल्प है। उन्होंने सीसीआई में रहने वाले बच्चों के लिए मनो-सामाजिक परामर्श के महत्व पर जोर दिया क्योंकि वे बचपन में प्रतिकूल और दर्दनाक अनुभवों से गुजरते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी जैसे हालात में ऐसे बच्चों के भीतर भय और बढ़ जाता है। उन्होंने ऐसे बच्चों के जोखिमों को कम करने के लिए कुछ सुझाव साझा किए।
श्री प्रभात कुमार (नेशनल थेमैटिक मैनेजर- बाल संरक्षण) ने स्लम क्षेत्र में रहने वाले परिवारों की परेशानियों पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आपदाओं में आने वाले कुछ दिशानिर्देश और नीतियां कैसे भेदभावपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, सोशल डिस्टेन्सिंग, घरेलू क्वारंटीन और स्वच्छता पर ध्यान दिया जाना आदि, इस महामारी से बचने की महत्वपूर्ण चीजे हंै, लेकिन बेघर आबादी या स्लम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा, इसके अलावा, मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श सेवाएं कभी भी ऐसे हाशिए पर रहने वाले परिवारों तक नहीं पहुंचती हैं।
आखिर में, प्रो जुबैर मीनाई (जामिया के मानद निदेशक, सेंटर फॉर अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट एंड रिसर्च) ने वेबिनार में हुई चर्चाओं और सुझावों का सारांश पेश किया।
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.