जामा मस्जिद मामला, संसद में मोदी सरकार: अब नहीं करायेंगे जामा मस्जिद की मरम्मत, बदले सुर
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की ओर से संसद में बयान दिया गया है कि केंद्रीय सरकार दिल्ली की जामा मस्जिद की मरम्मत नहीं कराएगी. सरकार की तरफ से इसके लिए दलील दी गई है कि यह मस्जिद आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधीन नहीं आती है, लेकिन अहम बात यह है कि दिल्ली की जो मस्जिदें ASI के अंतर्गत आती हैं उनमें से भी अक्सर की हालत काफी खराब है. खिड़की वाली मस्जिद समेत कई मस्जिदें ऐसी हैं कि उसमें धूल पड़ी हुई है और चमगादड़ की लीद से मस्जिद दूषित हो चुकी है और सरकार को इस की खबर भी नहीं है और उनकी हालत बेहद खराब है.
बीते रोज इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स की एक टीम के साथ वतन समाचार ने भी कई मस्जिदों का दौरा किया था जिसमें यह बात सामने आई थी कि ASI के अंतर्गत आने वाली मस्जिदें में भी अच्छी हालत में नहीं है. इन में नमाज पढ़ने की अनुमति तो नहीं है, लेकिन नई उम्र के लड़के लड़कियों के आने की अनुमति जरूर है.
वह इन मस्जिदों की पवित्रता को दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. हमारा समाज की रिपोर्ट के अनुसार राज्यसभा में पीवी अब्दुल वहाब के सवालों का जवाब देते हुए मीनाक्षी लेखी ने संसद को बताया कि यह मस्जिद ASI के तहत नहीं आती है, इसलिए दिल्ली की जामा मस्जिद की मरम्मत सरकार नहीं करा सकती है. ज्ञात रहे कि इन दिनों जमा मस्जिद की दुर्दशा पर दुनिया भर में रिपोर्ट छप रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शाही जामा मस्जिद की दीवारों में पड़ती दरारों और बारिश के मौसम में लपकती छतों से शाही इमाम और पूरा मस्जिद का अमला परेशान है. दुनिया भर में मस्जिद से मोहब्बत रखने वाले लोग भी बेचैन हैं.
बीते रोज दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमतुल्लाह खान ने भी मस्जिद का दौरा किया था, जिसके बाद शाही इमाम ने उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया था. उसके बाद दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इंजीनियरों के एक बड़े ग्रुप को मस्जिद में भेजा था और अमानतुल्लाह खान ने इस बात का आश्वासन दिया था कि वह जरूर मस्जिद की मरम्मत का काम करेंगे, हालांकि सरकार के मत से शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है कि 1956 से लेकर 30 वर्षों तक जमा मस्जिद की मरम्मत कराई जाती रही थी, तो क्या यह उस वक्त आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधीन थी.
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी 2 साल पूर्व इसकी मरम्मत कराई थी लेकिन अब सरकार का मत दुखद है. उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद को आजादी से पहले अंग्रेजों ने, हादराबाद और रामपुर और लखनऊ के नवाब ने मरम्मत कराई थी. अब्दुल्ला बुखारी ने मौलाना आजाद और पंडित नेहरू से कह कर स्पेशल केस के तौर पर इसकी मरम्मत कराई थी. तब भी तो मस्जिद ASI में नहीं थी. शाही इमाम ने कहा कि जो मस्जिद ASI के कंट्रोल में है उनमें नमाज़ की अनुमति नहीं है तो हम कैसे इसको एएसआई में शामिल कर लेते. उन्होंने कहा कि अल्लाह का सहारा है, वही कोई न कोई इंतजाम करेगा.
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