नयी दिल्ली: 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा सपा और रालोद गठबंधन के धौरहरा 29 से उम्मीदवार और हाथी के निशान से अपनी क़िस्मत आज़मा रहे अरशद सिद्दीकी की लोकप्रियता में न सिर्फ दिन-ब-दिन बढ़ोतरी हो रही है बल्कि इस सीट पर अब गठबंधन के सामने बीजेपी और कांग्रेस काफी पीछे छूट चुके हैं. सियासी पण्डितों का मानना है कि अरशद को अपने पिता इलियास आज़मी की लोकप्रियता का काफी फ़ायदा मिलेगा, जो शाहाबाद लोकसभा से 2 बार संसद जा चुके हैं, और उन के 70 साल के सियासी जीवन में उन पर कोई दाग नहीं है और बेटे अरशद को भी लोग इसी से जोड़ कर देख रहे हैं.
इस सीट के जानकारों का मानना है कि इस पर सबसे ज्यादा मजबूत पकड़ अरशद सिद्दीकी की है और गठबंधन के बाद अरशद सिद्दीकी के पास सीधे सीधे कुल वोट का 60-65 फीसद वोट अरशद के हक़ में है. और आंकड़े भी इस कि पुष्टि करते हैं.
Party Candidate Votes % ±
BJP Rekha Verma 3,60,357 33.99
BSP Daud Ahmad 2,34,682 22.13
SP Anand Bhadauriya 2,34,032 22.07
INC Jitin Prasada 1,70,994 16.13
AITC Lekhraj 12,776 1.20
उनका कहना है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी) के जितिन प्रसाद के बीजेपी में जाने को लेकर के मीडिया में जो खबरें चली हैं उस से उनको भारी नुकसान हुआ है, और वह इस सीट पर अलग थलग पड़ चुके हैं. उनका यह भी कहना है कि प्रसाद के भाजपा में जाने की खबरें कोई आज की नही हैं बल्कि पिछले 1 साल से चल रही हैं और जितिन के परिवार के लोग भी बीजेपी में हैं इसने जितिन प्रसाद को काफी नुकसान पहुंचाया है.
राजनीतिक पंडित यह मानते हैं कि जितिन प्रसाद का धौराहरा को छोड़ने का मन बना लेना और फिर यह खबर आना कि जितिन सीता पुर और खीरे से लड़ना चाहते हैं या जितिन सीतापुर और खीरी से मुस्लिम प्रत्याशी नही चाहते हैं इस से मुसलमानों और पिछड़ों में काफी रोष हैं.
ज्ञात रहे कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से जितिन को लखनऊ से लड़ने का ऑफर मिला, लेकिन उस को उन्हों ने ठुकरा दिया और इस शर्त पर धौरहरा लौटे कि हारने की सूरत में उनको पार्टी राज्य सभा दे, जबकि UP से कांग्रेस किसी को भी राज्य सभा देने कि POSITION में नही हैं.
धौरहरा में यह आम हैं कि यह बड़े दुःख की बात हैं कि मुसलमानों और दूसरे दबे कुचले समाज के लोगों का वोट तो जितिन को चाहिए लेकिन उनके लोगों का संसद/ मंत्री बनते हुए उनको गवारा नहीं है. मीडिया में खबरें चली थीं कि जितिन प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट से सीतापुर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं हालांकि बाद में यह भी खबर आई कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें स्पष्ट शब्दों में यह कह दिया कि वह धौराहरा या फिर लखनऊ में से किसी एक को चुन सकते हैं, लेकिन इस पर जितिन ने कोई रद्दे अमल जारी नही किया जिस से उनकी पोजीशन काफी खराब हुयी है.
लोगों का मानना है कि राज्यसभा का ऑफर जितिन को दिया जाना यह दर्शाता है कि कहीं ना कहीं जितिन प्रसाद पूरी तरह से बैकफुट पर हैं. लोगों का यह मानना है कि इस सीट पर गठबंधन इसलिए सबसे ज्यादा मजबूती से लड़ रहा है, क्योंकि शाहाबाद लोकसभा सीट से इलियास आजमी मौजूदा धौरहरा की आधी आबादी की नुमाइंदगी कर चुके हैं और शाहाबाद की आधी आबादी परिसीमन के बाद धौराहरा में चली गई थी और इलियास आजमी की छवि न सिर्फ दलितों मुसलमानों बल्कि अपर कास्ट के लोगों में भी काफी बेहतर है और उन्हें समाज के सभी वर्ग के लोगों का सम्मान प्राप्त है.
लोगों का यह भी कहना है कि जितिन के 2009 में जीतने के बाद धौरहरा में विकास के काम काफी तेज़ी से हुए थे लेकिन इस का सेहरा इलियास आजमी को जाता है क्यों कि उन्होंने 2004 में शाहाबाद से जीतने के बाद सारी सड़कें पास करा दी थीं और इसके प्रमाण मौजूद हैं. इलियास आजमी ने समाज के हर वर्ग के लोगों को लाभान्वित करने का काम शुरू से आज तक किया है ऐसे में उनके हारने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है.
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