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केजरीवाल राज: 40 दिन से कोरंटीन सेंटर में बंद तब्लीग़ी जमाअत के लोगों के घर पहुंचने की राह का सच!

जमीअत की कोशिश से दिल्ली के क्वारंटाइन सेण्टर में एक महीने से ज़ियादा से बंद तब्लीग़ी जमात के लोगों के घर पहुंचने का मार्ग प्रशस्त, जमीअत के कार्येकर्ता उनकी वापसी केलिए काम कर कर रहे हैं

By: वतन समाचार डेस्क
फाइल फोटो
  • केजरीवाल राज: 40 दिन से कोरंटीन सेंटर में बंद तब्लीग़ी जमाअत के लोगों के घर पहुंचने की राह का सच!
  • जमीअत की कोशिश से दिल्ली के  क्वारंटाइन सेण्टर में एक महीने से ज़ियादा से बंद तब्लीग़ी जमात के लोगों के घर पहुंचने का मार्ग प्रशस्त, जमीअत के कार्येकर्ता उनकी वापसी केलिए काम कर कर रहे हैं


नई दिल्ली: तबलीगी जमात से जुड़े लोग जो पिछले 40 दिनों से दिल्ली के विभिन्न कोरंटाइन सेंटर्स में अपनी छुट्टी की प्रतीक्षा कर रहे थे। जमीयत उलमा ए हिंद के प्रयासों से अंततः उनके अपने घर पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस संबंध में डीडीएमए के निर्देशों के बाद दिल्ली सरकार ने अपने राज्य में रह रहे तबलीगी जमात के सदस्यों को डिस्चार्ज करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी। अब लगभग 2,000 से अधिक तबलीगी कार्यकर्ताओं के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह किस तरह अपने वतन वापस जाएं।

 

 जमीयत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी के संरक्षण में जमीयत की एक विशेष टीम उनको उनके घर तक पहुंचाने के प्रबंध में लग गई है। और इसके तहत मौलाना हकीमुद्दीन कासमी सचिव जमीअत उलमा ए हिंद के नेतृत्व में एक टीम ने वजीराबाद, मंडोली और सुल्तानपुरी के क्वॉरेंटाइन सेंटर्स पहुंचकर डिस्चार्ज किए गए तबलीगी सदस्यों से मुलाकात की और उनको घर के लिए रवाना किया। तमिलनाडु आदि की जमात के लोगों को ट्रेन की व्यवस्था से ही घर भेजा जा सकता है। तमिलनाडु के 553  लोग दिल्ली में हैं। इनकी घर वापसी से संबंधित कार्यालयी कार्यों में तेज़ी लाने के लिए भी जमीयत उलेमा की टीम दिल्ली के विभिन्न डीएम से संपर्क में है। इस  तरह बिहार, यूपी, उड़ीसा इत्यादि से संबंधित तबलीगी सदस्यों को भी घर पहुंचाने का प्रबंध किया जा रहा है। जमीयत उलमा के ज़िम्मेदारों ने जब तबलीगी सदस्यों को यह बताया कि उनकी छुट्टी का परवाना लेकर वह पहुंचे हैं। तो वह बहुत खुश हुए। कोरंटाइन सेंटर की पीड़ा जनक स्थिति से निकलना उनके लिए एक खुशी थी। रमज़ान उल मुबारक के अवसर पर और फिर कोरोना वायरस के भय के साये में अपने प्रियजनों से अलग हो कर रहना एक दुखद अनुभव साबित हुआ। अपनी सेवाओं के बीच तबलीग से जुड़ीं बहुत सारी औरतें थीं जिन्होंने जमीयत उलेमा ए हिंद से मांग की कि उनके शौहर (पति ) को दूसरे स्थान पर रखा गया है।

 

जमात में अधिकतर घरेलू औरतें होती हैं जो अपने साथी के बिना बाहर रहने की कल्पना भी नहीं कर सकतीं, वह अत्यधिक दुखी और परेशान थीं। बाद में जमीयत उलमा के प्रयासों से वह अपने पतियों के कोरोनटाइन सेंटर स्थानांतरित कर दी गईं। इस तरह वजीराबाद, मंडोली सेंटर्स में खाने पीने, इफ्तार और सहरी आदि को लेकर कई तरह की परेशानियां थीं। वहां पर भी जमीयत उलेमा रमज़ान के पहले दिन से इफ्तार और सहरी पहुंचा रही है।
अब जबकि वह रिहा हुए हैं। यह हमारे लिए खुशी की बात है कि हम उनको घर तक पहुंचाने का प्रबंध करें। जमात के अधिकतर लोग सीधे सादे होते हैं उनकी सादगी ही कई बार उनके लिए परेशानी का कारण बनी। उनकी सादगी को मक्कारी समझा गया और उनको अपमानित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा गया। इन सारे हालात में जमीयत उलेमा ए हिंद ने सदैव प्रभावितों की सहायता की है। इतना ही नहीं बल्कि जमीयत उलेमा लाकडाउन के इस समय में देश और कौम की हर संभव सेवा करती रही है। जरूरतमंदों तक राशन और खाना पहुंचाने को देश व्यापी स्तर पर अभियान के रूप में लिया है। आज जमात के सदस्यों को विदा करने के समय जो लोग उपस्थित रहे उनमें मौलाना हकीमुददीन कासमी के अलावा मौलाना गययूर अहमद कासमी, मौलाना इरफान कासमी, मौलाना जमाल कासमी, वाअज अमन, मौलाना दिलशाद सुल्तानपुरी दिल्ली, हाजी मोहम्मद नसीम, मौलाना असजद कासमी पसोंडा आदि के नाम शामिल हैं।

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