कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आज कहा है कि हमने सरकार द्वारा दिल्ली में रहने वाले और देश के अन्य राज्यों में रहने वाले, सेल फोन इस्तेमाल करने वाले दस लाख लोगों का डेटा रिकार्ड, उनकी निजी जानकारी की निरंतर मांग से उनके प्राइवेसी के अधिकार के हनन का विषय उठाया है, वो गैर कानूनी है। इसके बारे में सरकार की जो गाइडलाइन है, कानून है, ये उसका उल्लंघन करती है। गाइडलाइन बड़े स्पष्ट है कि उसमें जो निर्देश है कि गृह सचिव का उस पर ऑर्डर होना चाहिए। गृहसचिव के निर्देश के बाद ही लिखित में इस तरह का रिकार्ड मांगा जा सकता है, वो भी जो कानून से संबंधित लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसीज और उस पर जो सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस, वही उसको लेगा और उसके बाद डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के संज्ञान में लायेगा। हमने ये मांग भी की है कि सारे ऑर्डरर्स चाहे वो डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स के हैं या गृह सचिव के, वो सदन में रखे जाएं, जो सरकार ने उत्तर दिया है, हम उससे संतुष्ट नहीं है। जो सरकार कर रही है, उससे गंभीर शंकाए पैदा हुई हैं और सरकार ने अभी तक जो भी स्पष्टीकरण दोनों सदनों में दिया है, वो पर्याप्त नहीं है। ये विषय हम उठाना चाहते थे।
सदन के अंदर, कल भी और आज भी, एक दूसरा विषय भी उठा है। वो विषय सदन के चलने का है, जिस तरह से एक तरफ आज कोरोना वायरस के बारे में प्रधानमंत्री देश को संबोधित करेंगे, जिस तरह की तैयारियां चल रही है, जो हमारे देश के अर्धसैनिक बल है, पैरामिलिट्री फोर्सज है, उनको निर्देश है वो क्वारंटाइन फैसेलिटिज करें। जो हमारे देश के संस्थान है, जो स्वास्थ्य से जुड़े हैं, हम उस पर काम कर रहे हैं, पर संसद में हजारों लोग यहां पर है, दुनिया भर में इस पर कार्रवाई हुई है। जब सरकार का निर्देश है कि एपिडेमिक्स एक्ट लागू कर दिया गया है, तो यहां हजारों लोग किस तरह से जमा हो रहे है। आम लोगों के लिए तो सारी तरह की पाबंदियां लग चुकी है, दिल्ली में भी और दिल्ली के साथ भी और पूरे देश के अंदर और पूरी दुनिया में जो हो रहा है आप देख रहे है। इसलिए ये सब लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की बात है कि सरकार अपने हठ पर कायम है। कोई ऐसा विषय नहीं है , कोई ऐसा बिजनेस नहीं है सदन के सामने, सिवाय फाइनेंस बिल पास करना है जो सरकार कल सुबह कर सकती है और उसके बाद उनको सदनों को स्थगित कर देना चाहिए।
On a question about the former Chief Justice of India, Shri Ranjan Gogoi's nomination to the Rajya Sabha just after four months of his superannuation, Shri Sharma said- We have strong objections and reservations because he is recently retired Chief Justice of India, who has given many controversial judgments. He himself, I have no hesitation to say, was a controversial Chief Justice and his acceptance and the Government’s appointment has raised bonafide questions about quid-pro-quo.
It has lowered the very dignity of the office that he had or rather disgraced judiciary. The constitutional scheme of things is very clear that the distancing between the Executive, the Parliament and the Judiciary. The earlier examples do not hold whatever, because those, who after 9 years or 7 years, here within 4 months this has happened and this former Chief Justice is on record for having said that post retirement appointment or accepting any position will be a scar on the independence of the judiciary. So, he himself has become an active party to that along with the Government and that’s why we protested. We feel what has happened is wrong; it severely undermines the independence of the judiciary. It sends a wrong message to all the present and future judges and therefore we, Congress and the other opposition, walked out.
एक अन्य प्रश्न पर कि आज जो श्री रंजन गोगोई ने शपथ ली उसके बाद हंगामा हुआ, शेम-शेम के नारे लगाए गए, पहली बार ऐसा हुआ है, क्या कहेंगे, श्री शर्मा ने कहा कि देखिए शायद ये पहली बार हुआ है कि एक विवादित मुख्य न्यायधीश, जो स्वंय घिरे रहे आरोपों में और विवादों मे, उन्होंने कई ऐसे फैसले सुनाए अपने कार्यकाल में जिसकी अपेक्षा देश की जनता नहीं करती थी, खासतौर पर भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित फंडामेंटल राइटस से संबंधित और कई सरकार के गलत फैसले जो हम सोचते हैं और जो लाए ये संशोधन संविधान के खिलाफ है, उसको भी इन्होंने हर प्रयास किया कि उसकी सुनवाई न हो, इस पर देरी हो, सरकार प्रसन्न रहे और इसके बाद उनको इनाम दिया गया है। 4 महीने के अंदर ही उनको राज्यसभा में सदस्य मनोनित किया गया, राष्ट्रपति के द्वारा। पहले स्वंय इन्होंने कहा था कि किसी भी जज की रिटायर होने के बाद किसी भी पद पर नियुक्ति नहीं होनी चाहिए और ना स्वीकार करनी चाहिए, क्योकि वो भारत के न्यायपालिका पर कलंक होगा। अब वो स्वंय उसके रूप में प्रकट हुए है, इसलिए हमने उसका विरोध किया है। ये भारत की न्यायपालिका की ज्यूडिशरी की स्वतंत्रता को चोट पहुंचाता है। एक गलत संदेश देता है, भारत के न्यायधीशों को इसलिए हमने वॉकआउट भी किया है विपक्ष ने और इस पर हमारा जो विरोध है वो दर्ज किया है।
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