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कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राजस्थान सरकार में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक विस्तृत मुलाकात की और दोनों नेताओं के बीच खुले माहौल में आजादाना तौर पर विस्तार से बातचीत हुई।
कांग्रेस पार्टी की ओर से इस बात का दावा किया गया है कि सचिन पायलट ने कहा है कि वह कांग्रेस पार्टी के हक में और राजस्थान कांग्रेस सरकार के हक में काम करेंगे। कांग्रेस पार्टी की ओर से यह भी कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से सचिन पायलट की मुलाकात के बाद कांग्रेस की मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला किया है कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तीन सदस्यों पर आधारित एक कमेटी गठित करेगी जो सचिन पायलट और नाराज विधायकों की समस्याओं को सुनेगी और उनका उचित हल निकालेगी।
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— IndiaToday (@IndiaToday) August 11, 2020
उधर सचिन पायलट की ओर से आज जारी एक बयान में कहा गया है कि उन्हें अशोक गहलोत के उनको निकम्मा कहने से काफी तकलीफ हुई है। #SachinPilot says I was hurt by Gehlot's 'nikamma' jibe, but my work speaks for itself. सचिन पायलट ने आगे कहा है कि उनका काम खुद बोलता है, उन्हें बोलने की जरूरत नहीं है।
जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट कांग्रेस के खिलाफ कोई कदम इसलिए भी उठाने से डर रहे थे, क्योंकि वो सिंधिया के अंजाम से भलीभांति अवगत थे और वह दूसरे सिंधिया नहीं बनना चाहते थे।
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी में सिंधिया का जो क़द था वह अब उनकी नई पार्टी में नहीं है। यहां वह फैसले लेने के लिए आजाद थे जबकि वहां ऐसा नहीं है। हालांकि इस बारे में अभी भी सिंधिया की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
उधर खबर यह आ रही है कि सचिन पायलट को कांग्रेस पार्टी की ओर से महासचिव बनाया जा सकता है और उन्हें पश्चिमी यूपी का पदभार दिया जा सकता है जो इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास था। खबर यह भी है कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पायलट से इस बात का वादा किया है कि वह आने वाले दिनों में उनको राजस्थान सरकार की कमान सौंप देंगे और इलेक्शन साल डेढ़ साल बाकी रहते ही उनको मुख्यमंत्री का पदभार दे दिया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी और पायलट के बीच में जो बातचीत हुई है वह काफी अच्छे माहौल में और खुले मन से हुई है और राहुल गांधी के हरकत में आने से ही राजस्थान कांग्रेस सरकार पर आने वाले संकट के बादल पूरी तरह से टल गए हैं। जानकारों का मानना है कि अगर राहुल गांधी पहले ही हरकत में आ गए होते तो कांग्रेस सरकार को इतनी दिक्कत नहीं होती, लेकिन इसके कारण क्या हैं और इसमें देरी क्यों हुई यह तो खुद राहुल गांधी और उनकी टीम के सदस्य ही बता सकते हैं।
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