ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग और रिसर्च को बढ़ावा देने की एक और अहम कोशिश में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की डा. ज़ाकिर हुसैन लाइब्रेरी (सेंट्रल लाइब्रेरी) ने, मौजूदा लॉकडाउन की स्थिति में छात्रों की पढ़ाई की सहूलियत के लिए अपने ई-पुस्तक संग्रह का और ज़्यादा विस्तार किया है।
तीन हज़ार से भी अधिक, इन ई-पुस्तकों को ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, स्प्रिंगर नेचर, विले, पीएचआई, पियर्सन, टी एंड एफ सहित कई जाने माने प्रकाशकों से लिया गया है। इन ई-पुस्तकों में समकालीन विषयों, क्लासिक ओरिएन्टेशन और पाठ्यपुस्तकें शामिल हैं।
जामिया के फैकल्टी सदस्यों ने बहुत सोच समझ कर इन ई-पुस्तकों को चुना है। इनमें रिसर्च मोनोग्राफ, एकेडमिक रिफरेंस, पाठ्यपुस्तकें, प्रोफेशनल्स और स्नातक तथा स्नातकोत्तर छात्रों की ज़रूरतों को पूरा कर सकने वाली ई-पुस्तकों पर खास ध्यान दिया गया है।
इन ई-पुस्तकों में विभिन्न विषयों की नवीनतम और सबसे आधिकारिक शोध कार्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली, अर्थशास्त्र और व्यवसाय, इतिहास, राजनीति, कानून, इंजीनियरिंग, वास्तुकला, कंप्यूटर और एपलाइड साइंसेज़ की पुस्तकें शामिल हैं।
लाइब्रेरी के इस नवीनतम संग्रह की खास बात यह है कि इसमें भारत की उर्दू, हिंदी, संस्कृत, अरबी और फारसी की दुर्लभ ई-पुस्तकें शामिल हैं। इससे छात्रों के एक बड़े हिस्से को बेहद फायदा होगा, जिनकी अब तक इस तरह की डिजिटल सामग्री तक पंहुच नहीं थी।
यह संग्रह, पाठकों को भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन सभ्यता के समय और उससे पहले तक का भी ज्ञान मुहैया कराएगा। भारत के गौरवशाली अतीत के कई सौ वर्षों में निर्मित, यह विशाल साहित्य दुनिया में भारत के बौद्धिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व को दर्शाने के साथ ही प्राचीन भारत के समृद्ध अतीत की भी गवाही देता है।
जामिया लाइब्रेरी यूज़र्स फ्रेंडली डिजिटल इंटरफ़ेस है जो स्कॉलर्स को उनकी ज़रूरतों के अनुरूप पाठन सामग्री मुहैया कराने में मदद करती है। यह अपने छात्रों की सोच को व्यापक बनाने और उनके रिसर्च को नए आयाम देने में मददगार है।
यह उल्लेखनीय है कि जामिया लाइब्रेरी, पहले से ही अपने रिसर्च उपयोगकर्ताओं को, उनके घरों तक लाखों फुल रिसर्च पेपर, सांख्यिकीय, वित्तीय डेटाबेस और अन्य सार्वजनिक डोमेन संसाधनों तक पहुंच प्रदान कराती है, जिससे उन्हें उनके शोध कार्यों में हमेशा मदद मिलती रहे।
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