नयी दिल्ली: हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के नतीजे संपन्न होने के बाद आकलन का दौर शुरू हो गया है. जहां भारतीय जनता पार्टी इन दोनों राज्यों में पहले के मुकाबले घाटे में है और हरियाणा में पूरी तरह बैकफुट पर है वहीं महाराष्ट्र में शिवसेना ने उसके लिए मुसीबत खड़ी कर दी है.
शिवसेना ने 50 - 50 का फार्मूला पेश करके भारतीय जनता पार्टी को चारों खाने चित कर दिया है. सूत्रों से मिल रही खबरों के अनुसार शिवसेना की ओर से यह कहा जा रहा है कि खुद देश के गृहमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 50 - 50 फार्मूले को सहमति दी थी. सूत्रों के अनुसार शिवसेना चाहती है कि पहले उसका मुख्यमंत्री हो और महाराष्ट्र में शिवसैनिकों ने पोस्टर लगाकर आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है.
सूत्रों के अनुसार शिवसेना 5050 के फार्मूले में पहले अपना मुख्यमंत्री चाहती है और वह किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है.
वहीं मुंबई कांग्रेस में भी अंदर खाने चर्चाएं तेज हो गई हैं. कांग्रेस के कुछ नेता इस बात को लेकर पूरी तरह से नाराज हैं कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन की क्या जरूरत थी. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि मुंबई के जिन कांग्रेसियों ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की वकालत की थी उन्हें हाईकमान को रिमांड में लेना चाहिए और उनको बर्खास्त करना चाहिए.
सूत्रों के अनुसार रीजनल कांग्रेस के कुछ मुस्लिम और दूसरे नेताओं के साथ-साथ केंद्र के कांग्रेस नेता भी इसमें शामिल थे और उनकी मंशा के साथ ही यह काम हुआ था. सूत्रों का मानना है कि अगर कांग्रेस पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करती तो उसकी 10 से 15 सीटें और बढ़ सकती थी. सूत्र बताते हैं कि समाजवादी पार्टी ने आधी दर्जन सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ा, जिस की वजह से कांग्रेस पार्टी और कमजोर हो गई.
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के जो नेता खुद अपनी सीट नहीं बचा सके वह समाजवादी पार्टी को जिताने में दिलचस्पी ज़्यादा रखते थे. सूत्रों का यह भी कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी ने इन नेताओं को फटकार लगाई थी और कहा था कि कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता भी हैं जो खुद तो 50 हज़ार वोटों से जीतते हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में कांग्रेस लोकसभा और निकाय चुनाव हमेशा हारती है. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में वह अपनी सीट भी नहीं बचा सके.
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी को हराने में विरोधी दलों से ज्यादा उसके अपने लोग ही जिम्मेदार हैं और अंदर खाने कांग्रेस पार्टी की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. यह काम वह खुद ना करके केंद्र के कांग्रेस नेताओं को विश्वास में लेकर के करते हैं. कांग्रेस नेतृत्व को ऐसे नेताओं का भी पता करना चाहिए जो कांग्रेस पार्टी को राज्य के साथ-साथ केंद्र में भी कमजोर कर रहे हैं.
सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी कई नेताओं को चिन्हित कर चुके थे और उनसे काफी नाराज थे जिसकी वजह से केंद्र और राज्य दोनों जगहों के कांग्रेस नेता उनका साथ नहीं दे रहे थे और वह अध्यक्ष होते हुए भी अलग-थलग पड़ते जा रहे थे.
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