जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने आज अपने एक बयान में कहा है कि ‘‘कोरोना वायरस’’ जैसी बीमारी ने जिस तरह पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है और वह उसके सामने बिल्कुल बेबस नज़र आती है, इससे एक बार फिर साबित हो गया कि इंसान अपने सभी तालीमी और वैज्ञानिक विकास के बावजूद इस अज़ीमत ताक़त के सामने कोई हैसियत नहीं रखता जो हर चीज़ का पैदा करने वाला है, इसके साथ ही उन्होंने देश के सभी नागरिकों से अपील की कि इस महामारी से खुद को सुरक्षित रखने के लिए सावधानी बरतें और इसको लेकर विश्व स्वास्थ संगठन ;ॅभ्व्द्ध और केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय की ओर से जो निर्देश जारी हुए हैं उनका न केवल खुद पालन करें बल्कि अन्य लोगों को भी इसका पालन करने को कहें।
उन्होंने कहा कि इतवार के दिन देश के सभी नागरिकां ने जिस तरह सावधानी और एकता का प्रदर्शन करते हुए अपने कारोबारी संगठन और कार्यालय बंद रखे यहां तक कि आम नागरिक भी बिला ज़रूरत अपने घरों से बाहर नहीं निकले यह कार्य प्रशंसनीय है। वास्तव में कोरोना वायरस का मुक़ाबला इसी तरह एकजुट होकर किया जा सकता है और इसमें हर नागरिक को आना योगदान देना चाहिये।
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में पहले भी बीमारियां महामारी का रूप लेती रही हैं। ‘‘कोरोना’’ भी एक महामारी है लेकिन देखते ही देखते उसने जिस तरह पूरी दुनिया को अब अपनी चपेट में ले लिया है इससे हर तरफ भय और आतंक का माहौल पैदा हो गया है, विश्व स्तर पर व्यावसायिक जीवन रुक सा गया है यहां तक कि अब लोग अपने घरों में ही बंद रहने पर विवश हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि मौत तो एक हक़ीक़त है और यह अपने निर्धारित समय पर ही होगी लेकिन हमें यह हिदायत की गई है कि हम जानबूझकर खुद को हलाकत में न डालें, फिर यह भी है कि इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है ऐसे में सावधानी ही इसका सबसे बड़ा इलाज है, हमें चाहिए कि साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें, दूसरों को भी इसके लिए जागरुक करें और डाॅक्टरों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह और निर्देश का भी पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति में ख़ुदा न करे इस बीमारी का कोई संकेत पाया जाए तो उसे चाहिए कि भयभीत न हो बल्कि किसी सरकारी अस्पताल में जाए और कोशिश यह करे कि दूसरे लोगों से मेल-मिलाप न करे।
डाॅक्टरों का कहना है कि यह बीमारी मेल-मिलाप से अधिक फैलती है, अर्थात यह एक संक्रामक बीमारी है, डौक्टरों का कहना है कि ऐसे लोग इसके अधिक शिकार हो सकते हैं जिनके शरीर में प्रतिरोधक शक्ति कम होती है इसलिये बूढ़ों और बच्चों को बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने मुसलमानों से यह अपील की कि वे मस्जिदों में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और एहतियात और परहेज़ से काम लें। इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए कि अगर किसी की सेहत इस बीमारी से प्रभावित है तो यह निवेदन किया जाए कि वह मस्जिद के बजाय घर में ही नमाज़ अदा करें, उन्होंने आगे कहा कि हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि जो भी मुसीबत और महामारी इंसानों पर आती है वह उसके अपने करतूतों का परिणाम होती है, खासकर जब लोग अत्याचार करते हैं, आर्थिक विश्वासघात और अन्याय करते हैं, बेईमानी और जान बूझकर अल्लाह के हुक्म की नाफरमानी करते हैं, दूसरों का दिल दुखाते और उन्हें तकलीफ देते हैं यह सब बातें अल्लाह की नाराज़गी का कारणा बनने वाली होती हैं, कहीं ऐसा तो नहीं।
पिछले दिनों जो कुछ हुआ हमें यह सोचना चाहिए कि कहीं अल्लाह का अज़ाब हमारे इन्हीं पापों का परिणाम तो नहीं? बहरहाल स्थिति को देखते हुए सावधानी और जागरूकता के साथ हमें अपनी जवाबदेही की भी ज़रूरत है, हमें चाहिए कि हम तौबा करते रहें और अल्लाह से यह दुआ मांगते रहें कि वह मानव जाति को इस महामारी से मुक्ति दे, बेशक वही सर्वशक्तिमान और गुनाहों को माफ करने वाला भी है, मौलाना मदनी ने अंत में कहा कि इस बीमारी से पूरे देश में भय और डर की जो स्थिति पैदा हुई है इस वजह से व्यापार और अन्य गतिविधियां भी लगभग बंद हो चुकी हैं ऐसे में इन गरीब और वंचित वर्गों के सामने ज़िन्दगी और मौत का सवाल खड़ा हो सकता है, जिनके पास आय का कोई उचित साधन नहीं है और जो दैनिक काम से अपना और अपने बच्चों का पेट भरते हैं इस सिलसिले में केंद्र और राज्य सरकारों को आपात स्तर पर विचार करना चाहिए ऐसे लोगों का नियमित सर्वे करके आर्थिक मदद पहुंचाने की सख्त ज़रूरत है,
उन्होंने एक बार फिर देश के सभी नागरिकों से अपील की वे भयभीत न हों, अल्लाह हिफाज़त और मदद करने वाला है, लेकिन सावधानी, परहेज़ और साफ-सफाई को प्राथमिकता देकर इस घातक बीमारी से खुद को सुरक्षित रखें, अल्लाह से निराश हरगिज़ न हों। दुआओं और तौबा के साथ खुदा की बारगाह में जाने का खास एहतिमाम करें।
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