नेपाल की संसद द्वारा ऐसे मानचित्र को स्वीकृति देने पर जिसमें भारत का हिस्सा भी शामिल है, मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुये पूर्व 0 पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने कहा है कि अभी चीन के द्वारा सीमा घुसपैठ को लेकर विवाद सुलझ भी नहीं पाया है कि परंपरागत मित्र देश नेपाल ने भी हमारी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। उन्होंने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि कल ही नेपाल की संसद ने भारत के विरोध के बावजूद सर्वसम्मति से एक ऐसे मानचित्र को स्वीकृति प्रदान किया है जिस में भारतीय हिस्सा भी शामिल है।
उन्होंने ट्वीट करते हये लिखा "अभी चीन के द्वारा सीमा घुसपैठ को लेकर विवाद सुलझ भी नही पाया है कि परम्परागत मित्र देश नेपाल ने हमारी मुश्किलें और बढ़ा दी।कल ही नेपाल के संसद ने भारत के विरोध के बावजूद,सर्वसम्मति से एक ऐसे मानचित्र को स्वीकृति प्रदान कर दिया है,जिसमे भारतीय हिस्सा भी शामिल है।"
@PMOIndia
अभी चीन के द्वारा सीमा घुसपैठ को लेकर विवाद सुलझ भी नही पाया है कि परम्परागत मित्र देश नेपाल ने हमारी मुश्किलें और बढ़ा दी।कल ही नेपाल के संसद ने भारत के विरोध के बावजूद,सर्वसम्मति से एक ऐसे मानचित्र को स्वीकृति प्रदान कर दिया है,जिसमे भारतीय हिस्सा भी शामिल है।@PMOIndia pic.twitter.com/xr9gaSI0Ty
— Tariq Anwar (@itariqanwar) June 10, 2020
तारिक अनवर ने कहा है कि यह बड़े अफसोस और चिंता की बात है कि नेपाल जो हमारा परंपरागत मित्र था वह भी अब हमारे विरोध में खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार हमारी विदेश नीति का डंका पीट रही है, लेकिन जिस तरह से हमारी विदेश नीति पूरी तरह से फेल हुई है वह चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि चीन नेपाल बांग्लादेश किसी से भी हमारे रिश्ते ठीक नहीं हैं और पाकिस्तान से पहले से ही हमारे रिश्ते ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार को जुमले और प्रवचन देने के बजाय जमीन पर उतर कर काम करना चाहिए और देश के मैप से और मानचित्र से छेड़छाड़ करने वालों से बातचीत करके इस मसले और इस समस्या का पूरी इमानदारी से समाधान निकालना चाहिए। उन्हों ने कहा कि भारत की एक-एक इंच ज़मीन भारतीयों को अपनी जान से ज्यादा प्यारी है, इसलिए भारत की 1 इंच जमीन पर भी अगर कोई पड़ोसी अपना दावा ठोकता है तो यह न सिर्फ दुख की बात है बल्कि हमारी सरकार की विदेश नीति की विफलता का जीता जागता सबूत है।
उन्होंने कहा कि 56 इंच के सीने की बात करने वालों को इस वक्त समस्या का समाधान निकालना चाहिए और देशवासियों को इसका ठीक ढंग से जवाब देना चाहिए, क्योंकि जिस तरह से नेपाल ने बीते कुछ महीनों में हमारे खिलाफ बोलना शुरू किया है वह बहरहाल हमारे लिए चिंताजनक बात है और यह हमारी विदेश नीति की विफलता का पूरा पूरा सबूत है।
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