ए.जे.के. मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेण्टर, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वरिष्ठ फैकल्टी मेम्बर प्रो. फरहत बसीर खान पहले शिक्षाविद हैं जो भारत की तरफ से फ़्रांस के गेनट में ‘लोक भाषा, परम्परागत संगीत और नृत्य की अन्तरसांस्कृतिक प्रस्तुति’ शीर्षत पर आयोजित अन्तर्रष्ट्रीय कांफ्रेंस में बतौर स्टीयरिंग कमिटी के सदस्य और वक्ता के तौर पर शामिल हुए l
पहली बार आयोजित यह कांफ्रेंस फ़्रांस के गेनट गाँव में हर साल आयोजित होने वाले 'विश्व सांकृतिक महोत्सव' का हिस्सा थी l यह महोत्सव विश्व के सबसे बेहतरीन सांस्कृतिक त्यौहारों और मेलों में से एक है ।
दुनिया भर से आये श्रोताओं को संबोधित करते हुए प्रो. बसीर ने कई भारतीय कला रूपों और भाषाओं के योगदान और संस्कृति के साथ मानव जीवन की अंतर-संबद्धता पर प्रकाश डाला । इस अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के महोत्सव में प्रोफेसर खान का चयन जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लिए गर्व की बात है l
इस मेले में यूनेस्को खास दिलचस्पी लेता है और यूरोप में सांस्कृतिक संगीत और लोककथाओं को सुरक्षित रखने के लिए मशहूर विभिन्न संस्थानों के सदस्य इसमें शामिल होते हैं l
इस वर्ष आयोजित हुए 10 दिवसीय कार्यक्रम में विश्व के 35,000 अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों , संगीतकारों, नर्तकियों ,शिक्षाविदों और कला और संस्कृति के प्रति उत्साहित लोगों और स्वयंसेवको की भागीदारी देखी गई ।
इस महोत्सव को लगभग 50 साल पहले जीन रोचे और उनकी संस्था 'के ला बोर्रे गनाटोइज' के द्वारा शुरू किया गया था l 1974 के बाद से हर गर्मी में यह महोत्सव आयोजित होता है l
उद्घाटन सत्र में प्रो. फरहत बसीर ने असम के 'बिहू' त्योहार बारे में एक महत्वपूर्ण प्रस्तुति दी और वहां मौजूद लोगों को इसके बारे में अहम जानकारियां दीं l
दर्शकों को संबोधित करते हुए प्रो. खान ने कहा – “यह वास्तव में गर्व की बात है कि इन नृत्यों और कलाओं ने भारतीय संस्कृति की समृद्धि और हमारे प्रत्येक नृत्य रूपों की विविधता को सभाल कर रखा है इसलिए मुझे बेहद ख़ुशी है कि यूनेस्को जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन अमूर्त विरासत को पहचान रहे हैं ।”
उन्होंने दुनिया भर के पर्यटकों को भारत आने का न्योता देते हुए कहा कि वह भारत आयें l अकादमिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भारत की सुन्दरता और समृधि को देखें और दुनिया को बताएं । उन्होंने यह भी कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात जिसके लिए उन्होंने कला और कला से उत्साहित लोगों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया , वह यह था कि वे हमारी स्थानीय संस्कृति के बारे में जाने और अपने देश और दुनिया भर के लोगों को उसके बारे में बताये ।
प्रोफेसर खान ने अपने भाषण में सरकार को कुछ सुझाव भी दिए l उन्होंने कहा कि 'बिहू' जैसे स्वदेशी नृत्य को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना, लोगों को इससे परिचित कराना समय की आवश्यकता है। साथ ही, इसकी बारीकियों के बारे में शोध करना और लिखना भी समय की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, और इतना बड़ा कार्य केवल एक व्यक्ति नहीं कर सकता है, बल्कि सरकार को हमारी विरासत और संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आना होगा ।
उन्होंने कहा कि यह एक तरह का संस्थागत कार्य है और महिलाएं इसे अच्छी तरह से कर सकती हैं। प्रो. बसीर ने यह आशा व्यक्त की कि प्रो नजमा अख्तर के नेतृत्व में, विश्वविद्यालय का विकास हो रहा है और अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान और सम्मेलनों को एक दूसरे तक पहुंचाने के लिए उत्साहित करेंगी ।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में प्रोफेसर खान की टीम, फ्रांस के कान में आयोजित वर्ल्ड फोटोग्राफी अवार्ड जीत चुकी है। उनके मल्टीमीडिया एंड वॉक इन, कम्युनिटी पार्टिसिपेटरी प्रोजेक्ट्स, संदेस टू सोल्जर्स ‘चिठ्ठी आई है’ फोटो फॉर पीस एंड वोटोग्राफी को लोगों द्वारा काफी सराहा गया था l
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