नई दिल्ली 03 जनवरी 2020
नागरिकता संशोधन एक्ट और एनआरसी आदि के परिदृश्य में जमीयत उलेमा ए हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक महत्वपूर्ण बैठक अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद, मौलाना क़ारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी की अध्यक्षता में मदनी हाल बहादुर शाह ज़फर मार्ग नई दिल्ली में सम्पन्न हुई ।
सम्मेलन में देश की वर्तमान स्तिथि,विशेषकर सीएए, प्रस्तावित एनआरसी, देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों और पुलिस की कार्यवाहियों पर विस्तार से चर्चा और विचार-विमर्श हुआ।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने इन कानूनों के प्रभावों के सन्दर्भ में वर्तमान सरकार के इरादों पर अपने विचार प्रकट किए। सुप्रीम कोर्ट के वकील और सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी, शकील अहमद सैयद ने नागरिकता संशोधन एक्ट और इससे उत्पन्न होने वाली शंकाओं और इस सम्बन्ध में जमीयत उलेमा ए हिंद के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में दायर, प्रार्थना पत्र पर रिपोर्ट पेश की, जिसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उपरोक्त एक्ट के विरुद्ध एक विशेष प्रस्ताव पारित करते हुए घोषणा की कि जमीयत उलेमा ए हिंद इस विवादित कानून के खात्मा (समाप्त )होने तक,संवैधानिक व लोकतांत्रिक तरीके से हर संभव, संघर्ष जारी रखेगी ।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यह तय किया कि लगातार और लम्बे संघर्ष के लिए शीघ्र से शीघ्र मुसलमानों और दूसरे धर्मों के प्रमुख लोगों पर आधारित एक प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाया जाए और नागरिकता संशोधन एक्ट के विरुद्ध प्रभावी और लगातार लम्बा संघर्ष करने के लिए व्यवहारिक प्रोग्राम तैयार किया जाए। इस प्रतिनिधि सम्मेलन के अलावा दिल्ली और विभिन्न राज्यों के केंद्रीय शहरों में बड़ी जनसभाएं और प्रोग्राम आयोजित किए जाएं, यह भी तय पाया कि जमीयत उलेमा ए हिंद का प्रतिनिधिमंडल विभिन्न समान विचार वाली राजनीतिक पार्टियों के प्रमुख व्यक्तियों से भेंट करेगा और इनको इस बात पर तैयार करेगा कि वह इस काले कानून के खिलाफ अपने वर्करों को देशभर में राष्ट्रीय स्तर पर व्यवहारिक संघर्ष के लिए मैदान में उतारें। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सीएए के विरुद्ध प्रदर्शनों में मरने वालों के परिवार वालों के साथ शोक संवेदना और सहानुभूति प्रकट करते हुए उनको एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है और यह भी तय किया कि प्रभावितों को हर तरह की कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सीएए एक्ट के ख़िलाफ़ अपने पारित प्रस्ताव में कहा है कि “ मजलिस आमला जमीयत उलेमा ए हिंद का यह इजलास हाल में संसद से स्वीकृत नागरिकता संशोधन एक्ट को देश के संविधान के विरुद्ध मानते हुए इसकी कड़ी निंदा करता है, क्योंकि ज़ाहिरी नज़र में यह एक्ट संविधान की धारा (14 और 21) के विरुद्ध है। इसमें "गैरकानूनी प्रवासी' की परिभाषा करते हुए धार्मिक आधार पर भेदभाव किया गया है और इसका इतलाक़ सिर्फ मुसलमानों पर किया गया है और दूसरे धर्म के मैंने वालों को इस से बहार रखा गया है। स्पष्ट हो कि उसूली तौर पर जमीअत उलमा ए हिंद किसी गैर मुस्लिम को नागरिकता देने के विरुद्ध नहीं है लेकिन जिस तरह एक विशेष परिदृश्य में धर्म को आधार बनाकर भेदभाव किया गया है उसे संविधान में दी गई आज़ादी के खिलाफ समझती है और स्पष्ट है कि इस एक्ट के कारण देश के सेकुलर ढांचे पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह लग गया है. उसका स्पष्ट प्रभाव राज्य आसाम में एनआरसी से बाहर रह जाने वालों पर पड़ेगा कि ग़ैर मुस्लिमों को तो इस एक्ट के कारण राहत मिल जाएगी लेकिन मुसलमान गैरकानूनी घुसपैठिए करार दिए जाएंगे। इस स्थिति के कारण पूरे देश में मुसलमान अपने भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंतित हैं। अगर राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी को लागू किया गया तो जो मुसलमान किसी वजह से पूरे दस्तावेज न दिखा पाएंगे उसकी नागरिकता संदिग्ध समझी जाएगी ।
इसमें कोई शक नहीं कि वर्तमान नागरिकता संशोधन एक्ट और उसके एनआरसी पर पड़ने वाले प्रभावों से चिंता पैदा होना स्वाभाविक है, जिसका दूर होना अति आवश्यक है ।इसलिए जमीअत उलमा ए हिंद इस भेदभाव पर आधारित इस कानून को शीघ्र से शीघ्र वापस लिए जाने की मांग करती है ।और इस बात पर अटल है कि वह इस भेदभाव वाले कानून के समाप्त होने तक संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से हर संभव संघर्ष जारी रखेगी। (इंशा अल्लाह ताला )
विरोध प्रदर्शनों में हिंसा और पुलिस के रवैए की निंदा- भर्त्सना
राष्ट्रीय कार्यकारिणी जमीअत उलमा ए हिंद नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देशभर में होने वाले विरोध प्रदर्शनों की सराहना करते हुए इसमें हर प्रकार की हिंसा की निंदा करती है। चाहे प्रदर्शनकारियों की तरफ से हो या पुलिस की तरफ से लोकतांत्रिक सरकार में विरोध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, इसलिए जमीअत उलमा हिंद की मांग है कि सरकार किसी भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकने की हरगिज़ कोशिश न करे। इससे उत्तेजना पैदा होती है जिससे हर हाल में बचने की आवश्यकता है। वर्तमान दिनों में विशेषकर यूपी सरकार की तरफ से विरोध प्रदर्शनकारियों के साथ नकारात्मक व्यवहार की जमीअत उलमा ए हिंद कड़ी निंदा करती है। इस बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जिस तरह के कड़े भाषण देकर अपनी ज़ालिम और बर्बर पुलिस का साहस बढ़ाने की बात की है ।उसने अंग्रेजों के ज़माने की याद ताजा कर दी है ।उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। इस अवसर पर जमीअत उलमा ए हिंद भी विरोध करने वाले लोगों और संस्थानों से अपील करती है कि वह शांतिपूर्ण ढंग से अपना मिशन जारी रखें। संयुक्त रूप में विरोध करें और शरारती तत्वों से होशियार रहें और किसी भी हाल में हिंसक न हों बल्कि शांति से काम लें और कानून को अपने हाथ में न लें वरना इस आंदोलन को नुकसान होगा” ।
इन प्रस्तावों के अलावा राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने जमीअत उलमा हिंद की चल रही सदस्यता अभियान की अवधि में बढ़ोतरी करते हुए घोषणा की कि 31मार्च 2020 तक सदस्यता अभियान जारी रहेगा। इसके बाद 1 अप्रैल से 25 अप्रैल तक स्थानीय शाखाओं का चुनाव होगा और 25 मई से 10 जून जिला चुनाव, 11 जून से 30 जून राज्य जमियतों का गठन होगा।
सम्मेलन में भाग लेने वालों में अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिंद, मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी और महासचिव मौलाना महमूद मदनी के अलावा मौलाना अमानुल्लाह कासमी उपाध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद, मौलाना रहमतुल्लाह मीर कश्मीरी, मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी अध्यापक जामिया कासमिया शाही मुरादाबाद, हाफिज नदीम सिद्दीकी अध्यक्ष जमीयत उलेमा महाराष्ट्र, हाफिज पीर शब्बीर अहमद अध्यक्ष जमीयत उलेमा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश ,मुफ्ती इफ्तखार अहमद कासमी अध्यक्ष जमीयत उलेमा कर्नाटक, एडवोकेट शकील अहमद सय्यद, मौलाना मोइज़्ज़ुद्दीन अहमद नाजिम इमारत शरिया हिंद, मुफ्ती मोहम्मद राशिद आज़मी अध्यापक दारुल उलूम देवबंद, मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी अध्यापक दारुल उलूम देवबंद, मुफ्ती शमसुद्दीन बिजली बेंगलुरु, मुफ्ती मोहम्मद रोशन महाराष्ट्र ,मौलाना रफीक अहमद मजाहिरी अध्यक्ष जमीयत उलेमा गुजरात, मुफ्ती अहमद देवलिया गुजरात, मौलाना अब्दुल कादिर आसाम सचिव जमीयत उलेमा आसाम, हाजी मोहम्मद हारून भोपाल, मुफ्ती हबीबुर्रहमान इलाहाबाद, मुफ्ती मोहम्मद अफ्फ़ान मंसूरपुरी जामा मस्जिद अमरोहा, मौलाना मोहम्मद आकिल गढ़ी दौलत अध्यक्ष जमीअत उलेमा पश्चिमी बंगाल , मौलाना मोहम्मद इलियास पीपली हरियाणा, हाफिज सैयद मोहम्मद आसिम बंगलुरु और मौलाना हकीमुद्दीन कासमी सचिव जमीयत उलमा हिन्द आदि रहे।
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