एक तरफ कानपुर में विकास दुबे ने 8 से ज्यादा पुलिस वालों को शहीद कर दिया। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शुक्रवार को देर रात पुलिस वालों के साथ भाजपा नेता और उनके भतीजे ने जमकर हाथापाई की, लेकिन बड़ी बात यह है कि पुलिस के साथ भाजपा नेता और उसके भतीजे की मारपीट के दौरान जो संगीन धाराएं लगाई गई थी उसे पुलिस ने अदालत में पेश करने से पहले ही हटा दिया है। डीएम ने सीओ से इस पूरे प्रकरण में जांच तलब की थी, CEO ने 12 घंटे में ही विवेचना की और गंभीर धाराओं को हटा लिया।
अब जमानत का रास्ता साफ हो गया। अहम बात यह है कि एक तरफ पुलिस के जवान गुंडों की गोली से शहीद हो रहे हैं और दूसरी तरफ भाजपा ही के लोग पुलिस वालों के साथ हाथापाई करते नजर आ रहे हैं और फिर पुलिस के लोग उन भाजपाई नेताओं पर लगी गंभीर धाराओं को हटा लेते हैं ऐसे में बहुत सारे सवाल उत्पन्न हो रहे हैं। ज्ञात रहे कि शुक्रवार की देर रात एक युवक ने पुलिस को सूचना दी कि सुंदरपुर में काशी विद्यापीठ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विकास पटेल व अन्य युवक किसी मुकदमे को लेकर उन पर दबाव बना रहे हैं। इस पर सुंदरपुर के कार्यवाहक चौकी प्रभारी सुनील गौड़ ने फैंटम दस्ते के सिपाही मनोज व अन्य को मौके पर भेजा। पुलिस के मुताबिक वहां सिपाहियों के पहुंचते ही विकास व उसके साथ के लोगों ने अनाप-शनाप बोलना शुरू कर दिया।
उन लोगों ने मास्क नहीं पहना था, इसलिए दूर से ठीक से बात करने के लिए टोका गया। मास्क के लिए टोकना इतना बुरा लगा कि विकास और अन्य ने पुलिस वालों के साथ मारपीट शुरू कर दी। विकास ने अपने पिता सुरेंद्र पटेल को फोन किया। थोड़ी देर में सुरेंद्र 10 से 12 लोगों को साथ लेकर आया और पुलिसकर्मियों से मारपीट शुरू कर दी। मामले की जानकारी चौकी प्रभारी सुनील गौड़ को हुई तो वह भी पहुंचे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दुस्साहसिक रूप से उनका भी कॉलर पकड़कर धक्कामुक्की और मारपीट शुरू कर दी गई। घटना की खबर लगते ही फोर्स पहुंच गई और भाजपा नेता सुरेंद्र पटेल और भतीजे बिंदु पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया। शनिवार की सुबह दोनों को कचहरी लाया गया तो भाजपा नेता के भतीजे के अधिवक्ता होने के कारण पुलिस को वकीलों का भी विरोध झेलना पड़ा। लोअर कोर्ट के पास पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच नोकझोंक हुई। अधिवक्ताओं ने जमकर हंगामा किया और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
बाद में कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं के हसक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। लोअर कोर्ट में जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। इसके बाद जमानत अर्जी सत्र न्यायालय में दाखिल की गई। दो बजे सुनवाई का समय तय हुआ। लंका थाने से केस डायरी अन्य कागजात नहीं आने के कारण सुनवाई चार बजे हुई। अदालत को बताया गया कि पुलिस की विवेचना में कई धाराएं हटा ली गई हैं। इसके अलावा 7-सीएलए एक्ट की गैर जमानती धारा भी इसलिए कोर्ट में खारिज हो गई कि रात नौ बजे के बाद कोई दुकान और बाजार इस समय नहीं खुल रहा है। इससे जमानत का रास्ता साफ हो गया।
मारपीट में भाजपा नेता जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र पटेल, उनका बेटा काशी विद्यापीठ का पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विकास पटेल, भतीजा वीरेंद्र प्रताप सिंह समेत अन्य कई लोग थे। लंका थाने में रात 3.46 बजे सुनील कुमार गौड़ की तहरीर पर विकास पटेल, सुरेंद्र पटेल, वीरेंद्र प्रताप सिंह, संतोष सिंह, किशन राय उर्फ फैलू, शशांक यादव उर्फ गोलू, शहजाद खान और एक अन्य अज्ञात के खिलाफ कुल 19 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें पुलिसकर्मियों की हत्या का प्रयास, लूट और अपहरण की धाराएं भी जोड़ दी गईं।
सुरेंद्र पटेल और वीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ बिंदु की गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही थाने पर रात में ही क्षेत्रीय पदाधिकारियों का जमावड़ा लग गया। उस समय पुलिस ने संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होने की बात कहकर पुलिस ने मौके से छोड़ने से इनकार कर दिया। इन पर 147, 148, 149, 323, 504, 506, 341, 307, 392, 114, 188, 269, 270, 364, 353, 332, 333, 186 और 7-सीएलए एक्ट में मुकदमा हुआ। सुबह दोबारा जांच शुरू हुई। 12 घंटे के भीतर ही पुलिस ने तीन संगीन धाराएं लूट, हत्या का प्रयास और अपहरण को हटा लिया। जिस से इनको जीवनदान मिल गया।
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