कुर्बानी को लेकर जमीअत उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी के बयान के बाद उन तमाम शंकाओं और अफवाहों पर विराम लग गया है जो कुर्बानी को लेकर के वक्त वक्त पर उठाई और फैलाई जा रही थी और पिछले कुछ दिनों से अफवाहों का बाजार गर्म करते हुए कुर्बानी को लेकर के तरह तरह के बयान या विवाद खड़े किए जा रहे थे। मौलाना सैयद अरशद मदनी ने बयान जारी करके स्पष्ट कर दिया है कि कुर्बानी इस्लाम का अभिन्न अंग है और कुर्बानी उन तमाम लोगों पर अनिवार्य है जो कुर्बानी करने की शक्ति या ताकत रखते हैं और इस का कोई भी अल्टरनेटिव नहीं है।
साथी मौलाना सैयद अरशद मदनी ने स्पष्ट किया है कि करोना के प्रकोप को देखते हुए मुसलमान स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आधारित दिशा निर्देशों का पालन करते हुए मस्जिदों या घरों में नमाज अदा करें। मौलाना ने कहा है कि बेहतर होगा कि सूरज निकलने के 20 मिनट के बाद ही नमाज पढ़ ली जाए और कुर्बानी के पवित्र काम को अंजाम दिया जाए। मौलाना मदनी ने यह भी कहा है कि मुसलमान किसी तरह के प्रोपेगेंडे का शिकार ना हो। किसी तरह के मीडिया के भरम में ना आए और अपने पवित्र त्यौहार को उन दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अंजाम दे जो स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से निर्देशित हैं।
मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि जहां पहले बड़े जानवरों की कुर्बानी होती आई है अगर उनकी कुर्बानी करने में कोई दिक़्क़त हो तो वहां के जिम्मेदारों से बात करें और बातचीत के बाद समस्या का समाधान निकाल कर कुर्बानी को अंजाम दे, फिर भी अगर कोई परेशानी आती है तो छोटे जानवरों की कुर्बानी हर हाल में करें और इस से लोक प्रशासन के रजिस्टर में लिखवा दें ताकि भविष्य में किसी तरह की कोई परेशानी ना आए।
मौलाना ने साथी सफाई को लेकर के भी मुसलमानों से अपील की है कि सफाई का खास ख्याल रखें। कुर्बानी के जानवरों की उन चीजों को जिनका इस्तेमाल नहीं किया जाता है उनको ऐसी जगह निपटाए ताकि उस से किसी को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो। किसी तरह की किसी को कोई पीड़ा ना हो, क्योंकि इस्लाम में सफाई को सर्वोच्च स्थान हासिल है और इस्लामिक मूल्यों का पालन भी यही है कि हमारे वक्तव्य या कर्तव्य से किसी को किसी तरह की कोई पीड़ा ना हो।
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