बाबरी मस्जिद मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गुलाम हिंदुस्तान में पैदा हुए और आजाद भारत में लोकसभा के सदस्य बने पूर्व लोकसभा सांसद इलियास आजमी ने कहा है कि कोर्ट का जो भी फैसला है उसका हम सम्मान करते हैं, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि:
तकदीर के काज़ी का यह फतवा है अज़ल से
है जुर्म ज़ईफ़ी की सजा मर्गे मफाजात
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों को नहीं झूठलाया जा सकता कि राम ने सतयुग में शम्बूक का वध किया और खैरुल कोरून (गोल्डन पीरियड) जिसे हम कहते हैं सबसे बेहतर जमाना उसमें कर्बला का वाकया पेश आया.
उन्होंने कहा कि कमजोरों को इक्का-दुक्का मौकों पर ही इंसाफ मिला है और जिन लोगों ने इंसाफ दिया है वह इतिहास के पन्नों में उमर बिन खत्ताब और उमर बिन अब्दुल अजीज कहलाये. उन्होंने कहा कि यह हमारी संवैधानिक जिम्मेदारी है कि हम देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एहतराम करें और कोई या किसी तरह का कोई ऐसा माहौल ना बनाएं जिस से देश के संविधानिक ढांचे को ठेस पहुंचे और किसी को कोई नुकसान हो.
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