सरकार पर भड़के SC जज, कहा- सुप्रीम कोर्ट में ताला लगा दें?
अफसर के फैसले से एजीआर मामले में दिए गए कोर्ट के फैसले के अनुपालन पर रोक लग गई थी। अफसर ने कोर्ट के अगले आदेश तक रिकवरी पर रोक लगा दी थी।",
देश में सब कुछ चंगा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट के जज साहब ने भी सवालों सवालों में कह ही दिया कि क्या सुप्रीम कोर्ट में ताला लगा दें? क्या देश में कोई कानून नहीं बचा है? क्या देश में ना रहा जाए और देश छोड़ दिया जाए? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दूरसंचार विभाग ने टेलिकॉम कंपनियों को शुक्रवार (14 फरवरी) 12 बजे से पहले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया है। विभाग ने कंपनियों को इस सिलसिले में नोटिस जारी किए हैं। लेकिन इससे पहले जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस एम.आर.शाह की पीठ सुनवाई के दौरान इस दर भड़क उठी कि सुप्रीम कोर्ट में ताला लगवाने तक की बात कह दी। दरअसल जस्टिस अरुण मिश्रा दूरसंचार विभाग के एक डेस्क अफसर के फैसले पर इतना भड़क उठे कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में ताला लगाने की बात कह दी। दरअसल अफसर के फैसले से एजीआर मामले में दिए गए कोर्ट के फैसले के अनुपालन पर रोक लग गई थी। अफसर ने कोर्ट के अगले आदेश तक रिकवरी पर रोक लगा दी थी। जस्टिस मिश्रा ने इस पर कहा हमें नहीं मालूम कि कौन ये बेतुकी हरकतें कर रहा है, क्या देश में कोई कानून नहीं बचा है। बेहतर है कि इस देश में न रहा जाए और देश छोड़ दिया जाए। एक अधिकारी आदेश पर रोक लगाने की धृष्टता करता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट को ताला लगाकर बंद कर देना चाहिए। देश में जिस तरह से चीजें हो रही हैं, इससे हमारी अंतरआत्मा हिल गयी है। हमने एजीआर मामले में समीक्षा याचिका खारिज कर दी, लेकिन इसके बाद भी एक भी पैसा जमा नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि दूरसंचार कंपनियों और कुछ अन्य कंपनियों को दूरसंचार विभाग को 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया है। इसके भुगतान की समयसीमा 23 जनवरी थी। हालांकि कोर्ट की फटकार के बाद दूरसंचार विभाग ने टेलिकॉम कंपनियों को शुक्रवार (14 फरवरी) रात 12 बजे से पहले बकाया राशि जमा करने के निर्देश दिए हैं।
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