जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्कृत विभाग ने वर्ष भर तक चलने वाली एक विशिष्ठ व्याख्यानमाला का शुभारम्भ किया। गुरूवार को इसके उद्घाटन के अवसर पर ‘भारत और विदेशों में संस्कृत’ विषय पर तीन व्याख्यान आयोजित हुए जिसमें फ्रांस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के संस्कृत प्रेमियों ने बताया कि किस तरह भारत ही नहीं, बल्कि विश्व भर में संस्कृत का प्रभाव बढ़ रहा है।
इस अवसर पर जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा ही नहीं वरन् एक महान् संस्कृति की संवाहिका है, जिसका विस्तार समूचे विश्व में है।
फ्रांस के कोमे कार्पेन्तिएर ने कहा कि ‘भारत में भाषाई विविधता को संस्कृत भाषा ही एकता में पिरोती है। उन्होंने कहा कि आज संस्कृत में शोध के अनेक अवसर हमारे सामने हैं।
कनाडा की वेनेसा असेवेदो ने कहा कि वह संस्कृत दिवस मनाने भारत आईं थीं और उन्हें ख़ुशी हुई कि उस दिन भारत के मनीषी अरविन्द घोष का जन्मदिवस भी था जो स्वयं संस्कृतज्ञ थे। यही नहीं, उसी दिन भारत ने अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस भी मनाया। उन्होंने कहा कि भारत के दौरे पर उन्होंने पाया कि संस्कृत गुरुकुलों कि परंपरा आज भी निरन्तर जारी है। 12 वर्षो से भारत आ रहीं, असेवेदो ने बताया कि कनाडा में ‘टोरंटो डिस्ट्रिक्ट स्कूल बोर्ड’ ने प्राथमिक शिक्षा में संस्कृत को महत्वपूर्ण स्थान दिया है।
ऑस्ट्रेलिया के चाल्र्स थोमसन ने अपने वक्तव्य में कहा कि योग और संस्कृत का परस्पर सम्बन्ध युवाओं को आजीविका के अवसर देने में सहायक है।
संस्कृत विभागाध्यक्ष, प्रो. गिरीश चन्द्र पन्त ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग कि स्थापना वर्ष 2017 में हुई और इसके तहत संस्कृत के बी.ए. , एम.ए., एम. फिल, पीएच. डी. तथा प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं। साथ ही सीबीसीएस के अंतर्गत स्नातक के 6 सेमेस्टर तथा स्नातकोत्तर के 4 सेमेस्टर के लिए उपयोगी पाठ्यक्रम तैयार किये गए हैं जिन्हें संस्कृतेतर अन्य विषयों के छात्र भी बहुत रुचि से पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह व्याख्यानमाला, संस्कृत अनुसंधान के विपुल अवसरों को छात्रों तक पहुँचाने के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। आज दुनिया भर में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी है, विदेशों में भी इसका प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। यही कारण है कि आज अनुसन्धान के नए अवसर संस्कृत भाषा में दिखलाई पड़ रहे हैं।
इस कार्यक्रम कि अध्यक्षता जामिया के मानविकी एवं भाषा संकाय के अध्यक्ष प्रो. वहाजुद्दीन अलवी ने की।
इस कार्यक्रम का सफल संचलान संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अभय कुमार शांडिल्य ने किया तथा विभाग के सहाचार्य डॉ. जयप्रकाश नारायण ने सभी आगंतकों का धन्यवाद किया।
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