तो क्या पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी घटने का दावा सरकार का झूठा है? पढ़िए बीबीसी और इंडिया टुडे की रिपोर्ट
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोगों की संख्या के घटने के बीजेपी और मोदी सरकार के दावे को लेकर बीबीसी हिंदी के साथ साथ इंडिया टुडे ने भी चौंकाने वाला इंकेशाफ किया है. दोनों ने जो सेंसिस पेश किए हैं उसके अनुसार पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या घटने की बजाय बड़ी है. बीबीसी और इंडिया टुडे दोनों ने एक लंबी रिपोर्ट अपने अपने यहां अपनी अपनी वेबसाइटों पर प्रकाशित की है.
बीबीसी ने लिखा है कि " भारत की संसद ने अपने तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए ग़ैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों को नागरिकता प्रदान करने वाला एक विवादास्पद विधेयक पारित किया है.
इसके तहत भारत में अवैध रूप से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अगर यह साबित कर सकते हैं कि वो पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए हैं तो वे नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
भारत सरकार का तर्क है कि इन तीन देशों में अल्पसंख्यकों की संख्या में लगातार कमी आ रही है और वे मज़हब के आधार पर उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं.
संसद में इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए इसकी आलोचना की गई क्योंकि यह इन देशों के अन्य अल्पसंख्यक समूहों को नागरिकता नहीं प्रदान करेगा.
अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए क्या कहा था -
"1950 में दिल्ली में नेहरू लियाक़त समझौता हुआ और इससे ये सुनिश्चित किया गया कि दोनों देश अपने-अपने देशों में अल्पसंख्यकों को खयाल रखेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और ये समझौता धरा का धरा रह गया. पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में राज्यधर्म इस्लाम है और इस तरह से वहाँ हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अल्पसंख्यक हैं.
1947 में पाकिस्तान के अंदर अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी और साल 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत रह गई."
पाकिस्तान ने दावा ख़ारिज किया
पाकिस्तान ने भारतीय गृह मंत्री के इस दावे को झूठा बताते हुए ख़ारिज कर दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर इस दावे को ग़लत और बेबुनियाद बताया. विदेश मंत्रालय ने कहा, "1941 की जनगणना के आंकड़े देखेंगे तो साफ़ पता चलेगा कि भारत ने जानबूझकर और शरारतपूर्ण तरीके से 1947 के विभाजन और 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) के दौरान बड़े पैमाने पर हुए विस्थापन का ज़िक्र नहीं किया है. इन दोनों घटनाओं का पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी के प्रतिशत पर असर पड़ा है."
बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान में 1951 की पहली जनगणना के मुताबिक पश्चिमी पाकिस्तान (आज के पाकिस्तान) में अल्पसंख्यकों की तादाद कुल आबादी का 3.1 प्रतिशत थी, जो 1998 तक बढ़ते हुए 3.71 प्रतिशत तक पहुंची. अलग-अलग जनगणनाओं में भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 1961 की दूसरी जनगणना में अल्पसंख्यक आबादी 2.96 प्रतिशत थी, 1971 की जनगणना में 3.25 प्रतिशत, 1981 में 3.33 प्रतिशत और साल 1998 में हुई पाँचवीं जनगणना में 3.72 प्रतिशत पहुँच गई थी."
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि 1998 की जनगणना के आंकड़े ये भी बताते हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 1951 में 1.5 प्रतिशत थी जो 1998 में बढ़कर तकरीबन 2 प्रतिशत हो गई.
पाकिस्तान का ऐतराज़
पाकिस्तान की सरकार ने भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक पर ऐतराज़ जताया था. प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ट्विटर पर लिखा कि ये विधेयक अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के सारे मानदंडों का उल्लंघन करता है.
इमरान ख़ान ने विधेयक के लोकसभा से पारित होने के बाद ट्विटर पर लिखा था, "हम भारत के इस विधेयक की सख़्त निंदा करते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के सारे मानदंडों और पाकिस्तान सरकार के साथ द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन करता है. ये आरएसएस के हिंदू राष्ट्र की योजना का हिस्सा है जिसे फ़ासीवादी मोदी सरकार बढ़ा रही है."
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