मैं आपकी कुशलता की कामना करती हूँ।
कोविड-19 के खिलाफ जंग में देश ने स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था व सामाजिक ताने बाने पर आई अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना किया है। मुझे अत्यधिक खेद है कि इस भारी संकट के समय में भी मार्च महीने से आज तक सरकार ने दस अलग-अलग अवसरों पर पेट्रोल व डीज़ल की कीमतें बढ़ाने का पूर्णतः असंवेदनशील निर्णय लिया है।
केवल एक्साईज़ शुल्क तथा पेट्रोल व डीज़ल के मूल्यों की इस नासमझ व अविवेचित वृद्धि से केंद्र सरकार 2,60,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त राजस्व एकत्रित कर रही है। पहले से ही लोगों को व्यापक स्तर पर भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तथा उनमें डर व असुरक्षा की भावना व्याप्त है। मूल्यों में इस अप्रत्याशित वृद्धि से आम भारतीय पर अत्यधिक आर्थिक बोझ डाला गया है, जो न तो उचित है और न ही तर्कसंगत। सरकार का कर्तव्य व जिम्मेदारी है कि वह लोगों की पीड़ा कम करे, न कि उन पर और ज्यादा बोझ डाले।
यह समझ से परे है कि केंद्र सरकार ने मूल्यों में बढ़ोत्तरी करने का यह निर्णय उस समय क्यों लिया, जब कोविड-19 की आर्थिक मार ने लाखों लोगों की नौकरी व आजीविका छीन ली, बड़े व छोटे व्यवसायों को तबाह कर दिया, मध्यम वर्ग की आय में भारी गिरावट हुई तथा देश का किसान खरीफ की फसल बोने के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
पिछले एक हफ्ते में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 9 प्रतिशत की कमी आई है (पिछले कई महीनों में तो कच्चे तेल की कीमत बहुत अधिक गिरी हैं), इसके बावजूद केंद्र सरकार देश के नागरिकों की जेब से पैसा निकाल ऐसे समय में मुनाफा कमा रही है, जब वो पहले ही मंदी से त्रस्त हैं।
कच्चे तेल के दामों में ऐतिहासिक कमी के बावजूद केंद्र सरकार ने पिछले छः सालों में बारह बार अलग अलग अवसरों पर पेट्रोल एवं डीज़ल पर एक्साईज़ शुल्क बढ़ाकर भारी भरकम कमाई की है (पेट्रोल पर एक्साईज़ शुल्क में 23.78 रु. प्रति लीटर एवं डीज़ल पर 28.37 रु. प्रति लीटर की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी करके)। यानि पेट्रोल पर एक्साईज़ शुल्क में 258 प्रतिशत वृद्धि तथा डीज़ल के एक्साईज़ शुल्क में 820 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे इन छः सालों में केंद्र सरकार ने पेट्रोल एवं डीज़ल पर एक्साईज़ शुल्क से लगभग 18,00,000 करोड़ रुपया कमाया है। इस पैसे का देश की जनता की सेवा में सदुपयोग करने का आज से बेहतर कोई समय नहीं हो सकता।
मैं आपसे आग्रह करती हूँ कि पेट्रोल व डीज़ल के मूल्यों में की गई इस अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी को वापस लें और कच्चे तेल के कम दामों का लाभ देश के नागरिकों को मिले। यदि आप चाहते हैं कि देश के नागरिक वाकई आत्मनिर्भर बनें, तो फिर उन्हें वित्तीय बंधनों में बांधकर आगे बढ़ने से रोकें नहीं। मैं एक बार फिर अपनी बात दोहराती हूँ कि: सरकार के संसाधनों का इस्तेमाल सीधे देशवासियों के हाथ में पैसा पहुंचाने के लिए करें, जिन्हें इस मुश्किल घड़ी में उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।
आदर सहित,
कृते
(सोनिया गांधी) श्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री- भारत सरकार
7, लोक कल्याण मार्ग
नई दिल्ली - 110 001
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