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टैक्सपेयर को चिंता होनी चाहिए कि ये हजारों-करोडों की लूट

टैक्सपेयर को चिंता होनी चाहिए कि ये हजारों-करोडों की लूट

By: वतन समाचार डेस्क
Highlights of Parliament's press briefing by Shri Ghulam Nabi Azad, Shri Mallikarjun Kharge and Shri Randeep Singh Surjewala

गुलाम नबी आजाद ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि  पिछले साल हमारी पूरी पार्टी और कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने देश के आज तक के, 70 साल के सबसे बड़े डिफेंस घोटाले के बारे में पूरे देश का और सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की और दुनिया का, हिंदुस्तान का आज तक का सबसे बड़ा राफेल फाईटर जेट को लेकर डिफेंस में जो घोटाला है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी की सरकार और स्वयं प्रधानमंत्री जी भी उसका हिस्सा हैं, जिसमें कई हजार-करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है और देश को वो पैसा भरना पड़ा। ये पैसा हिंदुस्तान के उन तमाम लोगों का है, जो टैक्स देते हैं। टैक्सपेयर जो टैक्स पे करते हैं, उनको चिंता होनी चाहिए कि ये सरकार उनके पैसे से किस तरह से हजारों-करोडों की लूट करती है। इस पर कई बार चर्चा हुई और अभी परसों श्री राहुल गांधी ने दोबारा प्रेस वार्ता कर चर्चा की, श्री सुरजेवाला ने तो सैंकड़ों प्रेस वार्ताएं की, हम लोगों ने भी अलग-अलग उसके बारे में चर्चा की। देश अब ये समझ गया है कि ये वाकई में सबसे बड़ा घोटाला है और इस घोटाले पर पर्दा डालने के लिए सरकार ने और विशेष रुप से माननीय प्रधानमंत्री जी ने कई प्रयास किए। लेकिन ये घोटाला इतना बड़ा है कि एक जगह वो उस पर मिट्टी डालते हैं, तो वो दूसरी जगह से निकलती है, दूसरी जगह उसको दबाने की कोशिश करते हैं, तो वो ज्वालामुखी की तरह तीसरी जगह से निकलता है। तो ये इतना बड़ा ज्वालामुखी है कि ये जब तक ऊभर कर नहीं आए और पहाड़ की शक्ल नहीं लेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि चुनाव के बीच में ये इतना बड़ा ज्वालामुखी बनेगा कि हिमालय की तरह होगा और उसके नीचे ही बीजेपी और ये सरकार दब जाएगी। वहीं कई चीजों को लेकर हमने सदन के अंदर और सदन के बाहर मांग की क्योंकि सरकार से कोई अपेक्षा नहीं है, किसी ऐजेंसी से कोई अपेक्षा नहीं है, क्योंकि तमाम एजेंसिंया रबर स्टैंप बन गई हैं,

 

यहाँ तक कि शायद पहली बार दुनिया में ऐसा हुआ होगा कि इस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह किया, सुप्रीम कोर्ट को गलत एफिडेविट दिया और गलत एफिडेविट देकर अपने फेवर में जजमेंट ली। अब सुप्रीम कोर्ट है, मैं कह नहीं सकता, ऐसी जजमेंट आए कि जिसमें क्लीन चिट सरकार को मिले। लेकिन किसके आधार पर, गलत एफिडेविट के आधार पर। मैं तो चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट को जो गलत एफिडेविट दे, जो संसद के बारे में गलत एफिडेविट दे, जो पीएसी के बारे में गलत एफिडेविट दे और दूसरी जो कॉन्स्टिट्यूशनल जगह है, उसके बारे में गलत एफिडेविट दे, ऐसी सरकार को तो उन्हें डिसमिस करना चाहिए था, ऐसी सरकार को रहने का कोई हक नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं किया। ऐसी अपेक्षा हम करते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट को जो गुमराह करके अपने फेवर में जजमेंट लेने का जो प्रय़ास करे, तो आप उससे क्या अपेक्षा कर सकते हैं कि वो क्या इंसाफ और क्या जांच करेगा?

 

इसलिए हम शुरु से कहते थे कि जेपीसी होनी चाहिए और ये जेपीसी कोई नई चीज नहीं है। 1987 में जब हमारी सरकार थी, हमारे प्रधानमंत्री पर, हम पर आरोप लगे, हमने ये जेपीसी की। 1992 में हमारी सरकार थी, सरकार पर आरोप था, सिक्योरिटी और बैंकिंग ट्रांजेक्शन जो हुए, तब हुई। 2001 में अटल जी की सरकार थी, स्टॉक मार्केट स्कैम पर हो गई। 2003 में फिर अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी, पेस्टि साईड और सॉफ्ट ड्रिंक्स और फ्रूट जूस पर हुई, टेलिकॉम स्पेक्ट्रम  पर 2011 के दौरान हुई। वीवीआईपी चॉपर घोटाले, 2013 पर भी हुई। तो ऐसा नहीं कि हमारी सरकार हो या भारतीय जनता पार्टी की पुरानी सरकार हो, उस वक्त, हर वक्त जब विपक्ष ने मांग की है, कई जगह तो कांग्रेस पार्टी ने खुद आगे बढ़कर कहा कि अच्छा अगर आपको यकीन नहीं है तो जेपीसी करो। लेकिन ये सरकार है, ये सरकार क्यों नहीं कर रही है, जब किसी ने चोरी की होती है तो वो जांच नहीं मांगता है। जिसका दिल साफ हो, जिसने कोई चोरी नहीं की हो, जिसने कोई घोटाला नहीं किया होता है, उसे किसी चीज का डर नहीं होता है, जेपीसी हो, कोई भी एजेंसी हो, वो जांच करे। लेकिन जिसने चोरी की हो, वो इस जांच से डरता है, इसलिए जेपीसी नहीं करते हैं। इसलिए हमारी ये आज मांग है कि जेपीसी ही इन तमाम चोरियों का, घोटाला का पर्दाफाश कर सकती है। 

 

अब आज की प्रेस वार्ता क्यों की, उसके बारे में हमारे सहयोगी बताएंगे, लेकिन मैं ये बता सकता हूं कि इस बीच में कुछ नए तथ्य आ गए हैं, हमारा जो आरोप था कि प्रधानमंत्री और सरकार ने ये डील की थी तो उस वक्त उन्होंने CCS से कोई परमिशन नहीं ली थी, अब ये बात सामने आ गई कि उस वक्त जो कीमत तय हो गई थी, 5.2 बिलियन यूरो, उसको वापस आकर माननीय प्रधानमंत्री ने खुद बदलवाया, खुद बढ़वा दिया, जो राहुल गांधी जी ने बताया था कि डिफेंस मिनिस्ट्री ने इंकार किया था उस कीमत को बढाने के लिए, अब उस पर पेपर आ गए, वो सब आ गए। अब क्या हो ना चाहिए, इसलिए हम जितना गहरा जा रहे हैं, उतने काले हाथ हो रहे हैं। इसलिए इसकी सच्चाई देश के सामने आ जाए, इसके लिए फिर हम यही मांग करते हैं कि जेपीसी होनी चाहिए। 

 

श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मुझे ज्यादा कुछ बताने की जरुरत नहीं क्योंकि आजाद साहब जी ने बहुत सी बातें आपके सामने रखी हैं, मैं इतना ही कहूंगा कि मोदी जी झूठ पर झूठ बोलते जा रहे हैं और मोदी जी की वकालत करने वाले वकील भी झूठ बोल रहे हैं। चाहे सुषमा स्वराज जी हों, चाहे जेटली जी हों, चाहे डिफेंस मिनिस्टर हों और वो हमको ये कहते थे, जैसा कि जेटली साहब जी ने परसों जब संसद में कहा कि यूपीए सरकार की येस मिनिस्टर टीम थी, तो अब जेटली साहब भी येस मिनिस्टर में हैं, क्योंकि जो कुछ भी मोदी जी बोलते हैं, उसी को वो हाउस में आकर दोहराते हैं। जैसा कि गुलाम नबी आजाद साहब ने बताया कि जो बैंचमार्क प्राईस था, पहले 5.2 बिलियन यूरो फिर उसके बाद मोदी जी ने उसको 8.2 बिलियन यूरो कर दिया। तो आप इससे जान सकते हैं कि जैसा की सारी चीजें हो रही हैं, वे संसद के सामने तो झूठ बोल रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने भी उन्होंने झूठ बोला कि सीएजी की रिपोर्ट हमने पेश की है और पब्लिक अकाउंटस कमेटी ने उसकी छानबीन की है और सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट हुआ है, हमें क्लीन चिट मिली है। य़े सारी चीजें वो बोल रहे हैं। सारी चीजें सत्य से दूर हैं, इसलिए हम जेपीसी मांग रहे हैं क्योंकि ये सारी चीजें बाहर आ जाएंगी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद जी ने भी कहा और मेक्रों जी ने भी कहा कि मुझे ये मालूम ही नहीं, ये सारी चीजें बाहर आ जाएंगी और दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। लोगों को भी मालूम हो जाएगा कि कौन सत्य बोल रहा है और कौन असत्य बोल रहा है। बाकी चीजों के बारे में आपको सुरजेवाला जी बताएंगे। 

 

श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राफेल के भ्रष्टाचार की परतें आए दिन खुल रही हैं, पर्रिकर जी के बेडरुम और फ्लैट में राफेल की फाइलों के कौन से राज दफन हैं, ये तो मोदी जी संसद के पटल पर बताएं। पर रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय की राफेल की फाइलों में जो राज दफन है, वो अब दिन-प्रतिदिन उजागर होते जा रहे हैं। सबसे ताजा रहस्य जो उद्घाटन हुआ है, उससे साफ है कि राफेल की फाइलों में ही भ्रष्टाचार, गड़बड़झाले और घोटाले के राज दफन हैं। अब ये साफ है कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने राफेल सौदे की नेगोसियेशन टीम ने भ्रष्टाचार, गड़बड़झाले और घोटाले पर लिखकर राफेल की फाइल पर सवाल उठाए, परंतु मोदी जी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के प्रमुख के तौर पर उन सबको कूड़ेदान में डाल दिया और देश के राजस्व को चूना लगाया।

 

देश के पैसे की लूट का मामला अब उजागर है, देश में राफेल घोटाले में हुए भ्रष्टाचार का पूरा गड़बडझाला उजागर है और वो राफेल की फाइलों में कैद है। उसके 6 बिंदु अब उजागर हो गए हैं और बहुत संक्षिप्त में जैसा लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के आदरणीय नेताओं और विपक्ष के नेताओं ने बताया, वो अब सामने हैं।

 

पहला, प्रधानमंत्री मोदी जी ने राफेल जहाज का बैंचमार्क प्राईस 5.2 बिलियन यूरो यानि 39,422 करोड़ रुपए से बढ़ाकर अपनी मनमर्जी से उसे 8.2 बिलियन यूरो यानि 62,166 करोड़ रुपए कर दिया। 39,000 से 62,000 करोड़ रुपया मोदी जी आप राफेल की बैंचमार्क कीमत क्यों बढ़ा रहे थेइसलिए कि जो यूपीए नीत कांग्रेस सरकार जहाज सस्ता 526 करोड़ रुपए में खरीद रही थी, आप उस जहाज को महंगा 1,611 करोड़ रुपए में खरीद कर देश के राजस्व को चूना लगाना चाहते थे। ये अब राफेल की फाइलों में तो कैद है ही, उसके साथ-साथ उस समय के रक्षा मंत्रालय के हैड ऑफ फाईनेंस सुधांशु मोहंती जी ने भी जो मई, 2016 तक हैड ऑफ फाईनेंस थे, इस पूरे गड़बड़झाले को उजागर कर दिया। मोदी जी आप अपने हैड ऑफ फाईनेंस रक्षा मंत्रालय के बयान पर राफेल की फाइलों में नेगोसियेशन टीम द्वारा दर्ज एतराजात पर चुप क्यों हैं? क्या रक्षा मंत्री साहस दिखाएंगी कि वो संसद को बताएं कि कीमतें 5.2 बिलियन यूरो से बढ़ाकर आपने उसे बैंचमार्क प्राइस को 8.2 बिलियन यूरो क्यों बढाया और देश के राजस्व को चूना क्यों लगायाये है भ्रष्टाचार का खेल।

 

दूसरा, प्रधानमंत्री मोदी जी ने एडवांस और परफोर्मेंस बैंक गारंटी, सॉवरेन बैंक गारंटी की शर्तों को दर किनार कर दिया और देश की और देश के हितों को आघात पहुंचाया। रक्षा मंत्रालय की फाइलों में, राफेल की फाइलों में क्या दर्ज है, I am quoting there objection that said, “No Advance & Performance Bank Guarantee has been obtained from Dassault Aviation and the advance payments made prior to delivery are not secured.” यानि पैसा पहले दे दिया, डिलिवरी आई भी नहीं, मोदी जी बगैर जहाज आए ही पैसा दे गए और इसलिए 9 दिसंबर, 2015 को मोदी जी की सरकार में कानून मंत्रालय ने लिखकर एतराज किया कि राफेल डील में न कोई प्रोपर बैंक गारंटी है, ना सॉवरेन गारंटी है। जो लिखित एतराजात उन्होंने दिए, मैं आपका समय नहीं लूंगा, यहाँ पर मैं आपको उस फाइल की एग्जेक्ट नोटिंग्स को जारी कर रहा हूं।

 

इतना ही नहीं 7 मार्च, 2016 को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर जी जिनके बेडरुम में राफेल की फाइल है, उन्होंने इस पर अपना ओपिनियन देने से इंकार कर दिया और फाइल मोदी जी को भेज दी।

 

18 अगस्त, 2016 को रक्षा मंत्रालय के एयर एक्विजिशन विंग ने फिर ये कहा कि जो फाइल पर लिखा है, and I quote, “Bank Guarantees may be insisted from French as required under our procedure & Indian side may bear Bank Guarantee charges.”

 

23 अगस्त, 2016 को कानून मंत्रालय ने फिर दोहराया, मोदी जी बैंक गारंटी, सॉवरेन गारंटी जरुरी है, नहीं तो देश के हितों को आघात पहुंचेगा और कानून मंत्रालय की फाइल नोटिंग भी हम निकाल ले आए हैं, हम आपको जारी कर रहे हैं।

 

इन सबके बावजूद, 24 अगस्त, 2016 को अगले दिन ही प्रधानमंत्री जी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी में इन सबको कूड़ेदान में डाल दिया और राष्ट्र के हितों को अगर मैं ये कहूं सरेबाजार बेच डाला, तो गलत नहीं होगा।

 

नंबर तीन, अब रक्षा मंत्रालय की फाइलों में ये भी दर्ज है कि मोदी जी ने जो 126 जहाज MMRCA में कांग्रेस यूपीए सरकार खरीद रही थी, उनसे इन्फीरियर, उनसे घटिया ‘Maintenance Terms & Conditions’ मंजूर कर ली, रक्षा मंत्रालय के एतराज के बावजूद। ये बहुत गंभीर आरोप है। रक्षा मंत्रालय की नोटिंग्स में दर्ज है and I quote again, “the Maintenance Terms and Conditions including Performance Based Guarantee (PBG) of 36 Rafale IGA was not better than that of 126 MMRCA bid.”

 

मोदी जी जिस कंपनी से, जिस सरकार से 126 जहाज कांग्रेस की सरकार खरीद रही थी, उससे इन्फीरियर, Maintenance की Terms & Conditions आपने क्यों ली, क्या इससे हमारे पॉयलटस, हमारी सुरक्षा को सीधा-सीधा खतरा नहीं पहुंचता है?

 

चौथी और भी चौंकाने वाली बात है और वो ये है 126 राफेल जहाज जो यूपीए-कांग्रेस सरकार खरीद रही थी, उससे इन्फीरियर Terms and Conditions of delivery मोदी जी ने स्वीकार कर ली, यानि 126 जहाज जल्दी आने थे, 36 जहाज बाद में आएंगे, ये हम नहीं कह रहे हैं, ये रक्षा मंत्रालय की नेगोसियेशन टीम की फाइल में लिखा है। And I read again, the objections on the file read “The delivery schedule of 36 Rafale IGA was not better than that of 126 MMRCA bid.” 

 

पहला राफेल अब 36 राफेल डील के मुताबिक सितंबर, 2019 में आएगा और आखिरी आएगा 2022 में। 10 अप्रैल, 2015 को मोदी जी ने जहाज खरीदे यानि साढ़े आठ साल बाद, इसलिए रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मोदी जी 126 जहाज जल्दी आ रहे थे, 36 जहाज और देर से आएंगे, आप ऐसा क्यों कर रहे हैं 

 

पांचवा एतराज जो अब बंद है, रक्षा मंत्रालय की राफेल फाइल में जो एक बेडरुम में भी बंद है और वो ये है कि सरकारी खजाने को चूना लगाया गया, क्योंकि दोनों एलिजिबल कंपनी के पैसा कम करने के ऑफर को मोदी जी ने कंसिडर ही नहीं किया। And Objections on the Defence Minister file read, I quote again, “The 20% discount offer of EADS in 126 MMRCA tender was ignored. ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये रक्षा मंत्रालय के एतराजात में दर्ज है।  The Indian Negotiation Team (INT) should take EADS quote for 36 Rafale delivery equivalent and then compare prices.” रक्षा मंत्रालय ने कहा दो जहाज बराबर पाए गए थे, एक जहाज की कंपनी 20 प्रतिशत कीमत गिरा रही है, कम से कम जब आप 36 राफेल खरीद रहे हैं, तो उस कीमत का आकलन इसमें तो जोड़ लीजिए ताकी जहाज की कीमत सस्ती हो जाए। परंतु मोदी जी ने उसे भी ignore कर दिया और हमें मालूम है कि 4 जुलाई, 2014 को तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री अरुण जेटली जी को यूरो फाईटर ने चिठ्ठी लिखकर 20 प्रतिशत कीमतें कम करने का ऑफर दिया था। क्या ये सही नहीं कि अगर आपको दोनों जहाज बराबर होते हुए सस्ते मिल रहे थे तो एक फ्रेश बिडिंग कम से कम इन दोनों कंपनियों में करवाते, Inter Governmental Agreement (IGA) route के द्वारा, और जो सबसे सस्ता सौदा होता, वो लेते। ये मैं नहीं कह रहा हूं, ये तो रक्षा मंत्रालय की फाइलों में दर्ज एतराजात कह रहे हैं, तो मोदी जी आपने उसको ignore क्यों किया?

 

छठा, रक्षा मंत्रालय की फाइल में ये लिखा है कि That  PM Modi paid a higher price for Rafales than the price paid for Egypt and Qatar and the Objections on the file read and I quote “As per the prices reflected in Dassault’s financial results, it has sold Rafale at a cheaper rate to Qatar and Egypt as compared to India” और मैं वो रिपोर्ट भी ले आया हूं, आपको जारी कर रहा हूं, दसॉल्ट एविएशन की, जिसका रक्षा मंत्रालय की फाइल में हवाला है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 48 राफेल जहाज 24 each Egypt and Qatar को बेचे गए। इनकी एनुअल रिपोर्ट 2016 में ये लिखा है कि इन 48 जहाजों की कीमत 7.9 बिलियन यूरो है। जबकि हमारे 36 जहाज की कीमत यूरो 7.5 बिलियन है। इसका मतलब Egypt and Qatar को जो जहाज बेचा गया उसकी कीमत है 1,319 करोड़ रुपए और हमने जो जहाज खरीदा जेटली जी ने सदन के पटल पर बताया, 36 जहाजों की 58,000 करोड़ रुपए तो वो है 1,611 करोड़ रुपए का, तो यानि 291 करोड़ 31 लाख प्रति जहाज आप हिंदुस्तान में राफेल खरीदने के लिए अतिरिक्त क्यों दे रहे थे? राजस्व को चूना कभी कीमतें बढ़ाकर और कभी महंगा खरीद कर और कभी सारी शर्तों की अवहेलना कर क्यों रहे थे? अब ये साफ है कि दाल में काला नहीं, जैसा राहुल जी ने कहा था, पूरी दाल काली है। इन्हीं शर्तों की चर्चा, इनमें से कुछ एतराज की चर्चा जब सदन के पटल पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जी ने की तो ना प्रधानमंत्री जी ने जवाब दिया और ना जेटली जी ने अपने लंबे चौड़े भाषण में गाली गलौच के बावजूद जवाब दिया कि रक्षा मंत्रालय में इंडियन नेगोसियेशन टीम के किसी सदस्य ने क्या कोई एतराज इस प्रकार का रिकोर्ड किया था, अब उनकी फाइल नोटिंग सामने है। जेपीसी के अलावा जैसा आदरणीय आजाद साहब, आदरणीय खड़गे जी और जैसा कांग्रेस अध्यक्ष जी ने कहा अब कोई चारा नहीं, मोदी जी और रक्षा मंत्री जी जो आज जवाब देंगे, वो बताएं कि क्या ये सब बातें कानून मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय उनकी फाइलों में अगर दर्ज है तो किस बेईमानी के चलते आप इन सबको उजागर करने से और जेपीसी को दिखाने से इंकार कर रहे हैं, जेपीसी की मांग इसलिए नहीं मान रहे कि चाहे बीजेपी के सदस्य भी हों, ढोल की पोल खुल जाएगी, ये सारी फाइलें आएंगी, तो उजागर हो जाएंगी, परंतु अब उजागर हो गई हैं।        

 

राफेल संबंधी एक प्रश्न के उत्तर में श्री सुरजेवाला ने कहा कि मुझे लगता है आदरणीय मित्र अगर आपने श्री राहुल गांधी जी की पिछली प्रेस कांफ्रेंस देख ली होती उसके साथ हमने आपको कागजात दिए हैं, request for proposal जो 2007 में जारी किया गया उसमें आर्म्स, एम्युनेशन, एवियोनिक्स, मिसाइल, वो सब इंक्लूडिड थी और इसीलिए जब सांझा स्टेट्मेंट मोदी जी और फ्रांस्वा ओलांद, उन्होंने जारी किया तो उन्होंने भी कहा कि ये सब जहाज में वो सारी स्पेसिफिकेश्न्स हैं, जो पहले से निर्धारित हुए हैं, इसलिए भाजपा की झूठ रंगे हाथों, बिल्कुल उसे बोलते हैं, चोर का पकड़े जाना, ऐसे पकड़ी जाती है।

 

एक अन्य प्रश्न पर कि ओलांद जी और प्रधानमंत्री मोदी जी के बीच की बातचीत के मिनट्स जारी किए जाएं, क्या ये आपकी मांग है, श्री सुरजेवाला ने कहा कि बिल्कुल, हमने एक से अधिक बार कहा है, चोरी हुई और उस चोरी का खुलासा फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद जी ने कर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने ये शर्त रखी थी कि 36 जहाज तब हिंदुस्तान खरीदेगा, जब रिलायंस को ये डील मिलेगी। मोदी जी ने आज तक इस बात को नकारा नहीं है, न इंटरव्यू में न सदन के पटल पर। उस कमरे में तो दो ही आदमी थे, या फ्रांस्वा ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति थे या हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री जी थे। परन्तु मोदी जी बयान दिलवा रहे हैं दसॉल्ट एविएशन से, जिनको मोटा मुनाफा मिल रहा है, वो तो उस कमरे थे ही नहीं और इमैनुअल मैक्रोन साहब ने भी कहा, जो आज राष्ट्रपति हैं कि वो फ्रांस्वा ओलांद जी की बात को नहीं झुठला सकते क्योंकि वो उस कमरे में नहीं थे। इसलिए चौकीदार चोर है, ये सबके सामने है।

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