बाबरी मस्जिद मामले का फैसलाः
पॉपुलर फ्रंट ने रिव्यू पिटिशन दाखिल करने और वैकल्पिक ज़मीन की पेशकश को रद्द करने के मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के फैसले का किया स्वागत
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक ने बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल करने और 5 एकड़ वैकल्पिक ज़मीन की पेशकश को रद्द करने के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के फैसले का स्वागत किया है।
विध्वस्त बाबरी मस्जिद की जगह पर मंदिर निर्माण का सुप्रीम कोर्ट का फैसला इंसाफ के साथ खुला मज़ाक है, साथ ही यह मुसलमानों के साथ भेदभाव और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए एक बड़ा धक्का है। कोई भी विवेक रखने वाला नागरिक उच्चतम न्यायालय की तरफ से दिए गए इस तरह के फैसले को स्वीकार नहीं कर सकता। फैसले के खिलाफ जाते हुए रिव्यू पिटिशन दाखिल करने और 5 एकड़ ज़मीन की पेशकश को रद्द करने का फैसला करके, पर्सनल ला बोर्ड ने न केवल भारतीय मुसलमानों और बड़े पैमाने पर भारतीय समाज की भावना को प्रस्तुत किया है, बल्कि उसने देश के प्रति एक ऐतिहासिक कर्तव्य निभाया है। बैठक ने न्याय की रूह को बरक़रार रखने वाला फैसला लेने पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अध्यक्ष, महासचिव और उसकी वर्किंग कमेटी को मुबारकबाद पेश की।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे बड़ा प्लेटफार्म है और इसका फैसला दूसरे किसी भी व्यक्ति या समूह से कहीं ज़्यादा महत्व रखता है। बोर्ड की हालिया बैठक में मौजूद लोगों की लिस्ट भी इस हकीकत को बयान करती है जिसमें मौलाना राबे नदवी, मौलाना वली रहमानी, एडवोकेट ज़फरयाब जिलानी, मौलाना महमूद मदनी, मौलाना अरशद मदनी, सांसद असदुद्दीन ओवैसी वगैरह शामिल हैं। पॉपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय सचिव अब्दुल वाहिद सेठ भी पर्सनल ला बोर्ड की बैठक में शरीक रहे।
पॉपुलर फ्रंट की एन.ई.सी की बैठक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विस्तार पूर्वक चर्चा के बाद यह पाया कि यह एक अजीबो गरीब फैसला है, क्योंकि अदालत अपने ही जांच-परिणाम के आधार पर न्यायिक फैसला देने में असफल रही है। इस प्रकार के कमज़ोर फैसले से देश की न्यायपालिका की साख को काफी ठेस पहुंची है। कोई भी संस्था चूक से खाली नहीं है और सुप्रीम कोर्ट की खोई हुई साख को दोबारा बहाल करने की ज़िम्मेदारी खुद सुप्रीम कोर्ट के ऊपर है। पॉपुलर फ्रंट ने इस विचार को दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक राजनीतिक फैसला दिया है जो खुले तौर पर न्याय के खिलाफ है।
बैठक ने आवाम से अपील की कि वे लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों से अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना जारी रखें और विध्वस्त बाबरी मस्जिद की यादों को जिं़दा रखें। पॉपुलर फ्रंट की एनईसी ने बाबरी मस्जिद को इंसाफ दिलाने के संघर्ष में आगे खड़े रहने के अपने संकल्प को दोहराया।
बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें ओ.एम.ए. सलाम, मोहम्मद अली जिन्ना, अनीस अहमद, प्रोफेसर पी. कोया, ई.एम. अब्दुर्रहमान, के.एम. शरीफ, ए.एस. इस्माईल, नासिरुद्दीन एलामरम, मोहम्मद इस्माईल, मोहम्मद साकिब, अफसर पाशा, करमना अशरफ मौलवी, के. सादात, एडवोकेट मोहम्मद यूसुफ और या मोहियुद्दीन शामिल हैं।
एम. मोहम्मद अली जिन्ना
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