ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद ने एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह से दिल्ली पुलिस द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को फंसाने की साज़िश हो रही है वह शर्मनाक और निंदनीय है. उन्होंने कहा कि जो लोग आज पुलिसिया दमन की वजह से जेलों में हैं हम मुशावरत की ओर से उनको सलाम पेश करते हैं. उन्होंने उन्हें कांस्टिट्यूशन वारियर्स बताते हुए कहा कि यह वह लोग हैं जिन्होंने सच में संविधान का झंडा उठाया है.
श्री नावेद ने आरोप लगाया कि इन शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को किसी के इशारे पर टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह वही व्यक्ति है जो भारत के अंदर अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन भारत के संविधान की लाज रख कर इन छात्रों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों ने खुद को कुर्बान किया और आज जेलों में हैं. उन्होंने एनएचआरसी और नेशनल माइनॉरिटी कमीशन राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी खामोशी शर्मनाक और अफसोसनाक है. इसलिए इनके लोगों को अपने पदों पर बने रहने का हक़ नहीं है. उन्होंने UAPA को दलितों आदिवासियों और मुसलमानों के खिलाफ गलत ढंग से इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पहले इसको अंबेडकर के पोते के खिलाफ इस्तेमाल किया गया और आज शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर इस्तेमाल हो रहा है.
उन्होंने छात्र एक्टिविस्ट गर्भवती सफूरा ज़रगर को निशाना बनाने की कड़े शब्दों में निंदा की. श्री हामिद ने कहा कि मुसलमान सरकार की दमनकारी नीतियों से डरने वाले नहीं हैं. उन्होंने सरकार पर भारत को दुनिया में बदनाम करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार को अपने तरीके को बदलना होगा और अगर सरकार अपनी नीतियों को नहीं बदलती है तो विरोध प्रदर्शन जारी रहेंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से ज़फरुल इस्लाम खान उमर खालिद मीरान शफाउर्रहमान को टारगेट किया गया वह ठीक नहीं है. सरकार को इन सब लोगों को आरोपों से बरी करना चाहिए और पुलिस को सही ढंग से काम करना चाहिए.
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