देश मुश्किल दौर से गुज़र रहा है, CAA के पक्ष में दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पड़ी
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को संवैधानिक करार दिए जाने की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सख्त टिप्पणी की है. सर्वोच्च न्यायालय की ओर से आज कहा गया है कि देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसे में सब की कोशिश शांति स्थापित करने की होनी चाहिए. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि ऐसी याचिकाओं का इस समय कोई फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जब तक शांति स्थापित नहीं होती है ऐसी अर्ज़ियों पर सुनवाई मुमकिन नहीं है.
उन्होंने कहा कि कोशिश सबसे पहले शांति स्थापित करने की होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. भारत समेत पूरी दुनिया में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सरकार से इस कानून को वापस लेने की अपील की जा रही है. जानकार मानते हैं कि 20 जनवरी को जब सुप्रीम कोर्ट में इस बिल को लेकर के सुनवाई होगी ऐसे में देखना होगा सुप्रीम कोर्ट का रुख क्या होता है?
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) को संवैधानिक करार देने के लिए एक याचिका दायर की गई. इस दौरान चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कड़ी टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ने कहा कि अभी देश काफी मुश्किल वक्त से गुजर रहा है, ऐसे में इस तरह की याचिकाएं दाखिल करने से कुछ फायदा नहीं होगा.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, ‘देश अभी मुश्किल दौर से गुजर रहा है. ऐसे में इस वक्त हर किसी का लक्ष्य शांति स्थापित करना होना चाहिए. इस तरह की याचिकाओं से कोई मदद नहीं मिलेगी. इस कानून के संवैधानिक होने पर अभी अनुमान लगाया जा रहा है’.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ जो भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उनकी सुनवाई तभी शुरू होगी जब हिंसा पूरी तरह से रुक जाएगी. वकील विनीत ढांडा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी कि CAA को संवैधानिक घोषित किया जाए. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने की.
केंद्र को पहले ही भेजा जा चुका है नोटिस
बता दें कि मोदी सरकार के द्वारा लाए गए इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दर्जनों याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई नेताओं, संगठनों ने सर्वोच्च अदालत में CAA को गैर-संवैधानिक करार देने की अपील की थी.
इन सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा था और सरकार का पक्ष मांगा था. सर्वोच्च अदालत की ओर से केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था.
कानून के खिलाफ लगातार हो रहा है विरोध
नागरिकता संशोधन एक्ट के मुताबिक, बांग्लादेश-पाकिस्तान-अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. विपक्ष समेत कई संगठन इस कानून को संविधान विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी बता रहे हैं. इस कानून के खिलाफ पिछले कई दिनों से देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है, इस दौरान हुई हिंसा में 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
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