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जो आग लगाई है हमारे प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी ने, जिसमें हिंदुस्तान का एक बहुत बड़ा हिस्सा अशांति की आग में जल रहा है: कांग्रेस

ये मौखिक ही नहीं कहा गया, लिखित रुप से भी कहा गया और उस कागज को रिसीव भी कराया गया। हम वहाँ पीड़ितजनों के आंसू पौंछने जा रहे थे, शांति की स्थापना में सहयोग करने जा रहे थे, जो आग लगाई है हमारे प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी ने, जिसमें हिंदुस्तान का एक बहुत बड़ा हिस्सा अशांति की आग में जल रहा है। मैं उत्तर प्रदेश से आता हूं, उत्तर प्रदेश की कई जगहों से बर्बरता की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। मुझे तो याद नहीं पड़ता कि पिछले कई वर्षों में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एडमिट किया हो कि 18 लोग मारे गए हैं, जबकि आशंका व्यक्त की जा रही है कि 18 लोग जान से हाथ धो बैठे हैं तो कितने लोग घायल होंगे, कितने लोग गिरफ्तार होंगे? तो जो राहुल जी की मंशा थी, जो प्रियंका जी की मंशा थी कि हम जाएं, पीड़ित परिजनों के दुख में शामिल हों, उन्हें न्याय दिलाने में मदद करें, उससे रोका गया और ये भी कहा गया कि हम 2-3 दिन बाद ले चलेंगे, क्योंकि हमारा इरादा शांति का, संवेदना व्यक्त करने का है, अशांति पैदा करने का नहीं है, जो सरकार कर रही है। तो उसके बाद जब रोक दिया गया तो हम लोग वहाँ से वापस आ गए। लेकिन ये पुलिस का इकबालिया बयान है कि स्थिति बहुत तनावपूर्ण और वहाँ अशांति है। ये पुलिस का इकबालिया बयान है कि 18 लोग मारे जा चुके हैं और ये भी पुलिस का इकबालिया बयान ही नहीं, पुलिस का व्यवहार है कि उसने 2 नेताओं को, जो सबसे बड़े विरोध पक्ष के, एक तो प्रभारी हैं उत्तर प्रदेश की और दूसरे हमारे पूर्व अध्यक्ष को जाने से रोका। कौन सी सच्चाई ना पता लगे, ना आपके बीच में आए, किस चीज को छुपाना चाहते हैं, किस चीज को वो रोकना चाहते हैं, ये तो वही जाने। पर हमने भरपूर शांति के लिए, कोई तनावपूर्ण स्थिति ना हो, सहयोग किया है और उम्मीद है कि 2-3 दिन बाद वो अपना वचन निभाएंगे और हमारे नेताओं को ले जाएंगे।

By: वतन समाचार डेस्क
  • जो आग लगाई है हमारे प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी ने, जिसमें हिंदुस्तान का एक बहुत बड़ा हिस्सा अशांति की आग में जल रहा है: कांग्रेस
  • PRESS RELEASE

 

प्रमोद तिवारी ने कहा कि परसों उत्तर प्रदेश की प्रभारी और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी जी बिजनौर गई थी और प्रशासन की तरफ से कोई रोक नहीं थी, वो लोगों से मिली, वहाँ उन्होंने कोई पॉलिटिक्ली एक्टिविटी नहीं की, आप लोगों में से जो वहाँ उपस्थित थे, उनसे बहुत ही शांतिपूर्वक मिलकर वो लौट आई और फिर वहाँ उसके बाद पूरी तरह से शांति है। आज उसी तरह आदरणीय प्रियंका जी, आदरणीय राहुल जी मेरठ उन पीड़ित परिवारों के आंसू पौंछने जा रहे थे, जिनके परिजन इस हिंसा में मारे गए हैं, जिनकी संख्या दुर्भाग्यवश 18 से 20 या इससे ज्यादा भी हो सकती है। उनके परिवारजनों का कहना है कि वो पुलिस की गोली का शिकार हुए हैं, पुलिस बार-बार अपना बयान बदलती रहती है, कभी कहती है कि एक भी गोली नहीं चली, फिर बिजनौर में स्वीकार करती है कि गोली चली। कानपुर में आप लोग दिखाते हैं कि फायरिंग की जा रही है, गोली चलाई जा रही है। तो उन पीड़ितों के आंसू पौंछने के लिए यहाँ से लगभग 11, 11:30 बजे, हमारे दोनों नेता निकले, किसी को गाजियाबाद में सूचना नहीं, मोदी नगर में नहीं, कोई साथ भी नहीं जा रहा था, मैं ही अकेले उनके साथ था।

मोदी नगर में मेरठ पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने हमें रोका। हम लोग मेरठ जा रहे थे, फिर पता लगाया कि किस गाड़ी में प्रियंका जी हैं, गाड़ी आगे गई और रोका गया। इत्तेफाक से कुछ मीडिया के लोग भी मौजूद थे, मेरठ से आ गए थे, वहाँ रोक कर एक वरिष्ठ अधिकारी ने ये कहा कि वहाँ की स्थिति तनावपूर्ण है, धारा 144 लागू है, इसकी सूचना हम आपको मौखिक रुप से दे रहे हैं और लिखित रुप से दे रहे हैं, जो मेरे ख्याल से प्रेस को दे दिया गया है। एक पेपर दिया, जिसमें ये लिखा था कि यहाँ धारा 144 लागू है, स्थिति अत्यंत तनावपूर्ण है और संवेदनशील स्थिति में किसी भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है, बेहतर है कि आप लोग वहाँ ना जाएं, वहाँ बहुत भीड़ इक्कट्ठा है और कोई भी घटना हो सकती है। राहुल जी ने कहा कि देखिए, हम सिर्फ दो ही लोग हैं, प्रमोद जी हैं, तीन लोग हैं, हम तीन जाना चाहते हैं, हम दो भी जा सकते हैं। मैंने स्पष्ट किया कि धारा 144 लागू होने पर 5 से ज्यादा लोगों का इक्कट्ठा होना, लाउड स्पीकर का प्रयोग करना, पब्लिक मीटिंग करना या कोई उत्तेजना फैलाने की कार्यवाही पर रोक होती है, आवागमन पर कोई रोक नहीं है, किसी से मिलने-जुलने पर कोई रोक नहीं है। तो ये स्पष्ट किया गया कि स्थिति तनावपूर्ण है, हम प्रशासन की और से जिम्मेदारी लेते हैं कि 2-3 दिन बाद आप आईए और अच्छा रहेगा कि शुक्रवार के बाद आईए, स्वयं प्रशासन आपको अपने साथ लेकर चलेगा और उन पीड़ितजनों से मुलाकात कराएगा।

ये मौखिक ही नहीं कहा गया, लिखित रुप से भी कहा गया और उस कागज को रिसीव भी कराया गया। हम वहाँ पीड़ितजनों के आंसू पौंछने जा रहे थे, शांति की स्थापना में सहयोग करने जा रहे थे, जो आग लगाई है हमारे प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी ने, जिसमें हिंदुस्तान का एक बहुत बड़ा हिस्सा अशांति की आग में जल रहा है। मैं उत्तर प्रदेश से आता हूं, उत्तर प्रदेश की कई जगहों से बर्बरता की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। मुझे तो याद नहीं पड़ता कि पिछले कई वर्षों में उत्तर प्रदेश पुलिस ने एडमिट किया हो कि 18 लोग मारे गए हैं, जबकि आशंका व्यक्त की जा रही है कि 18 लोग जान से हाथ धो बैठे हैं तो कितने लोग घायल होंगे, कितने लोग गिरफ्तार होंगे? तो जो राहुल जी की मंशा थी, जो प्रियंका जी की मंशा थी कि हम जाएं, पीड़ित परिजनों के दुख में शामिल हों, उन्हें न्याय दिलाने में मदद करें, उससे रोका गया और ये भी कहा गया कि हम 2-3 दिन बाद ले चलेंगे, क्योंकि हमारा इरादा शांति का, संवेदना व्यक्त करने का है, अशांति पैदा करने का नहीं है, जो सरकार कर रही है। तो उसके बाद जब रोक दिया गया तो हम लोग वहाँ से वापस आ गए। लेकिन ये पुलिस का इकबालिया बयान है कि स्थिति बहुत तनावपूर्ण और वहाँ अशांति है। ये पुलिस का इकबालिया बयान है कि 18 लोग मारे जा चुके हैं और ये भी पुलिस का इकबालिया बयान ही नहीं, पुलिस का व्यवहार है कि उसने 2 नेताओं को, जो सबसे बड़े विरोध पक्ष के, एक तो प्रभारी हैं उत्तर प्रदेश की और दूसरे हमारे पूर्व अध्यक्ष को जाने से रोका। कौन सी सच्चाई ना पता लगे, ना आपके बीच में आए, किस चीज को छुपाना चाहते हैं, किस चीज को वो रोकना चाहते हैं, ये तो वही जाने। पर हमने भरपूर शांति के लिए, कोई तनावपूर्ण स्थिति ना हो, सहयोग किया है और उम्मीद है कि 2-3 दिन बाद वो अपना वचन निभाएंगे और हमारे नेताओं को ले जाएंगे।

एक प्रश्न पर कि क्या 2-3 दिन बाद आप मेरठ जाएंगे, श्री तिवारी ने कहा कि मैंने यही कहा कि 2-3 दिन बाद जो प्रशासन से हमने कहा है, सिर्फ मेरठ ही क्यों, जहाँ-जहाँ पीड़ित परिजन हैं, जहाँ-जहाँ मांओं की आंखे के आंसू सूख नहीं रहे हैं, जिनके जवान बेटे मारे गए हैं, जिनके पति मारे गए हैं, उनके साथ कांग्रेस परिवार खड़ा है। हमारा प्रयास है कि हमारे सर्वोच्च नेतागण और जहाँ हमारे और नेतागण हैं, इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़े होंगे और उनको जो भी मदद की जरुरत हो, वो मदद देने की कोशिश करें। तो मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि बिजनौर और मेरठ दोनों सटे हुए जिले हैं, बिजनौर में आदरणीय प्रियंका जी गई, वहीं से आ गई है, कहीं शांति में कोई दिक्कत नहीं आई और वहीं मेरठ होकर बिजनौर गई थी और मेरठ में इतनी दिक्कत क्यों आ गई। तो ये तो मुझे लगता है कि उचित नहीं था प्रशासन की ओर से। हमारा मुख्य उद्देश्य था कि लगी हुई आग को शांत करना, तनावपूर्ण माहौल को शांत करना और पीड़ितजनों के साथ खड़े होना, कहीं कल ऐसा ना हो कि पीड़ितजनों से हम बात करें और उनको प्रताड़ित किया जाए। ऐसी शिकायतें आई हैं और ये मैं बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि जब उन्होंने अपना दुख कहा तो उन्हें प्रताडित किया गय़ा। मैं आपको कहना चाहता हूं कि ये इकबालिया बयान है कि देश के कई हिस्सों में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है और इतनी नियंत्रण के बाहर है कि वहाँ पर शांतिप्रिय नेता भी नहीं जा सकते हैं।

एक अन्य प्रश्न पर प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी के एनआरसी को लेकर बयानों में विरोधाभास है, इस पर कांग्रेस का क्या कहना है, श्री तिवारी ने कहा कि कांग्रेस भी वही कहती है जो आप कहते हैं। मैं उस दिन उपस्थित था, जिस दिन लोकसभा में भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह जी ने ये कहा था और कहा नहीं था, इन एक्शन कहा था। हाथ से, चेहरे से, आँख से पूरा संकेत देते हुए कहा था कि एनआरसी देश के हर हिस्से में लागू होगी। परसों प्रधानमंत्री जी को सुन रहा था, वो कुछ और कह रहे थे, तो गृहमंत्री जी सच बोल रहे हैं या प्रधानमंत्री जी सच बोल रहे हैं, मैं फिर भी नहीं कह रहा हूं कि दोनों में से कोई एक झूठ बोल रहा है।

एक अन्य प्रश्न पर कि मेरठ जाने को लेकर थाना प्रभारी ने कहा कि दायित्व जाने वाले का होगा और एसएसपी का जो बयान है वो अलग है, इन दोनों के बयानों के अलग होने की क्या वजह है, श्री तिवारी ने कहा कि मतलब मेरठ घूमने गए थे? मजाक हो गया है, ये गलत बोलने लगते हैं। एक गलती करता है, आप बता रहे हैं कि एसएसपी ने कुछ कहा, दूसरे ने कुछ कहा, सबकुछ कहें तो जो लिख कर कहा जिसकी लिखित कॉपी है, जिसके पास ना हो, दे दें, वो तो अपने आप कह रहे हैं कि वहाँ धारा 144 लागू है, ऐसा हुआ, वहाँ जो कुछ भी हुआ, वो आपकी जिम्मेदारी होगी। खड़े होकर रोका, तो माला भी नहीं थी उनके हाथ में, जो पहना रहे थे। 2 जगह उन्होंने रोका, मेरठ में रोका, मोदी नगर में रोका, मैं तो चप्पे-चप्पे से वाकिफ हूं, क्यों वो ये कह रहे हैं कि नहीं रोका? इसका बेहतर जवाब तो वही दे सकते हैं। एसएसपी साहब तो मौके पर नहीं थे। आपको ये कुछ हास्यास्पद नहीं लगता कि गए, मेरठ की सड़क मरम्मत देखने गए थे या क्या करने गए थे? सीधा सा सवाल है कि हम पीड़ितजनों के आंसू पौंछने जा रहे थे, परिजनों के बीच में जाना चाहते थे, मेरठ शहर तक पहुंच गए थे, वहाँ से चंद कदमों की दूरी पर था, वहाँ से हमें अगर वापस जाने को कहा जा रहा है, हमसे हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं और सबसे बड़ी बात कि अगर वहाँ कुछ हुआ, ये भी कहा जा रहा है कि वहाँ स्थिति तनावपूर्ण है, वहाँ आपस में उन लोगों के बीच में कुछ ज्यादा तनाव है, आप ना जाएं, तो फिर उसके बाद अगर हम वहाँ जाते, जिस उद्देश्य से निकले थे, तो फिर अगर कुछ भी होता तो वो सारा दोष यही कहा जाता कि आपको रोका गया और जबरदस्ती रोका, वरना उस पेपर पर हस्ताक्षर कराने का मकसद क्या था? वकील हूं, मैं भी जानता हूं, क्यों रिसीव कराया, क्यों इन राईटिंग कहा कि वहाँ जो कुछ भी होगा, उसकी जिम्मेदारी आपकी होगी। तो क्या कराना चाह रहे थे वहाँ पर, वो हम नहीं जानते।

On the question that the UP Police is saying that they had not fired, then how did the protestors die, Shri Pramod Tewari said Bijnor is the part of UP. The SP of Bijnor, I think, belongs to Police – he has said yesterday that when that boy started firing, then this Constable, he named the Constable, opened the firing. Forget about the first part because that is a lie. He had admitted that the Police have fired. Why Police have fired – he has given the details, but, his mother has said, that he was taken from one place to another place and he was shot dead.

तो बड़ी साफ सी स्थिति है कि बिजनौर इसी उत्तर प्रदेश का हिस्सा है, ऑन रिकोर्ड है, आप लोगों ने दिखाया, हमने देखा कि वहाँ पर स्थिति ऐसी बनी की पुलिस ने फायरिंग की, पुलिस की फायरिंग से मौत हुई। ये अलग सवाल है कि गोली कहाँ लगी, कितनी नजदीक से लगी है और वहाँ पर, किसी और को गोली नहीं लगी। पुलिस उसको अस्पताल में नहीं ले जा रही है, भाग खड़ी हुई वहाँ से, उसका परिवार लेकर जा रहा है। ज्याददती और इंतेहा है, तो इसमें कोई दो राय नहीं है, बर्बरता हुई है। कानपुर के जो प्रोटेस्ट आ रहे हैं, वहाँ पर फायरिंग दिखाई जा रही है।

एक अन्य प्रश्न पर कि जिस तरह से प्रियंका गांधी जी और राहुल गांधी जी को जाने से रोका गया है, क्या कोई राजनीतिक दबाव था, श्री तिवारी ने कहा कि बिजनौर में जिस तरह से आदरणीय प्रियंका गांधी जी गई, संवेदना व्यक्त करके आई, आंसू पौंछ कर आई, उससे भारतीय जनता पार्टी कहीं ना कहीं शांति नहीं चाहती है। मैं दोहराना चाहता हूं, भारतीय जनता पार्टी का अराजकता और अंशाति के बिना कोई उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। तो प्रियंका जी शांति से गई, शांति से लौट कर आई, तो उसी से सटे हुए मेरठ को जाने से रोकने का कोई औचित्य मुझे समझ नहीं आता।

एनपीआर पर सरकार के फैसले पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि आज ही कैबिनेट में फैसला लिया गया है, उसके पेपर आ जाएं, पढ़ लिए जाएं, समझ लिए जाएं। जब प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जी के बयान में विरोधाभास हो, तो सूचना प्रसारण मंत्री ने जो बताया है, अभी आलेख हमें नहीं मिले हैं, पेपर नहीं मिले हैं, पहले हम पढ़ लें, समझ लें, उन्होंने जितना बताया है, उसके अलावा भी कुछ उसमें होगा, उसको भी समझ लें, क्योंकि भाजपा कहती कुछ है और करती कुछ है।

एक अन्य प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि देश में कहीं भी डिटेंशन सेंटर नहीं हैं, श्री तिवारी ने कहा कि मैं गंभीरता से कह रहा हूं कि इसे लाइटली मत लीजिएगा, मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और गृहमंत्री कार्य़ालय की दूरी कुछ बढ़ गई है। वो ज्यादा स्वतंत्र हो गए हैं। तभी तो गृह राज्यमंत्री जी कुछ बोलते हैं और बेचारे प्रधानमंत्री जी को कुछ मालूम ही नहीं होता।     

 

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