वे स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें भुला दिया गया- 24, मौलाना शौकत अली
स्वतंत्रता सेनानियों की इस कड़ी में 24वां नाम मौलाना शौकत अली का है-
मौलाना शौकत अली -24
मौलाना शौकत अली का जन्म 10 मार्च 1873 को रामपुर में हुआ था। अली एक अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी और खिलाफत आंदोलन के समर्थक थे। उन्होंने अपने भाई जोहर अली के साथ खिलाफत आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिंसा लिया। वह स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध थे और उन्होंने 17 साल तक अर्थातः सन् 1913 तक अवध और आगरा के संयुक्त प्रांतों की प्रांतीय सिविल सेवा में कार्य किया।
शौकत अली उर्दू साप्ताहिक ''हमदर्द'' और अंग्रेजी साप्ताहिक ''कॉमरेड'' के प्रकाशन में अपने छोटे भाई की सक्रिय रूप से सहायता करते थे। इन दोनों पत्रिकाओं ने भारत में मुसलमानों की राजनीतिक रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1919 में शौकत को खिलाफत कमेटी का अध्यक्ष भी चुना गया था, हालांकि इस समय वह ब्रिटिश सरकार द्वारा सेडिशन सामग्री के प्रकाशन और प्रदर्शन के आरोप में जेल में बंद थे। इसके बाद सन 1921 में उन्हें असहयोग आंदोलन में शामिल होने के आरोप में दुबारा 2 साल की जेल की सज़ा काटनी पड़ी।
जेल से आज़ाद होने के बाद उन्हें केंद्रीय खिलाफत समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया। 1929 में वह दिल्ली में आयोजित आल पार्टी सम्मलेन में शामिल हुए, साथ ही वह पहले और दूसरे गोलमेज़ सम्मलेनों में भी शामिल हुए थे. अली ने 1932 में जेरूसलम में वर्ल्ड मुस्लिम सम्मलेन आयोजित करने में भी सहायता की थी।
मौलाना शौकत अली ने 26 नवंबर 1938 को दिल्ली के करोल बाग में इस दुनिया को अलविदा कहा। उन्हें जमा मस्जिद के कब्रिस्तान में ही दफ़न किया गया था।
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