नई दिल्ली, 3 सितम्बर | नई दिल्ली, 3 सितंबर: जमात-ए-इस्लामी हिंद को जमीअत उलेमा ये हिन्द मौलाना सैयद अरशद मदनी ट्रस्ट के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात पर कोई आपत्ति नहीं है। जमात-ए-इस्लामी ने आज अपनी संतुष्टि जाहिर की। संस्था की ओर से एक संवाददाता सम्मेलन में कहा गया कि हमारा मत शुरू से यह है कि धार्मिक नेताओं के बीच संवाद और बातचीत होनी चाहिए ताकि एकता और मोहब्बत और प्रेम कायम हो। हमारा आदर्श वाक्य यह है कि अगर आपके जीवन में कभी कोई काम नहीं हुआ है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको आज ऐसा नहीं करना चाहिए। सैयद अमीनुल हसन ने आगे कहा कि हमें इस बैठक को सकारात्मक तरीके से लेना चाहिए और यह शुरुआत से हमारा मत है।
“हम एनआरसी सूची में शामिल न होने वालों से धैर्य बनाए रखने की अपील करते हैं और साथ ही हमारी ये कोशिश भी है कि सूची में नाम दर्ज कराने की अपील करने का 120 दिन का जो समय मिला है उसमें उन सभी की कानूनी सहायता की जाए जिनका नामकिन्ही कारणों से एनआरसी सूची में शामिल नहीं हो सका है.”
उक्त बातें जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय सचिव एम०एम० ख़ान ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही.
देश के प्रमुख धार्मिक, सामाजिक-राजनीतिक संगठन जमाअत इस्लामी हिन्द ने मंगलवार को अपने दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय में असम में एनआरसी सूची जारी होने पर एक प्रेस वार्ता आयोजित किया जिसमें संगठन के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने पत्रकारों को संबोधित किया.
जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस० अमीनुल हसन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि, “दशकों से देश में रहने वाले लगभग 2 मीलियन लोगों को नागरिकता की अंतिम एनआरसी सूची से बाहर कर देना किसी भी देश की छवि को धूमिल करेगा और उन प्रभावित लोगों के भविष्य को अन्धकार में डाल देगा तथा उनके लिए गंभीर समस्या को जन्म देगा. देश में असंख्य समस्या मुंह बाए खड़ी है, आर्थिक क्षेत्र में देश कमज़ोर होता चला जा रहा है, ऐसे में देश के गंभीर मुद्दों की प्राथमिकता तय कर पाने में सरकार विफ़ल साबित हुई है.”
अमीनुल हसन ने असम एनआरसी सूची से बाहर होने वाले 19 लाख लोगों के भविष्य पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, “एनआरसी प्रक्रिया में एक पक्ष हेट और नफ़रत का भी है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता. सरकार देश के गंभीर और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटका रही है. देश की अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो रही है और लोग एनआरसी के नाम पर 3-4 साल से फाइल थामे लाइन में खड़े होकर अपना नाम सही करा रहे हैं फिर भी लाखों लोगों का नाम स्पेलिंग और मात्रा की गलती के कारण सूची में शामिल नहीं हो सका है. देश के पूर्व राष्ट्रपति के परिवार और कारगिल युद्ध लड़ने वाले सेना के रिटायर्ड लोगों का उदाहरण हमारे सामने है.
पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब देते हुए जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना जाफ़र ने कहा कि, “मुद्दा कश्मीर का हो या असम का इसे मानवाधिकार के बुनियाद पर देखा जाना चाहिए. असम में भी लोग परेशान हैं और कश्मीर में भी, इसलिए हम सरकार से ये मांग करते हैं कश्मीर में कानून व्यवस्था और शांति स्थापित की जाए और नागरिकों को बुनियादी सुविधा प्रदान की जाए.
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