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सभी धर्मों के प्रमुखों ने शांति व एकता के सन्देश को देश में फैलाने का आव्हान किया

जमीयत उलेमा ए हिंद के नेतृत्व में अमन एकता सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न

By: वतन समाचार डेस्क

नई दिल्ली 5 अगस्त 2019: देश में जारी मॉब लिंचिंग की अमानवीय घटनाओं और सांप्रदायिकता के बढ़ते  कदम को रोकने के लिए आज यहां जमीयत उलेमा ए हिंद के नेतृत्व में तालकटोरा इनडोर स्टेडियम नई दिल्ली में अमन व एकता सम्मेलन संपन्न हुआ। जिसमें हिंदू ,मुस्लिम,सिख ,ईसाई और बौद्ध सहित सभी धर्मों के प्रभावशाली मुख्य विद्वानों और प्रमुखों ने भाग लिया। जबकि स्टेडियम के अंदर और बाहर पचास हजार का समूह था । इस अवसर पर एक संयुक्त घोषणा पत्र पढ़ा गया, जिस का समर्थन मुस्लिम नेताओं के अलावा स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, जैन धार्मिक नेता डॉक्टर आचार्य लोकेश मुनी,बुद्धिस्ट नेता लामा लव बजांग और मसीही आर्कबिशप अनिल जोसेफ थॉमस कोटो, ज्ञानी रंजीत सिंह गुरुद्वारा बंगला साहिब ने हाथ उठाकर किया। घोषणा पत्र में विशेष रूप से धर्म या राष्ट्रवाद के नाम पर निहत्थे और कमजोर लोगों को इक्का-दुक्का घेरकर मारने,जलाने, मौत के घाट उतारने और सोशल मीडिया के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार करने तथा जनता में भय और निराशा पैदा करने को अत्यधिक घिनौना और घृणित करार देते हुए कहा गया कि यह सब किसी भी धर्म - समाज में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हम सब हिंदुस्तानी ऐसे लोगों से और उनके मानव विरोधी अभियानों से असहमति और असंलग्नता प्रकट  करते हैं और इनके खिलाफ प्रभावी कार्यवाही की पुरजोर मांग करते हैं । यह  सम्मेलन केंद्रीय और राज्य सरकारों से मॉब लिंचिंग के खिलाफ तुरंत प्रभावी कानून बनाने की मांग करता है। जिसमें दोषियों को सख्त सज़ा देने के साथ पुलिस और प्रशासन के उच्च पदाधिकारियों को जिम्मेदार करार देते हुए उन्हें भी सज़ा  दी जाए।

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जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव और इस सम्मेलन के ऑर्गेनाइजर मौलाना महमूद मदनी ने घोषणा पत्र का पाठ करते हुए कहा कि यह देश हमारा है ,इसको घृणा की आंधियों से बचाने की जिम्मेदारी हम सब पर बनती है।  अपनी इसी कर्तव्य परायणता के तहत जमीअत उलमा ए हिंद भविष्य में अपना पूर्ण उत्तरदायित्व निभाने का फैसला किया है।  इसलिए इस घोषणापत्र में यह शामिल किया गया है कि देश के वातावरण को पीसफुल बनाए रखने के लिए हर जिला और शहर में जमीयत सद्भावना मंच स्थापित किए जाएं, जिसमें हर वर्ग और हर धर्म के शांतिप्रिय नागरिकों को शामिल किया जाए और इस मंच की तरफ से समय-समय पर संयुक्त बैठकें और प्रोग्राम आयोजित किए जाएं, ताकि आपस में विश्वास की बहाली में मदद मिल सके।  मौलाना मदनी ने शेर ओ शायरी के माध्यम से अपने विचारों को प्रकट करते हुए कहा कि आज के सम्मेलन में पूरा भारत इकट्ठा है,इसलिए यह मांग भारत के सभी वर्गों की तरफ से है।  इस अवसर पर अध्यक्षीय भाषण में जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना कारी सय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने संयुक्त राष्ट्रीयता के शीर्षक से बात करते हुए कहा कि जमीअत उलमा ए हिंद हमेशा से यह कहती रही है कि भारत के नागरिक भारतीय होने के आधार पर एक कौम हैं । जमीयत उलेमा ए हिंद के पूर्व अध्यक्ष हजरत शेख उल इस्लाम मौलाना हुसैन अहमद मदनी संयुक्त राष्ट्रवाद के घोतक थे और उन्होंने इस दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हुए सभी को जोड़ने और एक धागे में बांधने का मार्ग प्रशस्त किया था। वर्तमान हालात के लिए सरकार जिम्मेदार है। मगर यह कहकर हम अपनी कर्तव्य परायणता से पल्ला नहीं झाड़ सकते बल्कि हम पर यह जिम्मेदारी नियुक्त होती है कि हम हर प्रकार की निराशा और भावुकता से अपने आप को बचाकर इस्लामी शिक्षाओं पर पूरी तरह से डट जाएं।  और इस्लामी परंपराओं के अनुसार सारे धर्मों के मानने वालों के साथ अच्छा व्यवहार अपनाना चाहिए।  स्वामी चिदानंद सरस्वती जी अध्यक्ष परमार्थ निकेतन ऋषिकेश सहयोगी संस्थापक ग्लोबल इंटरफेथ वाश अलायन्स ने घोषणा पत्र का समर्थन करते हुए कहा कि बिल संसद में पास होता है लेकिन बिल पास करने से कुछ नहीं होता बल्कि दिल का पास होना जरूरी है, इसलिए आज के प्रोग्राम से हम लोगों के दिलों को जोड़ने का संकल्प लेते हैं उन्होंने कहा कि हमें किसी भी स्थिति में गीदड़ की जिंदगी नहीं जीना है बल्कि शेरों की तरह जीना है। उन्होंने जमीयत उलेमा ए हिंद के माध्यम से सद्भावना मंच बनाए जाने पर प्रसन्नता प्रकट की और कहा कि हमें देश को चमन बनाने के लिए काम करने की आवश्यकता है।  उन्होंने इस अवसर पर एक नए  पौधे की प्रदर्शनी करके और पौधा भेंट करके पेड़ लगाने पर जोर दिया।

 प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मौलाना अरशद मदनी अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद की स्थापना का उद्देश्य देश के विभिन्न धर्मों के बीच अमन व शांति की स्थापना है।  70 साल गुजर जाने के बाद भी जमीयत अपने महापुरुषों और विद्वानों के मार्ग पर स्थापित है और हालात चाहे जैसे भी हों हम इससे नहीं हटेंगे।  मैं मुसलमानों से कहता हूं कि वह धैर्य का साथ हरगिज़ न छोड़ें क्योंकि अत्याचारी बनकर जिंदा रहने से पीड़ित बन कर मर जाना बेहतर है । मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ कछौछवी  अध्यक्ष ऑल इंडिया उलमा मशायख बोर्ड सज्जादा नशीन आस्ताना सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिम्नाई कछौछा शरीफ ने प्रोग्राम में निमंत्रण के लिए जमीअत उलमा ए  हिंद का धन्यवाद अदा किया, उन्होंने कहा इस्लाम सबकी भलाई और सुरक्षा का पाठ देता है। हमारे रसूल सल्लल्लाहो वसल्लम का उदाहरण और व्यवहार मौजूद है कि आपने किस तरह अपने दुश्मनों के साथ भलाई का मामला किया । ज्ञानी रंजीत सिंह जी चीफ ग्रंथि गुरुद्वारा बंगला साहब ने धर्म को अत्याधिक संवेदनशील विषय बताते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को धर्म के आधार पर मारना पीटना अत्याधिक घ्रणा स्पद और निंदनीय कार्य है।  हर एक को अपने अपने धर्म पर चलने का हक है।  आचार्य लोकेश मुनी ने कहा कि धर्म हमें जोड़ना सिखाता है तोड़ना नहीं । हम जहां अपने धर्म का पालन करें वहीं दूसरे के धर्म का सम्मान भी करें।

अनिल जोसेफ थॉमस कोटो,आर्कबिशप आफ दिल्ली ने कहा कि विभिन्नता में एकता भारत की सुंदरता है। इसे तोड़ने वाले को सज़ा मिलनी चाहिए ।

इस सम्मेलन को सम्बोधित करने वालों में विशेष रूप से जमात-ए-इस्लामी के अमीर सैयद सआदत उल्लाह हुसैनी, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, नवेद हामिद अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत, सय्यद मोईन हुसैन अध्यक्ष अंजुमन खुदाम ख्वाजा साहब दरगाह अजमेर शरीफ, मौलाना सैयद मोहम्मद तनवीर हाशमी बीजापुर, प्रोफेसर अख्तरुल वासे अध्यक्ष मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर, डॉ सैयद जफर महमूद जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया, मौलाना मतीनउल हक़ ओसामा कानपुरी अध्यक्ष जमीयत उलेमा उत्तर प्रदेश , मौलाना सद्दीकुल्लाह चौधरी अध्यक्ष जमीयत उलेमा बंगाल, मौलाना रहमतुल्लाह मीर बांदीपुरा कश्मीर, मौलाना हाफिज नदीम अहमद सिद्दीकी अध्यक्ष जमीयत उलेमा महाराष्ट्र, अशोक भारती अध्यक्ष नेकडोर, सैयद कासिम रसूल इलियास सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, मौलाना महमूद अहमद खान दरियाबादी महासचिव ऑल इंडिया उलमा काउंसिल मुंबई, सैयद सलमान चिश्ती अध्यक्ष ख्वाजा गरीब नवाज फाउंडेशन अजमेर आदि ने भी संबोधित किया।  मुज्तबा फारूक महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत,  डॉटर फादर मैथ्यू ,फादर आनंद, मौलाना नियाज अहमद फारुकी जैसी कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने प्रोग्राम में भाग लिया।  विभिन्न चरणों में मुख्य अतिथि के तौर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ,मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ कछौछवी , सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी अमीर जमात ए इस्लामी हिंद, हाजी सैयद मोईन हुसैन अध्यक्ष अंजुमन खुद्दाम ख्वाजा साहब दरगाह अजमेर शरीफ, मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी महासचिव इस्लामिक फिकह अकैडमी शरीक हुए । समारोह के संचालन का उत्तरदायित्व सफलतापूर्वक संयुक्त रूप से मौलाना महमूद मदनी, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी व मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने निभाया।

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