नई दिल्ली, 29 मई 2021। जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने लक्षद्वीप विकास प्राधीकरण विनियमन 2021 में दर्ज कुछ क़ानूनों को अलोकतांत्रिक और अवाम विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि अलोकतांत्रिक तरीक़े से बनाये गए ये क़ानून लक्षद्वीप के अवाम के कल्याण और विकास के बजाए लक्षद्वीप में बड़े कार्पोरेटरों को पर्यटन उद्योग में बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त होता है। इस छोटे द्वीप में जिसकी कुल आबादी लगभग 70 हज़ार है, विनियमन में एक गुंडा एक्ट भी शामिल है।
इस क़ानून के ज़रिए वहां उठने वाली किसी भी असहमति की आवाज़ को कुचलने का पूरा अधिकार वहां के प्रशासन को दिया गया है जो नागरिकों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है। प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने सवाल किया कि एक ऐसा भूभाग जहां अपराध दर न के बराबर है वहां ऐसे क़ानून की किया ज़रूरत है?
विनियमन के एक क़ानून के तहत प्रशासन को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह जनहित, खदान औेर द्वीप के विकास के लिए किसी भी ज़मीन को उन कामों के लिए सरकार के अधीन ले सकता है। खदान और राजपथ ये दोनों काम द्वीप के परिमण्डलीय संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। इतना ही नहीं संदेह यह है कि विकास के नाम पर सरकार बड़ी बड़ी ज़मीने अपने क़ब्ज़े में लेकर बड़े कार्पोरेट हाउसों को किराये पर दे सकती है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि नये क़ानूनों में पंचायती चुनावों में हिस्सा लेने के लिए उम्मीदवार पर ये शर्त लगायी गयी है कि उसे दो से अधिक बच्चे न हों।
यह अत्यंत अलोकतांत्रिक शर्त है और शायद ही इसका उदाहरण कहीं मिलता होगा। उन्होंने कहा कि प्रकट रूप से कुछ क़ानून बड़े भले महसूस होते हों, लेकिन इसके पीछे स्थानीय आबादी को पेरशान कर के उन्हें विस्थापन पर मजबूर करना है ताकि सारे द्वीप को पर्यटन का अड्डा बनाया जा सके। प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने सरकार से अपील की कि उन क़ानूनों को वापस लिया जाए। उन्होंने द्वीप के लोगों के साथ सहानुभूति प्रकट किया।
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