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छात्र Vs सरकार की लड़ाई में अब कांग्रेस के आने ना आने से कोई फ़र्क़ नहीं पडेगा, यह लड़ाई छात्र और जनता Vs सरकार है

जानकार मानते हैं कि अगर कांग्रेस ने शुरू से इस मामले में प्रदर्शन किया होता तो इसके परिणाम कुछ और होते, लेकिन आज की तिथि में लोग खुद सड़क पर हैं. हर वर्ग हर समाज हर जाति हर धर्म के लोग इस बिल को संविधान के विरुद्ध मान रहे हैं और लोग अब यह कह रहे हैं कि सरकार पहले अल्पसंख्यकों को फिर दलितों, सिखों और आदिवासियों को इस तरह से एक के बाद एक तमाम लोगों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक सिद्ध करने का प्रयास करेगी.

By: वतन समाचार डेस्क
फाइल फोटो

छात्र Vs सरकार की लड़ाई में अब कांग्रेस के आने ना आने से कोई फ़र्क़ नहीं पडेगा, यह लड़ाई छात्र और जनता Vs सरकार है 

 

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर सरकार के बदलते बिगड़ते सुर के बीच कांग्रेस पार्टी ने सरकार को एनआरसी और नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर घेरने का फैसला किया है, लेकिन जानकार यह मानते हैं कि कांग्रेस ने इस वक्त बड़ी देर कर दी है. ऐसे समय में जब खुद जनता विपक्ष के रूप में खड़ी हो चुकी है. देश के कालेजों के बच्चे सड़क पर हैं. दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स अपने इतिहास में पहली बार सड़क पर है, बचे अपने इतिहास में क्लास बंक और एग्जाम बायकाट कर रहे हैं और एक ही नारा संविधान बचाना है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी का इस बिल के पक्ष या विपक्ष में खड़े होने का कोई अर्थ नहीं रह जाता है.

 

 जानकार मानते हैं कि अगर कांग्रेस ने शुरू से इस मामले में प्रदर्शन किया होता तो इसके परिणाम कुछ और होते, लेकिन आज की तिथि में लोग खुद सड़क पर हैं. हर वर्ग हर समाज हर जाति हर धर्म के लोग इस बिल को संविधान के विरुद्ध मान रहे हैं और लोग अब यह कह रहे हैं कि सरकार पहले अल्पसंख्यकों को फिर दलितों, सिखों और आदिवासियों को इस तरह से एक के बाद एक तमाम लोगों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक सिद्ध करने का प्रयास करेगी.

 

 ऐसे में इसकी पहली कोशिश को विफल बनाना नागरिकों की पहली प्राथमिकता है. हालांकि सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि यह बिल नागरिकता लेने के लिए नहीं बल्कि नागरिकता देने के लिए है, लेकिन जानकार सरकार से बार-बार यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इस बिल से पहले क्या नागरिकता देने का प्रावधान नहीं था. अगर नहीं तो फिर सोनिया गांधी से लेकर अदनान सामी और तस्लीमा नसरीन को कैसे नागरिकता दी गई? सरकार को इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

 

वहीं नागरिकता संशोधित कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी(एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर-2020(एनपीआर) का खुलकर विरोध कर रही कांग्रेस जल्द ही इन मुद्दों के साथ विश्वविद्यालय परिसरों में छात्रों पर हमले, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, कृषि संकट और महिला सुरक्षा जैसे जनहित के मुद्दों को लेकर व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएगी और नरेन्द्र मोदी सरकार को घेरेगी. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक शनिवार को हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह कहा गया कि मोदी सरकार के खिलाफ पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच जाएं और इन मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों को बेनकाब करें. पार्टी के सभी फ्रंटल संगठन, विभाग और प्रदेश कांग्रेस कमेटियां अलग अलग कार्यक्रमों के आधार पर जनता से संपर्क करेंगी और इन मुद्दों को उठाएंगी. सूत्रों का कहना है कि 13 जनवरी को समान विचारधारा वाली पार्टियों की बैठक में भी इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी और मोदी सरकार को संसद के आगामी बजट सत्र के दौरान और सड़क पर भी घेरने के लिए इन दलों को साथ लेने की कोशिश होगी. विपक्षी दलों की इस बैठक के बाद कांग्रेस इस जनसंपर्क अभियान की पूरी रूपरेखा पेश कर सकती है.

 

 

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने  बताया, ''सीएए के मुद्दे पर पार्टी पहले से ही अलग अलग कार्यक्रमों, प्रेस वार्ताओं, धरना-प्रदर्शनों के जरिये आवाज उठा रही है. लेकिन अब सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मुद्दों के साथ ही जनहित के मुद्दों को भी व्यापक स्तर पर जनता के बीच उठाया जाएगा.'' सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीएए का मकसद देश के लोगों को धार्मिक आधार पर बांटना है और 2020 का एनपीआर, एनआरसी का एक छिपा हुआ रूप है. कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई ने सीएए को वापस लेने और एनपीआर की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है.  सीडब्ल्यूसी के एक सदस्य ने कहा, ''जनता को सरकार के विभाजनकारी एजेंडे के बारे में अवगत कराने के साथ ही युवाओं और छात्रों पर सुनियोजित हमले, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, कृषि संकट और महिला सुरक्षा के मुद्दों को जोरशोर से उठाने की जरूरत है. '' उन्होंने कहा, ''सभी पीसीसी और पार्टी के फ्रंटल संगठन एवं विभाग जनहित के मुद्दों पर व्यापक रूप से जनता के बीच जाएंगे.''

 

 

गौरतलब है कि सीडब्ल्यूसी की शनिवार को दो घंटे से अधिक चली बैठक में सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों और जेएनयू सहित कई अन्य विश्वविद्यालयों में छात्रों पर हमले के बाद बने हालात, अर्थव्यवस्था में सुस्ती, जम्मू-कश्मीर की स्थिति और पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात पर चर्चा की गय. इसके साथ ही जेएनयू और कई अन्य विश्वविद्यालयों में हिंसा की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया गया. कांग्रेस सीएए विरोधी प्रदर्शनों का खुलकर समर्थन कर रही है तथा इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए है. कांग्रेस नेता खासकर महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा से प्रभावित परिवारों से लगातार मुलाकात कर रही हैं.

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