राजस्थान में गृह मंत्रालय का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है. लिहाजा मंत्रियों का कहना है कि इस मामले में बड़े नेता ही जवाब देंगे. दाढ़ी रखने से कानून व्यवस्था कैसे बिगड़ेगी इसे लेकर पुलिस कुछ नहीं कह रही है. सूत्रों के अनुसार लोगों में धर्म के नाम पर पुलिसवालों के बारे में राय बना लेने की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसा किया गया है.
सवाल यह है कि पगड़ी दाढ़ी हाथ में कडा और धागा क्या यह किसी मज़हब को नहीं दर्शाते हैं, फौज में सिख रेजिमेंट आखिर क्यों है? क्या कांग्रेस को सिर्फ मुस्लिम से परेशानी है? इन सब का जवाब भी तो कांग्रेस सरकार को देना चाहिए.
क्या कांग्रेस पहले एक शोशा छोड़ती और फिर बीजेपी को इस पर काम करने का न्योता देती और प्रचार किया जाता है कि बीजेपी कम्युनल है? साथ हीं पिछले कुछ दिनों से दाढ़ी रखने वाले मुस्लिम पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ रही थी क्या इसे भी रोकने के लिए ऐसा किया गया है? क्या कांग्रेस को दाढ़ी से परेशानी है?
सेक्युलर पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस की सेक्युलर सरकारों में मुसलमानों को दुख देने और उनको प्रताड़ित करने का मामला कोई नया नहीं है. सेकुलरिज्म के नाम पर कांग्रेस पार्टी की सरकारों ने मुसलमानों को अलग-अलग बहानों से प्रताड़ित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है, चाहे वह बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रखने का मामला हो जो कांग्रेस की सरकार में हुआ या मस्जिद का ताला खोलने का मामला हो यह भी कांग्रेस की ही सरकारों में हुआ, मस्जिद शहीद भी केंद्र में कांग्रेस के रहते की गयी यह भी एक सच है.
फिर चाहे वह भागलपुर का फसाद हो या देश के विभिन्न क्षेत्रों में दंगे हों. मुरादाबाद ईदगाह पर अटैक या फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर PAC का पहरा यह सब कांग्रेस की ही सेक्युलर सरकारों में हुआ.
अब ताजा खबर राजस्थान के अलवर से आ रही है जहां 9 मुस्लिम पुलिस अधिकारियों को दाढ़ी रखने से रोक दिया गया है, हालांकि पहले उन्हें दाढ़ी रखने की अनुमति पहले हासिल थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में मुस्लिम पुलिसवालों के दाढ़ी नहीं रखने का एक अजीबोगरीब फरमान आया है. अलवर पुलिस ने नौ पुलिसवालों के नाम से दाढ़ी रखने को लेकर मिली इजाजत को वापस लेने का आदेश दिया है. इस आदेश के बाद मुस्लिम संगठन नाराज हैं वहीं राज्य सरकार को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें.
अब क्या होगा?
अलवर पुलिस का ये फरमान है. जिसमें नौ पुलिसकर्मियों का नाम लिखा गया है कि इन्हें दाढ़ी रखने की मिली इजाजत वापस ली जाती है. इस आदेश में लिखा है कि इन पुलिसवालों को दाढ़ी रखने की अनुमति तुरंत प्रभाव से निरस्त की जाती है. इसकी सूचना पुलिस के सभी थाने के बड़े अधिकारियों को भेज दी गई है.
दरअसल राजस्थान में यह परंपरा है कि अल्पसंख्यक पुलिसवालों को दाढ़ी रखने के लिए जिला पुलिसअधीक्षक को आवेदन देना पड़ता है. उसके बाद ये दाढ़ी रखते हैं. अलवर एसपी पारिस देशमुख का कहना है, 'कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमने ये आदेश निकाले हैं. हमने 32 पुलिसवालों को दाढ़ी रखने की इजाजत दे रखी है जिसमें से 9 को दी गई इजाजत वापस ली है.'
मुस्लिम पुलिसकर्मियों में नाराजगी बढ़ी?
इस आदेश के बाद मुस्लिम पुलिसकर्मियों में बेचैनी है. मुस्लिम संगठन के लोंगों का कहना है कि सरकार आदेश वापस लें वरना हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1999 में अल्पसंख्यक पुलिसवालों को दाढ़ी रखने की इजाजत दी थी.
राजस्थान में गृह मंत्रालय का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है. लिहाजा मंत्रियों का कहना है कि इस मामले में बड़े नेता ही जवाब देंगे. दाढ़ी रखने से कानून व्यवस्था कैसे बिगड़ेगी इसे लेकर पुलिस कुछ नहीं कह रही है. सूत्रों के अनुसार लोगों में धर्म के नाम पर पुलिसवालों के बारे में राय बना लेने की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसा किया गया है.
सवाल यह है कि पगड़ी दाढ़ी हाथ में कडा और धागा क्या यह किसी मज़हब को नहीं दर्शाते हैं, फौज में सिख रेजिमेंट आखिर क्यों है? क्या कांग्रेस को सिर्फ मुस्लिम से परेशानी है? इन सब का जवाब भी तो कांग्रेस सरकार को देना चाहिए.
क्या कांग्रेस पहले एक शोशा छोड़ती और फिर बीजेपी को इस पर काम करने का न्योता देती और प्रचार किया जाता है कि बीजेपी कम्युनल है? साथ हीं पिछले कुछ दिनों से दाढ़ी रखने वाले मुस्लिम पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ रही थी क्या इसे भी रोकने के लिए ऐसा किया गया है? क्या कांग्रेस को दाढ़ी से परेशानी है?
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