लखनऊ: एनडीटीवी ने उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर हुए विरोध के दौरान पुलिस के दावे पर सवाल खड़ा किया है. एनडीटीवी की ओर से जो खबर की गई है वह काफी चौंकाने वाली है. एनडीटीवी ने अपनी खबर में कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का देशभर में अभी भी विरोध हो रहा है. दिल्ली के शाहीन बाग में बच्चे और बुजुर्ग महिलाएं पिछले 18 दिनों से धरने पर हैं. पिछले साल 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में प्रदर्शन हिंसक हो गया था. यूपी के अलग-अलग जिलों में प्रदर्शन के दौरान 21 लोगों की मौत हुई. ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने से हुई. यूपी पुलिस (UP Police) का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने भी पुलिस पर गोलियां चलाई थीं. पुलिस ने यह भी दावा किया है कि इन प्रदर्शनों के दौरान 300 पुलिसकर्मी घायल हुए, इनमें से 57 पुलिस वाले गोली लगने से घायल हुए हैं.
NDTV ने जब पुलिस महकमे के आला अधिकारियों से गोली लगने से घायल पुलिसकर्मियों की जानकारी मांगी तो वह इस बारे में कुछ खास जानकारी नहीं दे पाए. एक पुलिस अफसर का पता जरूर चला जो गोली लगने से घायल हुए हैं. उनका नाम है सतपाल अंतिल और वह मुजफ्फरनगर के एसपी हैं. उनके पैर में गोली लगी है.
एसपी ने इस बारे में बताया, '20 दिसंबर को मैं अपनी टीम के साथ मीनाक्षी चौक पर था. वहीं पर प्रदर्शनकारियों ने मुझे गोली मारी. उस समय मैं समझ नहीं सका कि क्या हुआ है. मेरे बहुत खून निकल रहा था.'
एसपी सतपाल अंतिल को गोली लगने के मामले में पुलिस अलग से जांच नहीं कर रही है. पुलिस ने हत्या की कोशिश की धाराओं में 200 से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. उस दिन कथित तौर पर पुलिस फायरिंग में एक प्रदर्शनकारी की भी मौत हुई. NDTV ने जब पुलिस महकमे के आला अधिकारी पीवी रामा शास्त्री से गोली लगने से घायल पुलिस वालों की जानकारी मांगी तो उन्होंने कहा कि उनके पास पूरी लिस्ट है लेकिन उन्होंने इसके लिए जिलास्तर के पुलिस अधिकारियों से बात करने को कहा.
कई जिलों के एसएसपी ने पथराव में घायल पुलिस वालों के बारे में बताया. साथ ही कई पुलिसकर्मियों के गोली लगने से घायल होने की भी बात कही. पुलिस हुक्मरानों ने आंकड़ों में तो जरूर बात की लेकिन हमारी तस्दीक में उन पुलिस वालों के बारे में कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई. यानी साफ है कि पड़ताल में एसपी सतपाल अंतिल को छोड़कर ऐसे किसी भी पुलिसकर्मी से हमारी मुलाकात नहीं हुई, जो हिंसा के दौरान गोली लगने से घायल हुआ हो.
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