नयी दिल्ली: हिंदी के कुछ समाचार पत्रों में उर्दू एजुकेशन बोर्ड से संबंधित प्रकाशित खबरों पर उर्दू बोर्ड ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि जीवाजी यूनिवर्सिटी की ओर से उर्दू एजुकेशन बोर्ड को लेकर जो बयान आया है वह ठीक नहीं है. उर्दू एजुकेशन बोर्ड ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा है कि उर्दू एजुकेशन बोर्ड भारत सरकार से मान्यता प्राप्त एक बोर्ड है और बोर्ड को लेकर के किसी तरह का कन्फ्यूजन पैदा करना ठीक नहीं है. बोर्ड ने अपनी ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में कहा है कि उर्दू एजुकेशन बोर्ड को नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन ने अल्पसंख्यक बोर्ड का दर्जा दिया है.
बोर्ड ने अपनी प्रेस रिलीज़ में यह भी कहा है कि उर्दू एजुकेशन बोर्ड को 30 जून 2016 को जीवाजी यूनिवर्सिटी ने भी मान्यता प्राप्त बोर्ड की श्रेणी में जगह दिया है. बोर्ड ने आगे कहा है कि 2015 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग को खत लिखकर कहा था कि उर्दू एजुकेशन बोर्ड एक मान्यता प्राप्त बोर्ड है और इस बोर्ड के सर्टिफिकेट वैलिड है, साथ ही इस के बच्चों के एडमिशन दिए जाएं, जिसके बाद 5 जून 2017 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी डीके गोयल ने असंविधानिक तरीके से उस पत्र को रद्द कर दिया था. बोर्ड ने यह भी कहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी डीके गोयल के जरिया रद्द किए गए पत्र को 17 अगस्त 2017 को दिल्ली हाई कोर्ट में स्टे कर दिया था, जिस की अगली सुनवाई 22 अप्रैल 2019 को है.
उर्दू बोर्ड ने अपना पक्ष रखते हुए यह भी कहा है कि 3 अप्रैल 2017 को देश के मानव संसाधन विकास मंत्री की सहमति से देश के सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक पत्र भेजा था जिसमें उर्दू एजुकेशन बोर्ड को एक मान्यता प्राप्त बोर्ड की श्रेणी में रखते हुए इसके सर्टिफिकेट को वैलिड माना गया था जो आज तक कैंसिल नहीं हुआ है और ना ही जीवाजी यूनिवर्सिटी ने अपने पत्र को आज तक वापस लिया है.
उर्दू बोर्ड ने यह भी कहा है कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने 3 जून 2015 को गजट नोटिफिकेशन उर्दू बोर्ड के लिए जारी किया था ऐसे में उर्दू बोर्ड को बदनाम करने की कोशिशें निंदनीय है. उर्दू बोर्ड का कहना है कि उर्दू बोर्ड एक मान्यता प्राप्त बोर्ड है और जो लोग भी बोर्ड के खिलाफ साजिश रच रहे हैं बोर्ड ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा. बोर्ड ने यह भी कहा है कि जो बच्चे भी बोर्ड से जुड़े हुए हैं वह किसी तरह के भ्रम का शिकार ना हों. वह अपनी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें क्योंकि बोर्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उसी सपने को साकार करना चाहता है कि सभी को शिक्षा का अधिकार हो और भारत शिक्षित और एक सुरक्षित राष्ट्र बन सके.
साथ ही उर्दू बोर्ड ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर उर्दू एजुकेशन बोर्ड के बच्चों को आने वाली परेशानियों से अवगत कराते हुए समस्या के समाधान की अपील भी की है और उर्दू बोर्ड ने इस बात की आशा व्यक्त की है कि जल्दी ही मध्य प्रदेश सरकार इस दिशा में बच्चों को राहत देने के लिए कोई बड़ा फैसला लेगी.