दुनिया में अब तक तीन लाख से अधिक जीवन लील चुकी और 28 लाख से ज़्यादा को संक्रमित कर चुकी, घातक महामारी कोविड-19 कोरोनावायरस की भयावहता के बीच, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और ब्रिटेन सरे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा अनुसंधान किया है जिससे, घातक विषाणुआओं के खिलाफ इलाज को प्रभावी बनाने और रोगांे के संक्रमण को काबू करने बड़ी महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी।
इस अध्ययन का संचालन जामिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के डॉक्टर मोहम्मद इरफान कुरैशी और ब्रिटेन के सरे विश्वविद्यालय के प्रायोगिक चिकित्सा विभाग के डॉक्टर मोहम्मद असीम द्वारा किया गया है। जीवविज्ञान अनुसंधान नेटवर्क (एसएसआरएन) के पोर्टल पर अत्यधिक प्रतिष्ठित एल्सेवियर पब्लिशर्स द्वारा आईडी 3605888 के साथ इस शोध लेख को अपलोड किया गया है।
डॉ. एम. इरफान कुरैशी ने बताया कि वे कोरोनोवायरस -2 में नए म्यूटेशन का विश्लेषण कर रहे थे। अन्य घातक वायरस के साथ कोरोना स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन का तुलनात्मक अध्यन करते हुए हमने ऐसी 4 एमिनो एसिड की उपस्तिथि को देखा, जो संदिग्ध नज़र आयी। अधिकतर खतरनाक विषाणुओ की सतह के प्रोटीन में सेरीन-प्रोलीन-आर्जिनिन-आर्जिनिन (एसपीआरआर) के समूह नज़र आये। डॉ. कुरैशी कहते हैं कि ऐसा लगता है ये चार एमिनो एसिड का समूह कई वायरस में उच्च स्तर की संक्रामकता के लिए एक पहचान है। दूसरे शब्दों में, जिन विषाणुओ के सतह पर ये चार संदिग्ध एमिनो एसिड होंगे वह अत्यंत संक्रामक होते हैं। सामान्य तौर पर, वायरल सब्सट्रेट को फ्यूरिन नामक एक एंजाइम द्वारा सक्रियण के लिए संसाधित किया जाता है जो एक प्रोप्रोटीन कन्वर्टेस है।
उन्होंने कहा, हमारी रिसर्च से घातक विषाणुओं के खिलाफ इलाज को प्रभावी बनाने और रोगों के संक्रमण तो काबू करने बहुत अहम मदद मिलेगी. आगे के अध्ययन में एसपीआरआर को ब्लॉक करने की रणनीति बनायीं जाएगी और हो सकता है फ्यूरिन-क्लीवेज तंत्र को फिर से परिभाषित किया जाएगा।
इस अध्ययन का मुख्य आकर्षण मुख्यतः ऐसे 50 संभावित जंतुओं, जो कोरोनोवायरस-2 के लिए अतिसंवेदनशील हो सकते हैं, की सूची प्रदान करना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह खोज एसपीआरआर अवशेषों के लक्ष्यीकरण के माध्यम से कोविड-19 बीमारी के नियंत्रण और उपचार में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
डा कुरैशी की टीम ने इस शोध को उन सभी लोगों को समर्पित किया, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से कोविड-19 संकट का सीधे मुकाबला कर रहे हैं।
जामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर ने इस महत्वपूर्ण शोध के लिए डॉ. एम. इरफान कुरैशी को बधाई दी। उन्होंने विश्वविद्यालय में शोध कार्यों को हर संभव सहायता प्रदान करने का अपना संकल्प दोहराते हुए कहा की वह जामिया में विश्व स्तरीय अनुसन्धान को बढ़ावा देती रहेंगी।
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