ईद-उल-अज़हा के अवसर पर क्या करें मुसलमानों -JIH
नई दिल्ली, 07 जुलाई। जमाअत इस्लामी हिन्द के शरिया कौंसिल विभाग ने ईद-उल-अज़हा के अवसर पर एक अपील जारी किया है। इस अपील में कहा गया है कि कोरोना वायरस और विभिन्न सरकारी पाबंदियों के कारण वर्तमान स्थिति में मुसलमानों की तरफ से ईद-उल-अज़हा की नमाज़ और क़ुर्बानी के बारे में कई सवाल किए जा रहे हैं।
जमाअत के शरिया कौंसिल ने इन सवालों पर विचार किया और कुछ निर्देश जारी किए हैं। शरिया कौंसिल ने कहा है कि कुर्बानी पैग़म्बर इब्राहीम (सल्ल.) की सुन्नत है जिसका पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (सल्ल.) ने अनुपालन किया और मुसलमानों को भी इसका पालन करने पर ज़ोर दिया है। यह केवल कोई रिवाज नहीं है। कौंसिल ने कहा कि हैसियत वाले मुसलमान जिन पर कुर्बानी करना अनिवार्य है, इच्छा और कोशिश के बावजूद सरकारी पाबंदियों या अन्य रुकावटों की वजह से कुर्बानी नहीं कर सकें अगर वे दूसरे स्थानों पर अपने कुर्बानी की दायित्वों को पूर कर सकें तो उसकी कोशिश करें।
अगर यह भी संभव न हो तो कुर्बानी का दिन गुज़र जाने के बाद कुर्बानी के मूल्य का रक़म ग़रीबों में सदक़ा कर दें। कौंसिल ने कहा कि मुसलमान क़ानून के दायरे में रहते हुए धर्म और शरीयत पर अमल करने की कोशिश करें। जिन जानवरों के वध पर पाबंदी हो उनकी कुर्बानी करने से बचें। कुर्बानी के सिलसिले में तमाम सावधानियों का ख्याल रखें।
रास्तों और मार्गों पर कुर्बानी न करें। सफाई सुथराई का खास ख्याल रखें। जानवरों के अवशेषों को निश्चित स्थानों तक पहुंचा दें। उचित है कि हर इलाक़े में ईद-उल-अज़हा से कुछ दिन पहले एक कमीटी बनाई जाए जो स्थिति पर नज़र रखे। स्थानीय प्रशासन से बराबर संपर्क में रहे और शान्ति और व्यवस्था की सूरतहाल को बनाये रखने में अपना सहयोग दें। शरिया कौंसिल ने कहा कि ईद-उल-अज़हा की नमाज़ ‘‘सामाजिक दूरी’’ बरक़रार रखते हुए ईदगाहों और मस्जिदों में अदा की जाए। जिन इलाक़ों में कोविड-19 के कारण प्रशासन ने पाबंदी लगाई है वहां मुसलमान अपने घरों में नमाज़ अदा करें जैसे ईद-उल-फित्र के अवसर पर नमाज़ अदा की गयी थी।
शरिया कौंसिल केंद्रीय और राज्य सरकारों से अपील करती है कि ईद-उल-अज़हा की नमाज और कुर्बानी की मुसलमानों के निकट असाधारण महत्व को देखते हुए इस सिलसिले में हर संभव सहूलत और बदमाशों से सुरक्षा प्रदान करे। उम्मीद है कि मुसलमान सावधानी के साथ इसे अंजाम देंगे।
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