राजीव गांधी ने अपने जीवन के अल्पकाल में देश पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उनकी उज्ज्वल भविष्यदृष्टि, करिश्माई युवा नेतृत्व और जाति, वर्ग, रंग, भाषा और धर्म से ऊपर उठकर समाज में सद्भावना की स्थापना और संवर्द्धन में उनके योगदान को न केवल देश में अपितु सम्पूर्ण विश्व में सराहा गया। हिंसा और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करते हुए शांति तथा कौमी एकता की स्थापना हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले श्री राजीव गांधी के अविस्मरणीय योगदान को जीवन्त रखने के लिये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष ने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन‘ के स्वर्ण-जयन्ती वर्ष में ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार‘ की स्थापना की, जो कि श्री राजीव गांधी के जन्मदिन 20 अगस्त को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में एक प्रशस्ति-पत्र और दस लाख रूपये की नकद राशि ऐसे व्यक्ति या संस्था को प्रदान की जाती है जिन्होंने कौमी एकता की स्थापना और हिंसा एवं आतंकवाद के खिलाफ उल्लेखनीय योगदान किया हो।
वर्ष 2018 एवं 2019 का 25वां पुरस्कार ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया जाएगा जिसने इन वर्षों में अथवा सम्बन्धित वर्षों से तत्काल दो वर्ष पूर्व राष्ट्रीय सद्भावना के निर्माण में उल्लेखनीय योगदान किया हो। सलाहकार समिति के अध्यक्ष डाॅ॰ कर्ण सिंह, पूर्व-सांसद, ने इस पुरस्कार के लिये 14 जुलाई, 2020 तक सुनिश्चित प्रारूप पर नामांकन आमंत्रित किये हैं। नामांकन हेतु प्रारूप ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी-ट्रस्ट ऑफिस, 24, अकबर रोड़, नई दिल्ली-110011‘ से प्राप्त किये जा सकते हैं।
अभी तक इस पुरस्कार से जिन विभूतियों को अलंकृत किया गया है, उनमें प्रमुख हैं -- मदर टेरेसा, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, श्री मुहम्मद युनूस, श्री हितेश्वर सैकिया एवं श्रीमती सुभद्रा जोशी (संयुक्त), कुमारी लता मंगेशकर, श्री सुनील दत्त, श्री जे.एन. कौल, श्री दिलीप कुमार, डाॅ॰ (श्रीमती) कपिला वात्स्यायन, श्रीमती तीस्ता शीतलवाड़ एवं श्री हर्ष मन्दर (संयुक्त), श्री एस.एन. सुब्बाराव, स्वामी अग्निवेष एवं श्री मदारी मोईदीन (संयुक्त), श्री के.आर. नारायणन, कु. निर्मला देषपांडे, श्री हेम दत्ता, प्रो॰ एन. राधाकृष्णन, श्री गौतम भाई, मौलाना वाहिदुदीन खां, स्पिक मैके, डाॅ॰ डी.आर. मेहता, उस्ताद अमजद अली खां, श्री मुजफ्फर अली, श्रीमती शुभा मुद्गल एवं श्री गोपालकृष्ण गांधी।
(मोतीलाल वोरा)सदस्य-सचिवसलाहकार समिति
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