Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

क्या मीट पर देश को गुमराह कर रही है बीजेपी?

आदाब वतन समाचार में आपका ख़ैर मक़दम है, मैं शादाब ख़ान। साल 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बग़ैर लाइसेंस के मीट बेचने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के अफ़सर ताला चाभी लेकर घूमते थे और बिना लाइसेंस के मीट बेचने वाली दुकानों पर ताला लगाना शुरू कर दिया। यह एक चलन बन गया, इसके बाद कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने भी मीट की दुकानों पर ताला डालना अपनी ज़िम्मेदारी समझ लिया।

By: वतन समाचार डेस्क
  • क्या मीट पर देश को गुमराह कर रही है बीजेपी?

 

आदाब वतन समाचार में आपका ख़ैर मक़दम है, मैं शादाब ख़ान। साल 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बग़ैर लाइसेंस के मीट बेचने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के अफ़सर ताला चाभी लेकर घूमते थे और बिना लाइसेंस के मीट बेचने वाली दुकानों पर ताला लगाना शुरू कर दिया। यह एक चलन बन गया, इसके बाद कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने भी मीट की दुकानों पर ताला डालना अपनी ज़िम्मेदारी समझ लिया।  

 

हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर और जूनागढ़ में भी खुले में और स्कूल-कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में मीट बेचने पर पाबंदी लगा दी गई। वजह दी गई कि आस-पास के लोगों को बूरी महक आती है।  

 

इन सब घटनाओं के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश हो रही थी कि मीट का सेवन करने वाले लोगों को सम्मान की नज़रों से नहीं देखा जाना चाहिए। जबकि आंकड़े बताते हैं कि देश की एक बड़ी आबादी मीट का सेवन करती है जिसमें बड़ी संख्या में बहुसंख्यक आबादी भी शामिल है। स्वयं भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं ने कई अवसरों पर बीफ़ को उपलब्ध कराने की बात कही। बहरहाल, भाजपा का मुख्य स्टांस यह ही रहा कि भारत एक शाकाहारी देश है। लेकिन क्या आंकड़े भी यही बताते हैं?

 

ओईसीडी के आंकड़ों के अनुसार पीछले तीस सालों में भारत में मीट की खपत क़रीब दोगुनी हो गई है जबकि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी भी शासन में रही है और अभी भी सत्ता पर विराजमान है। 1990 में जहां भारत में मीट की खपत 3.5 मिलियन टन थी, 2010 में वह 5 मिलियन टन हुई और 2020 में बढ़कर यह 6 मिलियन टन हो गई। लेकिन देश की बढ़ती हुई मीट खपत में भी एक ट्विस्ट है।  

 

जहां एक तरफ़ भारत में पोलट्री मीट की खपत बढ़ी है, वहीं बफ़ेलो मीट की खपत में तेज़ी से गिरावट आई है। पोलट्री मीट की खपत साल 1990 में क़रीब एक मिलियन टन थी, जो 2020 में क़रीब चार गुणा बढ़कर 3.96 मिलियन टन हो गई। जबकि बफ़ेलो मीट की खपत 1990 में 2 मिलियन टन थी जो 2020 में 1.05 टन रह गई है। यानी बफ़ेलो मीट की खपत में क़रीब 50 प्रतिशत की कमी आई है।जानकारोंं का मानना है कि आधिकारिक पॉलिसी बफ़ेलो मीट बाज़ार पर असर डाल रही है।

 

इसी सिलसिले में वतन समाचार ने सुप्रीम कोर्ट के वकील और कुल हिन्द जमियतुल क़ुरैश एक्शन कमिटी के उपाध्यक्ष सनोबर क़ुरैशी से बात की।

 

यह आंकड़े हमें दो सवालों के साथ छोड़ जाते हैं। क्या हमारे राजनेता देश के टेस्ट को समझकर खाने पर राजनीति करना छोड़ेंगे?

 

 

और दूसरा यह कि क्या बफ़ेलो मीट उद्योग पर पड़ने वाला राजनीतिक और आधिकारिक दबाव इन आंकड़ों के बाद कम होगा।  

 

आदाब वतन समाचार में आपका ख़ैर मक़दम हैमैं शादाब ख़ान। साल 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बग़ैर लाइसेंस के मीट बेचने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के अफ़सर ताला चाभी लेकर घूमते थे और बिना लाइसेंस के मीट बेचने वाली दुकानों पर ताला लगाना शुरू कर दिया। यह एक चलन बन गयाइसके बाद कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने भी मीट की दुकानों पर ताला डालना अपनी ज़िम्मेदारी समझ लिया 

हाल ही में गुजरात के अहमदाबादराजकोटभावनगर और जूनागढ़ में भी खुले में और स्कूल-कॉलेजों के 100 मीटर के दायरे में मीट बेचने पर पाबंदी लगा दी गई। वजह दी गई कि आस-पास के लोगों को बूरी महक आती है 

इन सब घटनाओं के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश हो रही थी कि मीट का सेवन करने वाले लोगों को सम्मान की नज़रों से नहीं देखा जाना चाहिए। जबकि आंकड़े बताते हैं कि देश की एक बड़ी आबादी मीट का सेवन करती है जिसमें बड़ी संख्या में बहुसंख्यक आबादी भी शामिल है। स्वयं भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं ने कई अवसरों पर बीफ़ को उपलब्ध कराने की बात कही। बहरहालभाजपा का मुख्य स्टांस यह ही रहा कि भारत एक शाकाहारी देश है। लेकिन क्या आंकड़े भी यही बताते हैं? 

ओईसीडी के आंकड़ों के अनुसार पीछले तीस सालों में भारत में मीट की खपत क़रीब दोगुनी हो गई है जबकि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी भी शासन में रही है और अभी भी सत्ता पर विराजमान है। 1990 में जहां भारत में मीट की खपत 3.5 मिलियन टन थी, 2010 में वह 5 मिलियन टन हुई और 2020 में बढ़कर यह 6 मिलियन टन हो गई। लेकिन देश की बढ़ती हुई मीट खपत में भी एक ट्विस्ट है 

जहां एक तरफ़ भारत में पोलट्री मीट की खपत बढ़ी हैवहीं बफ़ेलो मीट की खपत में तेज़ी से गिरावट आई है। पोलट्री मीट की खपत साल 1990 में क़रीब एक मिलियन टन थीजो 2020 में क़रीब चार गुणा बढ़कर 3.96 मिलियन टन हो गई। जबकि बफ़ेलो मीट की खपत 1990 में 2 मिलियन टन थी जो 2020 में 1.05 टन रह गई है। यानी बफ़ेलो मीट की खपत में क़रीब 50 प्रतिशत की कमी आई है।जानकारोंं का मानना है कि आधिकारिक पॉलिसी बफ़ेलो मीट बाज़ार पर असर डाल रही है 

इसी सिलसिले में वतन समाचार ने सुप्रीम कोर्ट के वकील और कुल हिन्द जमियतुल क़ुरैश एक्शन कमिटी के उपाध्यक्ष सनोबर क़ुरैशी से बात की 

यह आंकड़े हमें दो सवालों के साथ छोड़ जाते हैं। क्या हमारे राजनेता देश के टेस्ट को समझकर खाने पर राजनीति करना छोड़ेंगे? 

और दूसरा यह कि क्या बफ़ेलो मीट उद्योग पर पड़ने वाला राजनीतिक और आधिकारिक दबाव इन आंकड़ों के बाद कम होगा।  

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.