नई दिल्लीए 28 फ़रवरी। आज यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग दिल्ली सरकार के तत्वावधान में आरक्षित समुदायों के सामाजिक सशक्तिकरण से संबंधित विभिन्न विषयों पर एक सम्मलेन का आयोजिन किया गया जिस में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
वक्ताओं ने सुझाव दिया कि विभिन्न आरक्षित समुदायों के बीच सामाजिक गठजोड़ को आकार लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तेजी से स्पष्ट हो रहा है कि आपसी सहयोग और मजबूत संबंधों के माध्यम से ही ये समुदाय सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं. सामाजिक ताने.बाने को मजबूत कर सकते हैं और देश में सम्मानजनक स्थान बना सकते हैं।
सम्मेलन का उद्देश्य सामाजिक गतिशीलता और एससीए एसटी और ओबीसी जैसे सभी समुदायों के मुद्दों को समझना और सामाजिक एकीकरण के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना था।
माननीय समाज कल्याण मंत्रीए राजेन्द्र पाल गौतम ने अपने वक्तव्य के कहा कि समुदाय और राष्ट्रए ईमानदारी तथा दूरदर्शिता के बिना प्रगति नहीं कर सकतेए जो लोगों को स्वतंत्रताए न्याय और समानता की गारंटी देता है। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुएए उन्होंने चेताया कि समाज में विभाजन पर विभाजन हमारे राष्ट्र को कमजोर कर रहा हैए इसलिए समय आ गया है कि हम शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्र के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामाजिक एकीकरण की ओर बढ़ें।
उन्होंने कहा कि जो लोग विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैंए जिन्हे समान अवसर और बराबरी का दर्जा आज भी पूरी तरह नहीं मिल पायाए उन लोगों को मुख्यधारा में शामिल करना एक संवैधानिक जनादेश है और इसे पूरा करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा।
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि केवल सामाजिक एकीकरण द्वारा ही आईडिया ऑफ़ इंडिया के लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है। जिसका सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। उन्होंने सभी आरक्षित समुदायों के सदस्यों को संगठित होने को कहा व हाशिए पर खड़े समुदायों के सामाजिक उत्थान के लिए एक साथ काम करने का आह्वान किया। सभी से अनुरोध भी किया आपसी द्वेष और मतभेद को छोड़ कर समाज के बेहतर निर्माण में योगदान दें। क्यूंकि सब समुदाय एक ही हैं, जातियों में बांटकर हमें कमजोर करने की कोशिश की गई है और इसी वजह से हम पिछड़ रहे हैं।
ओबीसी आयोग के सचिव शमीम अख़तर ने अपना स्वागत भाषण देते हुए राष्ट्र निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया और जोर देकर कहा कि यदि समाज का सबसे बड़ा वर्ग वंचित रह जाता हैए तो राष्ट्र के लिए अपना सही गौरव हासिल करना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी उम्मीद की कि यह सम्मेलन सामाजिक एकीकरण की दिशा में एक छोटा सा प्रयास है लेकिन महत्पूर्ण कदम साबित होगा।
श्री पी एस कृष्ण भारत सरकार के उन मुट्ठी भर नौकरशाहों में से हैंए जिन्होंने समाज के वंचित वर्गों के हितों के लिए प्रतिबद्ध रहकर कार्य किया है। उन्होंने मंडल आयोग के पीछे की पृष्ठभूमिए तर्क और सभी आरक्षण के मुद्दों और आगे के रोड मैप पर अपने उल्लेखनीय विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एससी एसटी और अल्पसंख्यकों की स्थिति देश में बेहतर नहीं है। उन्होंने पूछाए क्या डॉ अंबेडकर के विचार को इसकी समग्रता में स्वीकार किया गया. उन्होंने कहा कि यदि हम संवैधानिक सुरक्षा उपायों और आपसी सहयोग का प्रभावी ढंग से उपयोग करते हैं तो यह निश्चित रूप से भारत को एक वास्तविक और बेहतर लोकतंत्र बनने में मदद करेगा।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर श्री विवेक कुमार ने संवर्धित सभा को संबोधित करते हुए जोर दिया कि शिक्षा आर्थिक उन्नति और सामाजिक सशक्तिकरण के बिना किसी भी समुदाय का सामाजिक कल्याण संभव नहीं है। इसलिए सभी को विकास का सामान्य अवसर प्राप्त होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट और एक्टिविस्टए फ़िरोज़ अहमद ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय पिछड़े मुसलमानों को भी वही समानता मिलना चाहिए जो दूसरों को प्राप्त है ।
अखिल भारतीय मुस्लिम पिछड़ा वर्ग महासंघ के महासचिव डॉ इदरीस क़ुरैशी ने इस बात पर जोर दिया कि पिछड़े भारतीय मुस्लिम जातियों को कानून के तहत अपनी मूल पहचान की घोषणा करके एक छतरी के नीचे आना चाहिए।
श्री नन्दु राम (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर) व अन्य लोगों ने भी सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किए।
अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग दिल्ली सरकार के अध्यक्षए हरिओम डेढा ने वक्ताओं और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और यह उम्मीद ज़ाहिर किआ कि सभी हाशिए के समुदाय एक बेहतर भारत के पुनर्निर्माण के लिए करीब आएंगे।
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