धर्म कोई भी हो, बीमारों की सेवा और भूकों को खाना खिलाने को उसमें काफी मत्त्व दिया गया है. समय जब संकट का हो और कोई एक दूसरे का पुछार न हो, लोग अपनों के अंतिम संस्कार से दूर भाग रहे हों, मानवता का जनाज़ा डर और खौफ के कारण उठ रहा हो, तो इस का महत्त्व और बढ़ जाता है. कहीं ऐसे लोग भी मौजूद होते हैं जो इन विपरीत परिस्थितियों में दुखियारों के दुःख को बांटते हैं. भूकों को ढूंढ ढूंढ कर अपनी जान जोखिम में डाल कर खाना खिलाते हैं. लोगों की गंदगी को खुद साफ़ करते हैं और बीमारों को फ्री में डॉ. से कँनेट कराते हैं और लोगों को स्वस्थ रखने के लिए तरह तरह के जागरूक प्रोग्राम करते हैं.
ऐसे लोग जो मानवता को अपना धर्म मान कर मानव जाति की सेवा करते हैं, उन्हीं में से एक संस्था "इम्पार: IMPAR" हैं. इम्पार के सामने अपने वजूद से ही चैलेंजेज हैं, क्योंकि चैलेंजेज पर काबू पाने के लिए ही इम्पार:IMPAR का वजूद अमल में आया था. पहले तब्लीगी जमात वालों पर रोगी मीडिया के ज़रिये लगाए गए "कोरोना जिहाद" के टैग को हटाना, जेलों में रोगी मीडिया के प्रयासों से ठूंसे गए लोगों को बहार निकलवाना, डॉ लाल चंदानी जैसे लोगों को कोर्ट की दहलीज़ पर ले जाकर सज़ा दिलवाना और मीडिया के नफरती प्रोपेगंडा का मुक़ाबला करने के साथ उन तथा-कथित लोगों को रोगी मीडिया की स्क्रीन से हटाना जो इस्लाम और मुस्लमान का चोला ओढ़ कर इस्लाम और मुसलामानों की रुसवाई का सबब बन रहे थे.
एक साल के अंदर इतने बड़े काम करने के बाद इम्पार:IMPAR को लगा होगा कि अब शायद कुछ चैन कि सांस लेने का अवसर मिलेगा, लेकिन एक साल का जश्न मनाने के साथ ही इम्पार:IMPAR को रमज़ान में भी रहत की सांस लेने का अवसर नहीं मिला. ठीक रमज़ान के अंदर इम्पार:IMPAR के सामने पहले से ज़्यादा बड़े चैलेंजेज आ गए.
पहले साल में तो सिर्फ इतना चैलेंज था कि मीडिया के प्रयासों से मुसलामानों के खिलाफ लोगों में दिमाग में भरे जा रहे गुस्से पर काबू पाया जाए, ताकि बड़े पैमाने पर दंगा होने और लोगों को मरने से बचाया जा सके, लेकिन दूसरे साल में वह चैलेंज दो गुने हो गए. अब अस्पतालों में एक्सीजन की कमी से मर रहे लोगों को बचाना है, तो दूसरी तरह उन लोगों तक डॉ की टीम ऑनलाइन ही सही पहुंचाना है जो डर की वजह से घरों में दुबक गए हैं और डॉ तक पहुंच नहीं पा रहे हैं.
ऐसे लोगों तक खाने की पैकेट पहुंचाना है जो हॉस्पिटल के बारह खड़े अपने मरीज़ों के लिए सिर्फ दुआ कर पा रहे हैं. उन मज़दूरों तक पहुंचना है जो रोज़गार जाने के कारण "भुकमरी" के डगर पर आ गए हैं. इन सब के साथ लोगों के इलाक़ों में सफाई सुथराई भी खुद करना है.
इम्पार:IMPAR अपने अध्यक्ष डॉ. MJ Khan के नेतृत्व में बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ इन सभी विंदुओं पर काम कर रहा है. इम्पार:IMPAR की ग्लोबल कौंसिल से लेकर नेशन और रीजनल कौंसिल सब मैदान में डेट हैं. इम्पार ने अपने स्टेट कोऑर्डिनेटर और डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर को भी मैदान में उतार रखा है.
कोई खाना बाँट रहा है तो कोई सफाई अभियान चला रहा है. कोई डॉ से बात कर के उनको मरीज़ों से कनेक्ट करा रहा है तो कोई माली मदद के प्रयास में जुटा हैं. संकट के समय में इम्पार लोगों को इम्पार:IMPAR ज़कात के माध्यम से अपनी ज़िन्दगी फिर से शुरू करने के लिए अवसर प्रदान कर रहा है.
बरसों से काम कर रहे संस्थानों को इम्पार:IMPAR जैसे संस्था से सीख लेने की ज़रुरत है, क्यों इम्पार:IMPAR क्रेडिट के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए काम कर रहा है. एक थिंक टैंक होने के साथ साथ इम्पार वह उन लोगों को एक्शन प्लान भी बना कर दे रहा है जो उस के पास जा रहे हैं. संकट के समय में जितना काम किया जाये वह कम है, लेकिन इम्पार:IMPAR अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाने में जुटा है, वतन समाचार इम्पार:IMPAR के ज़ज़्बे को सलाम पेश करता है.
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