मदरसा आधुनिकीकरण योजना एस पी ई एम एम जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से चल रही थी जिसमें मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का 4 साल का केन्द्रांस मानदेय बकाया है, बजाय केन्द्रांस मानदेय देने के केंद्र सरकार ने इस स्कीम को शिक्षा मंत्रालय से स्थानांतरित करके अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार को भेज दिया.
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इस कोविड-19 में मदरसा आधुनिकीकरण टीचर्स भुखमरी के कगार पर हैं. शिक्षकों के पास अपने बच्चों के लिए दवा इलाज खरीदने, राशन खरीदने के लिए पैसा नहीं है. कई टीचर्स आत्महत्या कर चुके हैं. कई शिक्षक भुखमरी और मायूसी से मर चुके हैं लेकिन सरकार ने बजाए शिक्षकों का मानदेय देने के स्कीम को अब अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया. यह बातें इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के अध्यक्ष अजाज़ अहमद ने वतन समाचार को भेजे संदेश में कही हैं.
अब शिक्षक एक बार फिर नए चक्रव्यूह में फंस गए. परास्नातक के साथ बीएड टीईटी करने वाले शिक्षकों को सरकार ने ₹15000 प्रतिमाह मानदेय देने की बात कही थी. शिक्षकों ने बराबर सरकार के वादे पर साइंस मैथ कंप्यूटर साइंस विज्ञान आज की शिक्षा सरकार द्वारा आच्छादित मदरसों में दिया लेकिन सरकार ने 4 साल से मानदेय लटकाए रखा और जब मानदेय देने का समय आया सरकार ने उस स्कीम को मानव शिक्षा मंत्रालय से स्थानांतरित करके अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भेज दिया।
मदरसा शिक्षक अपने मानदेय की राह देख रहे थे अब उनके सपने पूरी तरह टूट गए हैं. उनके परिवार को बिखरने से लगता है कोई नहीं बचा पाएगा. एजाज अहमद राष्ट्रीय अध्यक्ष इस्लामिक मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एसोसिएशन ने कहा कि प्रधानमंत्री जी से मदरसा टीचर मांग करते हैं कि कोरोना महामारी में तत्काल मदरसा आधुनिकीकरण टीचरों को एक राहत पैकेज दिया जाए. 4 साल में 1 साल का मानदेय तत्काल जारी किया जाए .
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